कांग्रेस की जोनल प्रवक्ता पूर्णिमा पाण्डेय ने सरकारी कामकाज में कमीशनखोरी व सरकारी धन के बंदरबांट को लेकर नीतीश सरकार पर तीखा प्रहार किया है।
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कांग्रेस प्रवक्ता पूर्णिमा पांडेय, फोटो:pnp |
मेदिनीनगर (पलामू)। कांग्रेस की जोनल प्रवक्ता पूर्णिमा पाण्डेय ने सरकारी कामकाज में कमीशनखोरी व सरकारी धन के बंदरबांट को लेकर नीतीश सरकार पर तीखा प्रहार किया है। प्रेस को बयान जारी कर कहा कि हमारे यहाँ की सड़क, पुल, भवन या किसी भी सरकारी कार्य का निर्माण हो, पर उसका समय से पहले ख़राब होने जैसी समस्या आम बात है। इसके लिये हम लोग सम्बंधित संवेदक के ऊपर आरोप लगाते हैं, पर सच्चाई यह है कि इसके लिये सम्बन्धित अधिकारी से लेकर नज़दीकी विधायक-सांसद और मंत्री तक सीधा ज़िम्मेदार होते है।
इन्हीं के सरकारी धन में कमीशन का बंदरबाँट विकास कार्य को सबसे ज़्यादा प्रभावित करता है। चाहे सड़क निर्माण हो या पुल निर्माण या भवन निर्माण, सरकार द्वारा विकास कार्य के लिये भेजे गये रकम का 50 प्रतिशत भी उस विकास कार्य में उपयोग नहीं होता है, क्योंकि किसी भी विकास कार्य के टेंडर निकलवाने से लेकर काम होने तक नेता-अफ़सर की पूरी सेटिंग होती है। यहां तक ही नहीं, काम किसको मिलना चाहिये वो नेता-अफ़सर मिलकर निर्णय लेते हैं और उसी कम्पनी या संवेदक को काम भी दिया जाता है जो सम्बन्धित नेता-मंत्री और अधिकारी को अच्छा कमीशन देता। काम पूरा होने से पहले तक इन सब का कमीशन पहुँच जाता चाहिये और इस कमीशन के बंदरबाँट में सम्बन्धित विभाग के छोटा कर्मचारी, इंजीनियर से लेकर सेक्रेटरी लेवल के अधिकारी तक का कमीशन बंधा रहता है।
इसी तरह लोकल नेता जैसे स्थानीय विधायक-सांसद से लेकर सम्बन्धित मंत्री तक का कमीशन बंधा रहता है जिसका सीधा प्रभाव विकास कार्य पर दिखता है। किसी को उस सरकारी कार्य के गुणवत्ता की चिंता नहीं होती पर सबको अपने कमीशन की ज़्यादा चिंता होती है। वैसे तो मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक को ये बात पता होती है, पर इस व्याप्त भ्रष्टाचार के ऊपर कोई कार्यवाही नहीं करता है।
वैसे सरकार किसी की हो, इस पर कोई कार्रवाई नहीं करना चाहता है क्योंकि उनका कमाने का ज़रिया बंद हो जायेगा और इससे उनका एवं उनके पार्टी का विकास बाधित होगा। यही वजह से हमारे यहाँ के ज़्यादातर नेता-अफ़सर इतने अमीर होते हैं और उनके यहाँ करोड़ों की सम्पत्ति भी मिलती है।
मतलब कुल मिलाकर नेता-अफ़सर से लेकर ठेकेदार तक की मानसिकता बन गई है कि सरकारी कार्य एक कमाने का ज़रिया है चाहे उस सरकारी काम के गुणवत्ता में कितनी गिरावट आ जाये, पर उनके कमीशन के बंदरबाँट में कोई गिरावट नहीं आनी चाहिये।
जिसका नतीजा ये दिखता है कि सड़क, पुल, बिल्डिंग इत्यादि समय से पहले ख़राब हो जाते हैं। अतः मैं मीडिया के माध्यम से पलामूँ के सभी ऐसे नेता-अफ़सर चेतावनी देती हूँ कि सरकारी कार्य में कमीशन खाना बंद करे अन्यथा उनको सलाख़ों के पीछे भेजने में देरी नहीं होगी और सरकारी कार्य के गुणवत्ता में गिरावट कभी बर्दाश्त भी नहीं की जायेगी।