कॉरपोरेट जगत के हवाले करके नहीं बचाई जा सकती सहकारी कृषि आंदोलन ही खेती , कराह रहे धान के कटोरे में किसान

कॉरपोरेट जगत के हवाले करके नहीं बचाई जा सकती सहकारी कृषि आंदोलन ही खेती , कराह रहे धान के कटोरे में किसान

उधारी व्यवस्था से देश की अर्थव्यवस्था को मज़बूत नहीं किया जा सकता है, बल्कि कृषि को मजबूत करके ही देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जा सकता है।

सांकेतिक फोटो, pnp

चन्दौली/चकिया। उधारी व्यवस्था से देश की अर्थव्यवस्था को मज़बूत नहीं किया जा सकता, बल्कि कृषि को मजबूत  करके ही देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जा सकता हैं। 


आलम यह है कि धान का कटोरा कहे जाने वाले चन्दौली के किसान अपनी दुर्दशा को लेकर कराह रहे हैं। इनकी बदहाली की ओर किसी का ध्यान नहीं है। यही स्थिति दिनों दिन पूरे पूर्वांचल की होती जा रही है।


 मगर मोदी सरकार लगातार कृषि को घाटे में लाकर कारपोरेट के हवाले करना चाह रही है जबकि कृषि आंदोलन चलाकर खेती को बचाया जा सकता है। यह इसलिए कि अभी भी देश का सत्तर फीसदी आबादी कृषि पर निर्भर है। सरकार की नीतियों ने किसानों की जिंदगी को तबाह कर दिया है, भले ही मोदी सरकार विकास का ढिंढोरा पिटे।


 लेकिन सच्चाई यह है कि किसानों की जिंदगी का लाइफ लाइन जिसे कृषि कहते हैं, वह लगातार घाटें में जा रही है। किसानों के सभी कर्जमाफी व उपज में लागत का 1- 1/2 गुणा दाम देने का मोदी- योगी सरकार के वादे तो छलावा साबित हुए ही है। अपने फसल को सरकारी संस्थानों में बचने के बाद आज भी किसान बकाया भुगतान के लिए भी अधिकारियों का चक्कर काटने को मजबूर हैं।


सच तो यह है कि केंद्र व राज्य में बैठ सरकार केवल विकास का सब्जबाग दिखाती रहती है। जबकि यह सत्य है कि देश में कोई भी विकास कृषि और किसानों की क्रयशक्ति बढ़ाये बिना सम्भव नहीं हो सकता है।


 कृषि का पुनर्जन्म और चौतरफा विकास से ही उद्योग, व्यापार, सेवा क्षेत्र के विकास को रफ्तार दिया जा सकता है। जिससे बड़े पैमाने पर रोजगार का भी सृजन होना तय है।


केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने भी नहीं उठाया गृह जनपद चन्दौली के किसानों की दुर्दशा का सवाल!

किसान नेता अजय राय, फोटो-pnp
आईपीएफ कार्य समिति सदस्य अजय राय कहते हैं कि केन्द्रीय रक्षा मंत्री  राजनाथ सिंह का गृह जनपद चन्दौली है। जब कभी-कभार गृह जनपद में चुनाव के दौरान आते हैं तो उनके मुंह से किसानों के हित की बातें सुनी जाती है मगर बाद में कोई ठोस परिणाम सामने नहीं दिखता है। जनपद चंदौली के किसानों की हालत खराब है, नहर, माइनर, बन्धे जर्जर हो चले हैं। लिफ्ट कैनाल शो पीस दिखते हैं। फसलों की उपज की कोई गारंटी नहीं हैं, सरकार कॉरपोरेट की लूट के लिए खेती को बर्बाद करने की नीतियों पर अमल कर रही है, लेकिन सभी के साथ वह भी मौन से दिखते हैं। 


धान का कटोरा कहा जाने वाला चन्दौली जनपद में सहकारी कृषि आंदोलन के द्वारा कारपोरेट जगत की लूट के खिलाफ खेती को बचाने के लिए अभियान चलाया जायेगा। सहकारी कृषि करने व किसानों की उपज की गांव स्तर पर खरीद की गारंटी करनी होगी। तभी किसान सहकारी कृषि की भावना को आगे बढ़ाने के लिए आगे आएंगे।