कुल्हड़िया गांव में अंबेडकर भवन एवं बाबूलाल राम के घर मकान से ग्रामीण लाचार एवं बेबस होकर रोपे गए धान के खेत में से पानी ओल्हकर आने- जाने को विवश हैं।
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रास्ता नहीं होने से खेत में पानी ओल्हकर जाते हैं मजदूर परिवार, फोटो-pnp |
हम आज़ादी के 75 वें वर्षगांठ में प्रवेश कर अमृत महोत्सव मना रहे है, लेकिन यह तस्वीर आज भी देखने को मिल रही है, जहां बिहार सरकार एक पक्का रास्ता भी उपलब्ध नहीं करा पाई।
आलम यह है कि सड़क नहीं बनने से ग्रामीणों को साइकिल एवं जूता को कंधे पर रख कीचड़ में पानी के बीच से होकर गुजरना पड़ता है। ग्रामीणों ने बताया कि दलित बस्ती में रेलवे लाइन निकल जाने से सबका घर मकान गिर गया है और जिसको जहां जमीन मिला वहां जमीन खरीद कर अपना अपना घर मकान बना लिया है, हालांकि कोई निजी जमीन में बनाया और कोई बिहार सरकार की जमीन में लेकिन कुछ घर पहले से भी बना है और कुछ लोगों ने नया घर बनाया है।
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रास्ता नहीं,यही विकास का दावा, फोटो-pnp |
जहां स्थानीय जनप्रतिनिधियों से ग्रामीणों ने कई बार सड़क बनाने की मांग करते रहे लेकिन प्रतिनिधि सिर्फ आश्वासन के अलावा और कुछ नहीं दिए।
जिसका नतीजा है कि ग्रामीण लाचार एवं विवश होकर रोपे गए धान की फसल के बीच से होकर जाने को लाचार मजबूर दिख रहे है। पंचायत के प्रतिनिधि उक्त पानी के बाहा का नापी करा कर उस पर सड़क का मरम्मत करा देते तो भी ग्रामीणों की समस्या दूर हो जाती।
लेकिन जन प्रतिनिधियों से लेकर शासन- प्रशासन के लोग सब कुछ जानते हुए भी मुक दर्शक बने रहे। जिसका नतीजा है कि खजुरा पंचायत में एक भी विकास का कार्य नहीं हुआ है, यह जीता जागता उदाहरण है। कुल्हड़िया गांव की दलित बस्ती में नारकीय स्थिति बनी हुई है।
बता दें कि कुलहड़िया गांव निवासी बाबूलाल राम के घर तक सड़क की बात तो दूर उक्त पंचायत के किसी गांव में शुद्ध रूप से गांव की गलियां नहीं बन पाई है और गांव की गली में ढलाई भी हुआ था उसको भी तोड़कर सात निश्चय योजना का पाइप डालने के लिए तोड़कर बेकार कर दिया गया है, जिससे ग्रामीणों को आने जाने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
स्थानीय ग्रामीण लाचार एवं विवश होकर जूता चप्पल एवं साइकिल को कंधे पर रखकर अपने घर जाते हैं। सात निश्चय योजना में भी बड़ी लूट खसोट किया गया है। जहां सात निश्चय योजना की पाइप को 3 फीट मिट्टी के अंदर डालना है वही मात्र 1 फीट का गड्ढा खुदाई करके गलियों में पाइप को डाला गया है।
खजुरा पंचायत में जमुरनी गांव की स्थिति काफी नारकीय हो गई है, जो विकास के नाम का उदाहरण साबित कर रहा है। सरकार इसकी जांच पड़ताल कराए तो सब भ्रष्टाचार उजागर हो जाएगा।