महिला सुरक्षा की संस्थाएं प्रचार पर बहा रहीं करोड़ों रुपये, थानों में महिलाओं की सुनवाई तक नहीं- आईपीएफ

महिला सुरक्षा की संस्थाएं प्रचार पर बहा रहीं करोड़ों रुपये, थानों में महिलाओं की सुनवाई तक नहीं- आईपीएफ

Chandauli News In Hindi

प्रदेश में महिलाओं पर लगातार हो रही हिंसा, बलात्कार, एसिड अटैक आदि की घटनाओं से पूरे तौर पर बदनाम हो चुकी योगी सरकार ने अपनी छवि को बचाने के लिए आज से मिशन शक्ति अभियान शुरू किया है। 

हाई लाइट्स:

●181 व महिला समाख्या कर्मियों ने कहा कि नौकरी में किया जाए बहाल, बकाया वेतन का हो भुगतान

●'मिशन शक्ति' के बहाने छवि बचाने को हाथ-पांव पिट रही योगी सरकार -अजय राय

फोटो-सोशल मीडिया

Purvanchal News Print

चकिया/चन्दौली।  प्रदेश में महिलाओं पर लगातार हो रही हिंसा, बलात्कार, एसिड अटैक आदि की घटनाओं से पूरे तौर पर बदनाम हो चुकी योगी सरकार ने अपनी छवि को बचाने के लिए आज से मिशन शक्ति अभियान शुरू किया है। 

महिला सुरक्षा, सम्मान और स्वावलंबन के लिए चलाए इस अभियान में जनता के सरकारी धन के करोड़ों रूपए विज्ञापन, एलईडी वैन से फ्लैग आफ, वायस मैसेज, थानों व ग्रामीण जागरूकता पर खर्च किए जा रहे हैं। 

वहीं वास्तव में महिलाओं को सम्मान, सुरक्षा, स्वावलंबी और पीड़िता को तत्काल राहत देने वाली 181 वूमेन हेल्पलाइन व महिला समाख्या जैसे कार्यक्रमों को सरकार ने बंद कर दिया और उनके कर्मियों के बकाए वेतन तक का भुगतान नहीं किया। 

दरअसल आरएसएस-भाजपा वैचारिक तौर पर हमेशा से महिलाओं को दोयम दर्जे का नागरिक ही मानता रहा है। यही वजह है कि उसके राज में रेप के अपराधियों के मुकदमें वापस लिए जाते हैं और उसके नेता महिलाओं के साथ हुई हिंसा पर महिला की ही चरित्र हत्या करने में लगे रहते हैं। 

इसलिए योगी जी को मिशन शक्ति अभियान के पहले अपने नेताओं की जुबान पर लगाम लगाने के लिए कार्यवाही करनी चाहिए। आज स्थिति यह है कि महिलाओं की थानों में नहीं सुना जा रहा है। 

 चकिया में शक्ति मिशन अभियान को हरी झंडी दिखाने आये प्रभारी मंत्री को लेकर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए आई पी एफ प्रभारी अजय राय ने कहा कि पूरा प्रदेश महिलाओं की कब्रगाह में तब्दील हो गया है। पिछले हफ्ते गोण्ड़ा में तीन लडकियों पर एसिड अटैक, प्रतापगढ़ और चित्रकूट में बलात्कार की शिकार पीड़ित लडकियों की आत्महत्या, झांसी में हाॅस्टल में बलात्कार, आगरा व बाराबंकी में नाबालिग से रेप जैसी घटनाएं प्रदेश में आम बात हो गई हैं। 

मिशन शक्ति की घोषणा करने वाली सरकार, उसके विधायक, सांसद व उच्चाधिकारी अपराधियों को सजा दिलाने की जगह पीडिता की ही चरित्र हत्या करने में पूरी शक्ति लगा दे रहे हैं। 

हाईकोर्ट तक ने हाथरस मामले में इस पर गहरी आपत्ति दर्ज की और सरकार के आला अधिकारियों को फटकार लगाई। उन्होंने मांग की कि यदि सरकार वास्तव में महिलाओं को सशक्त करना चाहती है तो उसे महिला समाख्या और 181 वूमेन हेल्पलाइन जैसे महिलाओं को सुरक्षा, सम्मान व स्वावालंबी बनाने वाले कार्यक्रमों को पूरी क्षमता से चलाना चाहिए और उसके कर्मियों के बकाए वेतन का तत्काल भुगतान करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि सीएम अपने विज्ञापन और ट्वीटर में बार-बार 181 का जिक्र कर रहे हैं। जबकि सच्चाई यह है कि निर्भया काण्ड के बाद बनी जस्टिस जे. एस. वर्मा कमेटी की संस्तुति के आधार पर महिलाओं को संरक्षण देने के लिए अलग से बनाई गई ‘नम्बर एक-काम अनेक’ जैसी 181 वूमेन हेल्पलाइन को सरकार ने बंद कर इसमें कार्यरत सैकड़ों महिलाओं को सड़क पर ला दिया है। 

हद यह है कि बकाया वेतन तक नहीं दिया गया। सरकार ने 181 को पुलिस के सामान्य काल सेंटर 112 में समाहित कर दिया जबकि 181 चालू ही इसलिए किया गया था क्योंकि हिंसा से पीड़ित महिलाएं पुलिस के साथ अपने को सहज नहीं पाती थी। 

इस बात को खुद योगी सरकार ने 181 के लिए बनाए प्रोटोकाल में स्वीकार किया है। यहीं नहीं इसी सरकार ने 181 हेल्पलाइन की तारीफ करते हुए शासनादेश में स्वीकार किया कि इस कार्यक्रम ने मात्र छः माह में सवा लाख महिलाओं को राहत देने का काम किया। तब मिशन शक्ति चलाने वाली सरकार को यह बताना चाहिए कि उसका इस बहुआयामी 181 हेल्पलाइन को बंद करने का क्या तर्क है। 

यह भी कहा कि यदि मिशन शक्ति जैसे अभियान के साथ प्रदेश में महिला समाख्या व 181 वूमेन हेल्पलाइन जैसी संस्थाएं पूरी क्षमता से चल रहीं होतीं तो शायद आज जो हालात हाथरस, बाराबंकी, गोण्डा से लेकर पूरे प्रदेश में महिलाओं के हो रहे है उनसे एक हद तक बचा जा सकता था।