Hindi Samachar/लखनऊ
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के घटक मजदूर किसान मंच के अध्यक्ष व एआईपीएफ के राष्ट्रीय प्रवक्ता एस. आर. दारापुरी ने प्रमुख सचिव गृह को ईमेल द्वारा पत्र भेजा है।
●दारापुरी ने प्रमुख सचिव गृह से पूछा सवाल, कहा कि-सरकार बताए कब व कहां दे किसान आंदोलन के समर्थन में धरना?
एसआर दारापुरी

लखनऊ। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के घटक मजदूर किसान मंच के अध्यक्ष व एआईपीएफ के राष्ट्रीय प्रवक्ता एस. आर. दारापुरी ने प्रमुख सचिव गृह को ईमेल द्वारा पत्र भेजा है। दारापुरी ने प्रमुख सचिव गृह से पूछा सवाल, कहा कि-सरकार बताए कब व कहां दे किसान आंदोलन के समर्थन में धरना?
ज्ञातव्य हो कि किसान विरोधी कानूनों की वापसी, न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाने, दुग्ध, फल, सब्जी समेत सभी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को तय करने और इसकी सरकारी खरीद की गारंटी व भुगतान कराने, विद्युत संशोधन अधिनियम 2020 को रद्द करने और पराली कानून में किसान विरोधी प्रावधान खत्म करने की मांगों पर राष्ट्रीयस्तर पर जारी किसानों के आंदोलन के समर्थन में प्रदेश की राजधानी लखनऊ में धरना देने के लिए समय और स्थान तय कर बताने के लिए सवाल किया है।
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के घटक मजदूर किसान मंच के अध्यक्ष व एआईपीएफ के राष्ट्रीय प्रवक्ता एस. आर. दारापुरी ने प्रमुख सचिव गृह को ईमेल द्वारा पत्र भेजा है। इस पत्र की प्रतिलिपि आवश्यक कार्यवाही हेतु मुख्यमंत्री, डीएम और पुलिस आयुक्त को भी भेजी गई है।
दारापुरी ने अपने पत्र में कहा है कि प्रदेश में हालत यह है कि किसान आंदोलन के समर्थन में कहीं भी यदि शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक ढ़ग से किसान संगठन व राजनीतिक दल प्रतिवाद दर्ज करा रहे है या प्रशासन को ज्ञापन देना चाहते है तो उनके नेताओं को गिरफ्तार किया जा रहा है, पुलिस द्वारा उन्हें घरों में नजरबंद कर दिया जा रहा है और यहां तक कि फर्जी मुकदमें कायम कर जेल भेजा जा रहा है।
विगत दिनों ऐसे ही कार्यक्रमों में हमारे संगठन के नेता कांता कोल की सोनभद्र में, योगीराज सिंह पटेल की वाराणसी में, अजय राय को चंदौली में और इकबाल अहमद अंसारी की मऊ में गिरफ्तारी की गई और उन्हें घर में नजरबंद किया गया। स्थिति यह है कि प्रदेश में सामान्य लोकतांत्रिक गतिविधि भी करना बेहद कठिन हो गया है।
किसानों से धान तक की सरकारी खरीद में व्यापक अनियमितता है और गन्ना किसानों की बुरी हालत है पर पुलिस प्रशासन के बल पर किसी को भी अपनी आवाज तक उठाने नहीं दिया जा रहा है।
ऐसी स्थिति में उत्तर प्रदेश शासन और जिला प्रशासन ही हमें किसान आंदोलन के समर्थन में लखनऊ में अनिश्चितकालीन घरना आयोजित करने के लिए दिनांक, समय और स्थान बताने का कष्ट करे ताकि हम संविधान प्रदत्त अपनी सामान्य लोकतांत्रिक गतिविधि कर सके।
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