Dhanechha Vidyalay संस्थापक स्वर्गीय रामसुंदर सिंह की प्रतिमा का होगा अनावरण

Dhanechha Vidyalay संस्थापक स्वर्गीय रामसुंदर सिंह की प्रतिमा का होगा अनावरण

 इंटर स्तरीय विद्यालय धनेछा के संस्थापक और आज अखबार के संपादक रहे धनेछा गांव निवासी स्वर्गीय रामसुंदर सिंह की प्रतिमा का जल्द ही अनावरण किया जाएगा।

स्वर्गीय राम सुंदर सिंह की प्रतिमा, फोटो-pnp

दुर्गावती (कैमूर)। इंटर स्तरीय विद्यालय धनेछा के संस्थापक और आज अखबार के संपादक रहे धनेछा गांव निवासी स्वर्गीय रामसुंदर सिंह की प्रतिमा का जल्द ही अनावरण किया जाएगा।

 विद्यालय के प्रधानाध्यापक भरत भूषण प्रसाद सिंह ने बताया कि विद्यालय के संस्थापक की प्रतिमा लगाने की योजना पहले से ही शुरु थी और इसे मूर्त रूप देने के लिए विद्यालय के सभी शिक्षकों ने सहयोग राशि दिया।

 तब जाकर उनकी मूर्ति तैयार की गई, साथ ही प्रतिमा लगाने वाली जगह की आधारभूत संरचना को तैयार किया गया। विद्यालय बंद होने की वजह से कुछ लोग तैयार प्रतिमा को लाए और प्रतिमा वाली संरचना जो पहले से तैयार थी, उस पर प्रतिमा रख दिया गया। अभी मूर्ति का अनावरण होना बाकी है लिहाजा प्रतिमा को ढका गया है। 

आपको बता दें कि इसी विद्यालय से पढ़कर दुर्गावती के मच्छनहटा गांव निवासी स्वर्गीय प्रोफेसर अरुण कुमार सिंह राजनीतिक गलियारों में जाकर विधान परिषद के सभापति बने जिनका पक्ष और विपक्ष उनके आखिरी सांस तक आदर भाव करता रहा।

 विद्यालय के प्रधानाध्यापक ने यह भी बताया कि सालों से विद्यालय के संस्थापक की प्रतिमा लगाने की बात चल रही थी ऐसी स्थिति में विद्यालय में कार्यरत सभी शिक्षकों ने भरपूर सहयोग राशि दिया।

 जिनके बदौलत प्रतिमा की संरचना को तैयार किया गया, फिर उनकी प्रतिमा तैयार कराई गई। अब जल्द ही प्रतिमा का अनावरण पूरे प्रोटोकॉल के तहत किया जाएगा।

आपको बता दें कि देश के सबसे व्यस्ततम मार्ग नेशनल हाईवे 2 के किनारे स्थित विद्यालय की अपनी एक अलग पहचान है। इसी गांव के रहने वाले स्वर्गीय राम सुंदर सिंह ने अपनी छह एकड़ जमीन विद्यालय को दान दिया। इस जमीन में विद्यालय अवस्थित है।


खुले में प्रतिमा यह जायज नहीं!


वहीं स्थानीय लोगों की मानें तो इतने बड़े शख्सियत की प्रतिमा किस तरीके से लाई गई है और प्रतिमा वाली जगह पर रख दी गई है, यह जायज नहीं है क्योंकि विद्यालय करोना कॉल की वजह से बंद है।

ऐसी स्थिति में प्रतिमा को सुरक्षित स्थानों पर रखना चाहिए और एक भव्य समारोह का आयोजन कर उसी दिन प्रतिमा का अनावरण करना चाहिए था क्योंकि बरसात का समय है।

इस प्रतिमा वाली संरचना के ऊपर छत भी नहीं है। सड़क किनारे विद्यालय होने की वजह से बहुत ऐसे बच्चे उस परिसर में खेलने भी आते हैं।

 संवाद सहयोगी: संजय मल्होत्रा