बुनकरों की सस्ती बिजली खत्म करना गैरकानूनी - एआईपीएफ

बुनकरों की सस्ती बिजली खत्म करना गैरकानूनी - एआईपीएफ

●Uttar Pradesh News In Hindi

यूपी सरकार द्वारा 2006 से बुनकरों को मिल रही सस्ती बिजली को खत्म करने का फैसला विधि विरूद्ध और मनमर्जीपूर्ण है। यह सरकार की ‘वन डिस्टिक-वन प्रोजेक्ट’ जैसी घोषणाओं की सच्चाई को भी सामने लाती है।

हाई लाइट्स:

●डिस्ट्रिक-वन प्रोडेक्ट योजना के विरूद्ध है आदेश, तबाह कर देगा बुनकरी उद्योग

●मऊ में प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री को भेजा ज्ञापन

●सड़क से लेकर अदालत तक संघर्ष किया गया एलान 

मऊ में प्रदर्शन करते बुनकर

Purvanchal News Print

लखनऊ। यूपी सरकार द्वारा 2006 से बुनकरों को मिल रही सस्ती बिजली को खत्म करने का फैसला विधि विरूद्ध और मनमर्जीपूर्ण है। यह सरकार की ‘वन डिस्टिक-वन प्रोजेक्ट’ जैसी घोषणाओं की सच्चाई को भी सामने लाती है। 

इस आदेश के बाद पहले से ही कठिन हालातों से गुजर रहे बुनकरों, जिन्हें कोरोना महामारी ने लगभग तबाही की हालत में ला दिया है, को बबार्द कर देगा। इस आदेश को रद्द कराने के खिलाफ आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट सड़क से लेकर अदालत तक लड़ाई लड़ेगा।

 यह बातें आज एआईपीएफ के राष्ट्रीय प्रवक्ता व पूर्व आईजी एस. आर. दारापुरी ने प्रेस को जारी अपने बयान में कहीं।

 एआईपीएफ से जुड़ी उ0 प्र0 बुनकर वाहनी के अध्यक्ष एकबाल अहमद अंसारी के नेतृत्व में मऊ में बुनकरों ने प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री को पत्रक भेजा। दारापुरी ने सीएम को ईमेल द्वारा भेजे पत्र में प्रदेश के प्रमुख छोटे मझोले उद्योग बुनकरी जिससे लाखों परिवार अपनी आजीविका चलाते है की रक्षा के लिए तत्काल प्रभाव से सस्ती बिजली दर खत्म करने के आदेश को रद्द करने की मांग की।

एआईपीएफ नेता दारापुरी ने सीएम को भेजे पत्र में बताया कि 14 जून 2006 जारी शासनादेश द्वारा बुनकरों को फ्लैट रेट पर विद्युत आपूर्ति की योजना बजट 2006-2007 का हिस्सा थी और बकायदा विधानसभा व विधान परिषद् से पास कराकर इसके लिए महामहिम राज्यपाल की स्वीकृति ली गयी थी। वास्तव में यह अधिसूचना थी।

 इस अधिसूचना को शासनादेश द्वारा रद्द करना मनमर्जीपूर्ण और विधि के विरूद्ध है। क्योंकि इस शासनादेश में विधानसभा व विधान परिषद से इसे पास कराने व इसके लिए महामहिम राज्यपाल की स्वीकृति का कोई उल्लेख नहीं है और कोई शासनादेश से अधिसूचना को रद्द करना विधि के प्रतिकूल है।

    2006 को जारी हुई इस अधिसूचना के अनुसार 0.5 हार्स पावर के लिए 65 रूपए प्रति लूम, 1 हार्स पावर के लिए 130 रूपए और ग्रामीण क्षेत्र के लिए क्रमशः 0.5 हार्स पावर के लिए 37.50 रूपए प्रति लूम एवं 1 हार्स पावर के लिए 75 रूपए प्रति लूम प्रति माह लेने का प्रावधान किया गया है। 

अतिरिक्त मशीनों पर शहरी क्षेत्र में 130 रूपए और ग्रामीण क्षेत्र में 75 रूपए प्रति माह लेने का प्रावधान था। इस आदेश के बिंदु संख्या 10 के अनुसार इस व्यवस्था के अनुपालन के लिए एक पासबुक की व्यवस्था की गयी थी जिसमें पासबुक द्वारा भुगतान की राशि का प्रावधान किया गया। इसी आदेश में कहा गया कि इसके अतिरिक्त कोई बिल नहीं लिया जायेगा। इतना ही नहीं इस व्यवस्था के अनुपालन के लिए बुनकर प्रतिनिधियों को सम्मलित किया गया। 

जबकि इस व्यवस्था को पूर्णतया समाप्त करने वाले वर्तमान शासनादेश के पहले बुनकरों की किसी तंजीम या संगठन से कोई सलाह तक नहीं ली गयी, जो लोकंतत्र के विरूद्ध और मनमर्जीपूर्ण है। बुनकरों के हालात को लाते हुए कहा कि प्रदेश में बुनकरों की आत्महत्याओं की घटनाएं लगातार हो रही है जो इस शासनादेश के बाद और भी बढ़ेगी।    

    ऐसी स्थिति में एआईपीएफ ने सीएम से कल जारी हुए शासनादेश को रद्द करने का निर्देश देने के साथ ही ‘वन डिस्ट्रिक-वन प्रोडेक्ट’ योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए बुनकरों को राहत पैकेज की घोषणा सरकार करने, बुनकरों के सभी बिजली बिल व कर्जे माफ करने और उनके उत्पाद की सरकारी खरीद व देशी-विदेशी बाजारों में बेचने की व्यवस्था तत्काल करने का आग्रह किया है।