बीएचयू और ट्रामा सेंटर के नाम पर लुटे जाते हैं बिहार के मरीज, हॉस्पिटल माफिया माला-माल

बीएचयू और ट्रामा सेंटर के नाम पर लुटे जाते हैं बिहार के मरीज, हॉस्पिटल माफिया माला-माल

 Hindi Samachar- Bihar

बिहार के मरीजों को लूटने के लिए उत्तर प्रदेश- बिहार की सीमा के बाद मरीजों पर गिद्ध की दृष्टि लगाए बैठे रहते हैं। वाराणसी में माफियाओं का एक रैकेट नामी-गिरामी हॉस्पिटल को खोल मरीजों को बेदर्दी और बेरहम से लूटते हैं।


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दुर्गावती (कैमूर)/वाराणासी। बिहार के मरीजों को लूटने के लिए उत्तर प्रदेश बिहार की सीमा के बाद मरीजों पर  गिद्ध की दृष्टि लगाए बैठे हैं। वाराणसी में माफियाओं का एक रैकेट नामी गिरामी हॉस्पिटल को खोल कर भाड़े पर डॉक्टरों को रखकर इन दिनों बिहार के कराहते- चिखते और चिल्लाते हुए मरीजों को बेदर्दी और बेरहम से लूटते हैं।

 बता दें कि बिहार के बक्सर,आरा, सासाराम , बिक्रमगंज, पीरों, कैमूर, डेहरी इत्यादि सीमापवर्ती पर् जिले के डॉक्टरों से संपर्क कर वाराणसी के बीएचयू और ट्रामा सेंटर में इलाज कराने के नाम पर मरीजों को ले जाते हैं।

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और बीएचयू में जगह नहीं मिलने के कारण लंका मेडिकल और चौमुहानी पर बैठे दलालों को सुपुर्द कर देते हैं। जिससे असहाय मरीज को लूटने के लिए आराम से चारागाह मिल जाता है।                                                        आरोप है कि सबसे बुरी हालात वाराणसी के बीएचयू और ट्रामा सेंटर की है, जहां पैरवी या डॉक्टरों के आवास पर जाकर रकम दिए बिना कोई इलाज शुरू नहीं होता है । इस संस्था में कोई सुविधा मरीजों को नहीं मिल पाती।

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 खबर है कि चंदौली, चकिया मोड़ मुगलसराय टेंगरा मोड़ इत्यादि जगहों पर निस्सहाय मरीजों को पहुंचा कर बड़ा कमीशन ले वापस हो जाते हैं, जबकि यह वाराणसी क्षेत्र प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र एवं सीमा से सटे केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे से मिलता है। 

लेकिन सरकार और विभाग ऐसे डॉक्टरों से निपटने के लिए अपनी तरफ से कोई पहल नहीं कर पा रही है। यही नहीं सरकारी डॉक्टरी में नौकरी नहीं मिलने के बाद पढ़े लिखे डॉक्टरों को अपने यहां नौकर रख लेते हैं और उन्हें खासा पेमेंट भी देते हैं।

 मरीजों को आराम तो मिलता है लेकिन शरीर से पूरा खून चूस लेने के बाद। कोई पत्नी की गहना कोई खेत तो कोई ब्याज पर पैसा ले। इन डॉक्टरों की भरपाई करता है, यदि संजोग बस जिसके पास पैसा ना रहे वैसे मरीजों को वैसे हॉस्पिटलों पर प्रहरी जबरदस्ती करते हैं।

 तब तक हॉस्पिटल में से नहीं निकलने देते हैं, जब तक वह पैसा ना चुकता ना कर दे। बेशर्मी की हद तो तब पार कर देते हैं जब प्राइवेट हॉस्पिटल धारक जब कोई मरीज हॉस्पिटल में मर जाता है। उसका शव भी उन मरीजों को तब तक नहीं दी जाती है जब तक वह पैसा नहीं चूकता कर देते हैं।

.....(रिपोर्ट-संजय मल्होत्रा)