Hindi Samachar- विचार/दर्शन
आजाद भारत के अंतर्गत सामाजिक विषमता को देखते हुए बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने कहे थे कि मैं हिंदू धर्म में पैदा हुआ हूं जो मेरे बस की बात नहीं थी लेकिन मैं हिंदू धर्म में मरूंगा नहीं, यह मेरे बस की बात है।
● दलित मुस्लिम एकता फ्रंट के बिहार प्रदेश प्रभारी सुरेश वाडेकर कहते हैं कि-डॉ आंबेडकर बाबा साहब ने कहा था, हमारे समाज को अपने पढ़े लिखे लोगों ने धोखा दिया
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Report-संजय मल्होत्रा
दुर्गावती ( कैमूर )। आजादी को पाकर भी यदि हम इसे बचा ना सके तो आजादी पाने का कोई लाभ नहीं होगा। आजाद भारत के अंतर्गत सामाजिक विषमता को देखते हुए बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने कहे थे कि मैं हिंदू धर्म में पैदा हुआ हूं जो मेरे बस की बात नहीं थी लेकिन मैं हिंदू धर्म में मरूंगा नहीं, यह मेरे बस की बात है।
बाबा साहब के जीवन दर्शन की व्याख्या करते हुए दलित मुस्लिम एकता फ्रंट के बिहार प्रदेश प्रभारी सुरेश वाडेकर ने यह बातें कहीं और उन्होंने कहा कि बाबा साहब के उन विचारों को गंभीरतापूर्वक विचार करना चाहिए क्योंकि बाबा साहब ने कहा था कि हमारे समाज को अपने पढ़े लिखे लोगों ने धोखा दिया है नहीं तो आज मेरा समाज इतना पीछे नहीं रहता आज हर जगह खुले मंच पर मनुवादी व्यवस्था ब्राह्मणवादी व्यवस्था पर प्रहार किया जा रहा है
पिछले कई दशकों से दलित अल्पसंख्यक पिछड़ा अति पिछड़ा समाज को अंबेडकर दर्शन ज्योतिबा राव फूले दर्शन रामास्वामी पेरियार साहब व सर सैयद अहमद साहब के दर्शन को जन-जन में पहुंचाने और इनके आंदोलन को धारदार बनाने का काम किया जा रहा है।
शिक्षा के प्रथम ज्योति जलाने वाले ज्योतिबा राव फुले साहब अलीगढ़ विश्वविद्यालय की स्थापना करने वाले एवं भारत के समस्त नागरिकों को चाहे वह किसी भी जाति धर्म की महिला पुरुष हो सबको समान शिक्षा समान अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष किए और करके दिखलाया।
आज इन्हीं महापुरुषों के बदौलत दलित अल्पसंख्यक पिछड़ा अति पिछड़ा समाज राजनीतिक और नौकरियों में अपना पहचान बना चुके हैं और ऐशो आराम की जिंदगी बिता रहे हैं।
मंच पर लंबे-लंबे भाषण देते हैं और बाबा साहब का संकल्प लेते हैं। कसम खाते हैं , लेकिन चंद समय में ही हजार ₹500 में बड़े ओहदे पर लाल बत्ती गाड़ी मंत्री विधायक के लालच में बाबा साहब अपने महापुरुषों का संकल्प भूल जाते हैं और चमचागिरी करने में मशगूल रहते हैं।
आज जो लोग मनुवादी व्यवस्था ब्राह्मणवादी व्यवस्था का विरोध करते हैं, आज उन्हीं के घरों में उनके द्वारा बनाई गई व्यवस्था का पालन होता है। देवी देवता पूजा पाठ सारे कर्मकांड सभी पर्व त्यौहार उनके द्वारा बनाई गई व्यवस्था के तहत किया जा रहा है।
संपन्न दलित समाज आज बाबा साहब के सिद्धांत एवं विचारों को भूल गया है। यदि अंबेडकर वाद को सबसे ज्यादा खतरा है तो वह दलित मनु वादियों से है और किसी दूसरे वाद से नहीं है
श्री वाडकर ने कहा कि सामाजिक समानता के बिना राजनीतिक एकता बना पाना संभव नहीं है इसलिए एक अपील के साथ दलित समाज को चेतावनी देते हुए कहा कि अपने महापुरुषों को खासकर बाबासाहेब के त्याग तपस्या व उनके बलिदान को नहीं भूले बाबा साहब का हम सभी पर कर्ज हैं, उस कर्ज की अदायगी करना ही इंसानियत है।