आईपीएफ की टीम ने हाथरस के भूलगढ़ी गांव में पीड़िता के परिवारजनों से मुलाकात किया। बयान में कहा कि योगी सरकार सिर्फ सामाजिक तनाव बढ़ाने का काम कर रही है।
हाईलाइट्स:
●पीड़िता के भाई ने बताया पूरी घटना में किसी भी महिला पुलिस अधिकारी ने बहन का बयान दर्ज नहीं किया
●गुड़िया के भाई ने बताया कि अपने साधन टेंपो से बहन को लेकर जिला अस्पताल और वहां से फिर अलीगढ़ लेकर जाना पड़ा
● पुलिस और प्रशासन द्वारा पीड़िता की पोस्टमार्टम, मेडिकल रिपोर्ट और संशोधित एफआईआर आज तक नहीं मिली
● पीड़ित परिवार ने कहा- लगातार उन्हें जान से मारने की धमकियां दी जा रही है, जिससे परिवार बेहद आतंकित है।
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आईपीएफ का प्रतिनिधिमंडल हाथरस में, फोटो |
हाथरस/ लखनऊ।आईपीएफ की टीम ने हाथरस के भूलगढ़ी गांव में पीड़िता के परिवारजनों से की मुलाकात किया। टीम ने अपने बयान में कहा कि योगी सरकार सिर्फ सामाजिक तनाव बढ़ाने का काम कर रही है।
कहा कि - पूरी घटना की हाईकोर्ट के जजों की निगरानी में जांच किये जाने की आवश्यकता है। यहां पर हर स्तर पर प्रशासन ने लापरवाही बरती है। डीएम हाथरस के खिलाफ तत्काल कार्रवाई होनी चाहिए। हाथरस में हुई बर्बर एवं अमानवीय घटना में हर स्तर पर हुई लापरवाही के कारण अब योगी सरकार बुरी तरह फंस चुकी है।
इस घटना के जरिए हाथरस समेत अगल- बगल के तमाम जिलों में बड़े पैमाने पर सामाजिक तनाव को बढ़ाने की कार्रवाइयों को अंजाम दे रही है।
सरकार के संरक्षण में लगातार अपराधियों के पक्ष में सभाएं हो रही है बैठकें हो रही है और सबक सिखाने की धमकियां दी जा रही है। वही विपक्षी दलों के नेताओं समेत मीडिया तक को बर्बर दमन का सामना करना पड़ा है।
आज हाथरस गई ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट की टीम ने प्रेस को जारी अपने बयान में कई चौकाने वाली जानकारी दी है। जांच टीम में आईपीएफ के नेता दिनकर कपूर, मजदूर किसान मंच के महासचिव डॉक्टर बृज बिहारी, वर्कर्स फ्रंट के प्रदेश उपाध्यक्ष इंजीनियर दुर्गा प्रसाद, युवा मंच के प्रदेश सह संयोजक नागेश गौतम, आगरा के आईपीएफ नेता मुकंदी लाल नीलम शामिल रहे. टीम ने भूलगढ़ी गांव में पीड़िता के परिवारजनों से मुलाकात की और पीडिता के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त की।
जांच टीम को पीडिता के भाई ने बताया कि घटना के संज्ञान में आने के बाद वह उसे थाने ले गए। जहां महिला उत्पीड़न की घटना होने के बावजूद पुलिस ने महिला उत्पीड़न संबंधी एक भी धारा में मुकदमा पंजीकृत नहीं किया।
इतना ही नहीं उसने बताया कि उन्हें अपने साधन टेंपो से पीड़िता को लेकर जिला अस्पताल और वहां से अलीगढ़ लेकर जाना पड़ा।
निर्भया कांड के बाद बने जस्टिस जे. एस. वर्मा कमीशन की संस्तुतियों के अनुसार सीआरपीसी के संशोधनों के अनुरूप यह पूछने पर कि क्या पूरी घटना में किसी भी महिला पुलिस अधिकारी ने पीड़िता का बयान दर्ज किया तो परिवारजनों ने साफ इंकार किया ।
बताया कि आज तक उन्हें पुलिस और प्रशासन द्वारा पीड़िता की पोस्टमार्टम व मेडिकल रिपोर्ट और संशोधित एफआईआर तक नहीं दी गई है। लगातार उन्हें धमकियां दी जा रही है जिससे परिवार बेहद आतंकित है। परिवारजनों ने यह भी कहा कि उन्हें सीबीआई जांच पर कतई भरोसा नहीं है।
इसलिए सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के जजों की निगरानी में बनी हुई टीम द्वारा ही जांच कराई जाए। पिता, माता व दोनों भाइयों ने कहा कि प्रशासन हमारे ऊपर बेवजह नारको टेस्ट कराने का दबाव बना रहा है जबकि वास्तविकता यह है कि पीड़िता के साथ जो घटना हुई है उसके एक-एक तथ्य और जिस तरह से उसकी लाश को जलाया गया।
वह खुद ब खुद सच्चाई को बयां कर रहे हैं की पीड़िता के साथ बर्बर व्यवहार हुआ है।
जांच टीम ने इसके बाद हाथरस के नागरिकों से भी बात की, जिनका यह कहना था कि हाथरस का पूरा सामाजिक वातावरण बेहद तनावपूर्ण हो गया है ।
जांच टीम ने यह भी पाया की निर्भया कांड के बाद महिलाओं की सुरक्षा के लिए जो 181 वूमेन हेल्पलाइन जैसी योजनाएं चलाई गई थी। उन्हें यदि सरकार बंद न करती तो शायद हाथरस में जिस तरह का व्यवहार पीड़िता के साथ घटित हुआ उससे बचा जा सकता था।
इस संबंध में जांच टीम विस्तृत रिपोर्ट तैयार करके आईपीएफ के राष्ट्रीय नेतृत्व को सौंपेगा और हाईकोर्ट की स्वत: संज्ञान याचिका में भी इस जांच रिपोर्ट को दाखिल किया जाएगा।