हाय रे! नीतीश सरकार, न्याय के लिए एक पीड़ित महिला दर-दर भटक रही है। इस मामले में थानेदार पर रिपोर्ट दर्ज न करने के आरोप लगे हैं।
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लगे चोट के निशान, फोटो:pnp |
भूमि विवाद में उसके साथ हुई मारपीट के बावजूद, सोनहन थाना प्रभारी द्वारा एफआईआर दर्ज करने से इंकार कर दिया। न्याय व्यवस्था से नाराज आरक्षी अधीक्षक से शिकायत के लिए जिला मुख्यालय पहुंची। मगर वे आरक्षी अधीक्षक कैमूर के रोजगार मेले की देखरेख में जाने से अपने दफ्तर से अनुपस्थिति रहे। अंततः निराश महिला अपनी शिकायती पत्र आरक्षी अधीक्षक की शिकायत पेटीका में डालकर वापस जाने के क्रम में फफक-फफक कर रोने लगी।
जिसे देख इस संवाददाता द्वारा पूछा गया की माता जी क्या परेशानी है? तब उन्होंने जो बताया वह नीतीश सरकार के सुशासन व्यवस्था पर करारा तमाचा है। वह न्याय के दर दर भटक रही है।
आरक्षी अधीक्षक से नहीं लगा पाई अपनी गुहार
आज आरक्षी अधीक्षक से भी नहीं मिल पाई। क्यूंकि वह ऑफिस से बाहर थे। अगर इनकी शिकायतों को सही मानें तो उन्हीं के परिवार के सदस्य कन्हैया उपाध्याय पिता स्वर्गीय कोमल उपाध्याय, दीपक उपाध्याय पिता कन्हैया उपाध्याय, चंदन उपाध्याय पिता कन्हैया उपाध्याय, मुन्नी देवी पति कन्हैया उपाध्याय, पूजा कुमारी पिता कन्हैया उपाध्याय के द्वारा भूमि को जबरन कब्जा कर लिया गया है।
घरों में फेंके गए पत्थर, 3 वर्ष की बच्ची भी हुई घायल
पीड़ित महिला कहती हैं कि मेरे पति नहीं है। एक लड़का है, जो रोजी रोटी के चक्कर में बाहर रहता है। घर में किसी को नहीं होने की वजह से मैंने इसका विरोध किया, जिससे कि इन लोगों द्वारा हमें लात घूसों, लाठी डंडे और ईट पत्थर से मारा पीटा गया। घर के आंगन में भी ईंट पत्थर फ़ेंक कर हमला हुआ। जिससे 3 वर्षीय नतिनी को भी जगह-जगह चोट लगा।
बहु द्वारा जब दूरभाष के माध्यम से पुलिस को सूचित किया गया तो पुलिस हमारे गांव में पहुंची मगर विरोधी पार्टियों से ही मिलकर वापस लौट आई। फिर मैं अपनी बहू के साथ किसी तरह सोनहन थाने पहुंची। जहां की छोटा बाबू मिश्रा जी उनसे गुहार लगाई। उनके द्वारा हमें अपशब्द भी बोला गया और कहा गया कि इस समय कुछ भी नहीं हो सकता है। तुम कोर्ट में जाओ।
महिला को चोट इतना कि पैदल घर जाना मुश्किल
शरीर में लगे चोट होने की वजह से मैं घर तक पहुंचने में असमर्थ थी, मैंने कहा, साहब! इस समय अस्पताल बंद हो गया है, दवा भी नहीं ले सकती हूं। और कोई साधन भी नहीं मिलेगा हमें किसी तरह घर छोड़वा दीजिए।
छोटा बाबू अपनी गाड़ी से हमें घर तक छोड़ने गए। विरोधियों द्वारा घर पर मारे गए एक पत्थर जब मैंने दिखाया तो उन्होंने कहा कि सुबह थाने पर आना है।
मैं जब 11 जुलाई 2021 दिन रविवार को मैं थाने पर गई तो मिश्रा जी द्वारा हमें गाली-गलौज देते हुए भगा दिया गया। बाद में कहा कि तुम्हे जहां जाना है जाओ। मैं कुछ भी नहीं कर सकता हूं।
सोनहन थानेदार ने तो घटना से ही कर दिया इंकार!
संवाददाता कुमार चंद्रभूषण तिवारी द्वारा जब इस विषय में सोनहन थाना प्रभारी से बात किया गया तो, उन्होंने कहा कि मैं किसी का पक्ष नहीं ले रहा हूं, और ना ही कोई मारपीट हुआ है। और मैं क्यों किसी का पक्ष लूंगा, वह हमारा रिश्तेदार क्या थोड़े ही है।
जबकि महिला के शरीर पर 5 दिनों के बाद भी कई जगह चोट का निशान पाया गया है। इस घटनाक्रम ने सुशासन बाबू कहे जाने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की लोगों को न्याय देने की व्यवस्था पर कई सवाल खड़ी कर दी।