सार
आईपीएफ के राज्य कार्य समिति सदस्य अजय राय को 5 जून को तीन कृषि कानूनों की प्रतियां जलाने के एलान के दिन सुबह ही पुलिस ने घर में बंधक बना दिया।

घर पर नजरबंद किसान नेता अजय राय, फोटो-pnp

● नजरबंदी पर कहा- भाजपा सरकार में लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला किया जा रहा है.
विस्तृत
चकिया/चन्दौली। केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के गाँव में जाकर किसान विरोधी बिल के बारे में बताने व कोविड-19 के नियम को पालन करते हुए प्रतीकात्मक रूप से शान्तिपूर्ण तरीके से किसान विरोधी बिल की प्रति जलाने के निर्णय के अनुपालन करने के पहले ही घर में ही हमें पुलिस ने नजरबंदकर दिया।
लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला कर रही भाजपा सरकार
आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राज्य कार्य समिति के सदस्य अजय राय ने बताया कि संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा 5 जून ‘सम्पूर्ण क्रांति आंदोलन‘ के दिवस पर तीनों काले कृषि कानूनों की प्रतियां गाँव गाँव में जलाने का निर्णय हुआ था।
लेकिन आज सुबह ही घर पर ही पुलिस ने हमें नजरबंद कर दिया और कहा कि आपको घर पर रहना है।
घर के अंदर पुलिस का पहरा लगा दिया गया है। अपने पुलिस द्वारा नजरबंद किए जाने पर उन्होने कहा कि कोरोना महामारी के नियम का पालन करते हुए आज हम किसान विरोधी तीनों कानून का विरोध किया जाता ।
लेकिन भाजपा सरकार किसानों के आंदोलन से डरी हैं और किसानों व किसान नेताओं को हर लोकतांत्रिक अधिकार जो संविधान व संसद ने दिया है उस हमला कर रही हैं।
![]() |
अजय राय पर पुलिस का पहरा,फोटो-pnp |
केंद्रीय रक्षा मंत्री के गांव में जलाया जाता कृषि बिल की प्रतियां
आज हमें माननीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के गाँव किसानों के बुलावे पर जाकर किसानों का हित बताकर लाए गये किसान विरोधी बिल है, उसके बारे में जानकारी देना था और प्रतीकात्मक रूप से शान्ति पूर्वक किसान विरोधी बिल का विरोध करना था और उसकी प्रति जलानी थी।
लेकिन घर से निकलने के पूर्व ही घर के बाहर पुलिस का पहरा लगा दिया गया है जो पूरी तरह से गलत है। जब हम कोविड -19 का पालन करते हुए घर-घर अकेले घुमते और अकेले प्रतीकात्मक रूप से किसान विरोधी बिल की प्रति जलाते तो यह भी सरकार को मंजूर नहीं है।
मनरेगा कार्य में अधिकारियों पर कमीशन खाने का लगाया आरोप
उन्होंने यह भी कहा कि कोविड -19 के कारण पैदा हो रहे गम्भीर बेरोजगारी के संकट के मद्देनजर मनरेगा में रोजगार व समयबद्ध मजदूरी के लिए सरकार को बड़ी तेजी से पहल लेनी चाहिए।
लेकिन चकिया ब्लॉक में मिट्टी के कार्य में भी अधिकारियों के द्वारा कमीशन की मांग व मनरेगा एपीओ के अड़ियल रुख ने मनरेगा के काम में तेजी नहीं होने दे रहा हैं।
वहीं उन्होंने इस बात का भी आज विरोध किया और उच्च अधिकारियों को पत्र भेजा। उन्होंने कहा कि यह किसान बिल कार्पेट घरानों के हित के लिए बनाया गया हैं।
कारपोरेट घरानों के हित हेतु मोदी सरकार ने ले आई कृषि बिल
यह बिल से क्रमशः समर्थन मूल्य को खत्म करेगा और साथ ही गरीबों से मिलने वाली राशन पर भी संकट खड़ा करेंगा।
सरकार की अड़ियल रुख ही है या कारपोरेट घरानों के दबाव में है कि छ: माह से किसान दिल्ली के बार्डर पर आंदोलन कर रहें हैं लेकिन सरकार समस्या को हल करने की जगह दमन कर रहीं हैं, यह बिल कारपोरेट घरानों के हित के लिए लाया गया है।