"कोविड अनुरूप आचरण का पालन बेहद जरुरी, तभी हम इस जंग को जीतेंगे"

"कोविड अनुरूप आचरण का पालन बेहद जरुरी, तभी हम इस जंग को जीतेंगे"

 कोविड अनुरूप आचरण का पालन बेहद जरुरी है, तभी हम इस जंग को जीत पाएंगे। सरकार और समाज दोनों को सामूहिक भागीदारी निभाने की जरूरत है।

चर्चा में भाग लेते हुए चिकित्सक, फोटो:pnp



कोरोना महामारी से सीख और आने वाली चुनौतियाँ" विषय पर आयोजित चर्चा में उठे सवाल

सबने कहा, Covid-19 संग जारी जंग में लापरवाही होगी भारी, कई विशेषज्ञ चिकित्सकों ने परिचर्चा में लिया भाग

रिपोर्ट: संजय कुमार तिवारी

सासाराम (रोहतास)। "कोरोना महामारी से सीख और आने वाली चुनौतियाँ" विषय पर आयोजित ऑनलाइन परिचर्चा में बोलते हुए डॉ अवधेश कुमार, विभागाध्यक्ष, मेडिसिन विभाग, आईजी ईएसआई, अस्पताल दिल्ली ने कहा कि सरकार और समाज दोनों को सामूहिक भागीदारी निभाने की जरूरत है। कोविड अनुरूप आचरण का पालन बेहद जरुरी है, तभी हम इस जंग को जीत पाएंगे। थोड़ी सी लापरवाही भारी पड़ सकती हैं।

यह परिचर्चा कोविड रिस्पांस कोआर्डिनेशन कमिटी और हेल्थ वायर मीडिया द्वारा किया गया था। इस अवसर पर बोलती हुईं प्रख्यात शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ नीलम मोहन, मेदांता अस्पताल, गुड़गाँव ने कहा कि यह वायरस लगातार अपना रूप बदल रहा है। बीना टीका लगे आबादी में तो यह और तेजी से अपना रूप बदल लेता है। इसलिए जरुरी है कि हर व्यक्ति को टीका लगे। ध्यान रहे एंटीबॉडी स्थायी नहीं होता। हमें बूस्टर डोज की भी जरूरत होगी। महामारी में बच्चों के प्रति सचेत रहने की जरूरत है। बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए उनके खान–पान, नींद, व्यायाम, और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना होगा. बच्चों के माता-पिता टीका जरूर लगायें।

 चर्चा में भाग लेते हुए अजय झा, पैरवी ने कहा कि कोरोना ने पूरी दुनिया में गरीबी, गैरबराबरी और भूखमरी को बढाया है। इस महामारी ने समुदाय के महत्व को रेखांकित किया है। सामुदायिक मूल्यों को और मजबूत करने की जरुरत है। यह महामारी एक जूनोटिक बीमारी है। जलवायु परिवर्तन ऐसी आपदाओं को उभार सकता है। इसलिए हमें अपने आर्थिक विकास के केंद्र में प्रकृति को रखना ही होगम।

अबू धाबी से चर्चा में शामिल डॉ आनंदमयी सिन्हा, स्त्री रोग विशेषज्ञ, ने कहा कि पिछले 18 महीनों से लगातार काम करते देश के डॉक्टर और अन्य स्टाफ अब थक चुके हैं। आने वाली खतरे को ध्यान में रखते हुए आवश्यक स्वास्थ्य सेवा को और अधिक मजबूत करने की जरूरत है।

डॉ. किरण सिन्हा, जनरल प्रैक्टिशनर, लन्दन ने कहा कि हवा से फैलने वाले वायरस के प्रति ज्यादा सचेत रहने की जरूरत है. हमें छोटे-छोटे समूहों के साथ काम करने की जरूरत है. उन्होंने स्टेरॉयड के ज्यादा उपयोग पर सावधान करते हुए कहा कि यह खतरनाक हो सकता है।

परिचर्चा में लन्दन से शामिल डॉ प्रभा सिन्हा, स्त्री रोग विशेषज्ञ ने कहा कि भारत ही नहीं बल्कि यूरोप, अमेरिका, अफ्रीका के कई देशों में अस्पताल से लेकर शमशान तक लोगों की लंबी लाइन लगी हुई थी।

 नीदरलैंड्स में अभी लॉकडाउन खोलने के बाद इन्फेक्शन रेट अचानक ढाई गुना से अधिक बढ़ गया है। कार्यक्रम में आये डॉक्टरों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए प्रो.संजय भट्ट, समाज कार्य विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय ने कहा की कोरोना की लड़ाई में हम सभी ने योगदान दिया है, लेकिन डॉक्टरों ने बड़ी जिम्मेदारी का निर्वहन किया है।

इस अवसर पर कोविड रिस्पांस कोआर्डिनेशन कमेटी के सदस्य बंदी अधिकार आंदोलन के संतोष उपाध्याय, समग्र सेवा के मकेश्वर रावत , जवाहर ज्योति बाल विकास केंद्र के सुरेंद्र कुमार, चेतना सामाजिक संस्था के डॉ मिथिलेश कुमार, लोक विकास संस्थान के सुभाष दुबे, अमर त्रिशला सेवा आश्रम के रंजीत कुमार,नागरिक अधिकार मंच के शिव कुमार, सत्यकाम जनकल्याण समिति के शबाना आज़मी, राजीव रंजन सिंह सहित  देश के कई राज्यों से सामाजिक कार्यकर्ता शामिल थे।