खजुरा पंचायत के जमुरनी गांव में बह रही है बैतरनी नदी , ग्रामीण करेंगे चुनाव का बहिष्कार

खजुरा पंचायत के जमुरनी गांव में बह रही है बैतरनी नदी , ग्रामीण करेंगे चुनाव का बहिष्कार

 ग्राम पंचायत खजुरा के जमुरनी गांव के मुख्य मार्ग की नारकीय स्थिति बनी हुई है, जहां जलजमाव के कारण सड़ रहे कचरे से दुर्गंध उठ रही है। ग्रामीणों ने चुनाव बहिष्कार की घोषणा की है।

जमुरनी गांव की नारकीय दशा,  फोटो-pnp

संजय मल्होत्रा, कैमूर/दुर्गावती। जनपद के दुर्गावती प्रखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत खजुरा के जमुरनी गांव के मुख्य मार्ग पर नारकीय स्थिति बनी हुई है, जहां जलजमाव के कारण सड़ रहे कचरे से दुर्गंध उठ रही है जिससे महामारी फैलने की आशंका जताई जा रही है।


जानकारी के मुताबिक पिछले दिनों पीसीसी ढलाई किया गया था, उक्त ढलाई को भी स्थानीय प्रतिनिधियों के द्वारा तोड़कर सात निश्चय योजना की पाइप डाल दी गई हैं। आलम यह है कि  तोड़े गए पीसीसी ढलाई नालायुक्त बनाकर उसके ऊपर ढक्कन तक नहीं लगाया गया है, उसी का नतीजा है कि जमुरनी गांव के बीचों बीच कीचड़ युक्त बैतरनी नदी बह रही है। जहां आए दिन ग्रामीण गिरकर चोटिल हो जाते हैं। 


स्थानीय ग्रामीणों की मानें तो वर्तमान प्रतिनिधियों से लेकर शासन-प्रशासन के लोगों से भी उस रास्ते की मरम्मत कराने की मांग की गई थी, लेकिन किसी के कानों पर जूं तक नहीं रेंगा। 


इस गांव की हालत ऐसी हो गई है कि चार पहिया वाहन गांव में नहीं जा सकता है, जहां पर ट्रैक्टर ही नहीं ट्रक जाता था। आज ऐसी भयावह स्थिति हो गई है कि गांव के लोग ही नहीं बल्कि बताया जाता है कि दूसरे गांव के लोग उक्त गांव में जाने के बाद स्थानीय प्रतिनिधियों एवं शासन प्रशासन के लोगों को कोसते ही नहीं बल्कि पीठ पीछे अपशब्द का प्रयोग करते भी नजर आ रहे हैं। जहां स्थानीय प्रतिनिधि और शासन-प्रशासन के लोग सब कुछ जानते हुए भी मूकदर्शक बने हुए हैं। 



सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बीते 2020 विधानसभा चुनाव में स्थानीय प्रखंड विकास पदाधिकारी उक्त रास्ते से गुजरते हुए ग्रामीणों को आश्वासन दिया था कि इस गांव के मुख्य मार्ग को बनवाया जाएगा लेकिन उनका भी आश्वासन हवा-हवाई साबित रहा है। इस तरह से झूठे वादे करते फिर रहे हैं लोग। आखिर किस पर भरोसा एवं विश्वास किया जाए आश्वाशन की तो हद हो गई है। अब पंचायती चुनाव सर पे चढ़ कर बोल रहा हैं जहां प्रत्याशी फिर दोबारा झूठे वादे करते फिर रहे हैं। 


सच तो यह है कि खजुरा पंचायत में कोई भी गांव हो किसी भी गांव की गलियां पूर्ण रूप से नहीं बन पाई है, जिसका नतीजा है कि बरसात के दिन हो या गर्मी का ग्रामीणों को रास्ता चलने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इस पंचायत में कितना विकास हुआ है, जनता इसको बखूबी समझ रही है। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि बिहार में त्रिस्तरीय पंचायती चुनाव कि सरगर्मी बढ़ गई है और आए दिन बहुतेरे समाजसेवी एवं जनप्रतिनिधि गांव की गलियों में चक्कर काटते नजर आ रहे हैं और वोट लेने के फिराक में लगे हुए हैं और चुनाव जीतने के बाद दोबारा गांव के गलियों में प्रतिनिधि नजर तक नहीं आते हैं, ऐसे में भला किसे वोट दिया जाए


 खजुरा पंचायत की जनता अबकी बार वोट का बहिष्कार करेगा और किसी प्रतिनिधि को वोट नहीं दिया जाएगा। ग्रामीणों ने कहा कि मिडिया के माध्यम से इस समस्या को सरकार तक पहुंचाया जाए और कहा कि सरकार इस पर संज्ञान लेते हुए उक्त सड़क की मरम्मत कराया जाए नहीं तो जन आन्दोलन भी होगा।