श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पूरे क्षेत्र में जगह-जगह भक्ति भाव से मनाया गया। ज्यादातर घरों में ही युवाओं ने झांकियां सजाकर पूजन-अर्चना की।
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जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण लीला रचते बच्चे, फ़ोटो-pnp |
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मध्य रात्रि में 12 बजे सोहर, वैदिक मंत्रोच्चार के बीच भगवान का जन्म हुआ तो साधकों ने जयघोष कर प्रभु के आगमन की खुशियां मनाई। जन्मोत्सव के मौके पर अधिकांश गृहस्थों ने सुबह में ही स्नान कर पूजन पाठ किया और व्रत रखा।
गांवों व कस्बों में कृष्ण के जन्म की आकर्षक झांकियों को सजायी गयी था। रात में सभी स्थानों पर सोशल डिस्टेंसिंग के बीच पूजन-अर्चन कराया। अलीनगर, मानस नगर, तारा जीवनपुर, नई बस्ती, आलमपुर, सदलपुरा, भूपौली सहित अन्य स्थानों पर मंदिरों में आकर्षण झांकियां सजी थी।
नगर तथा ग्रामीण क्षेत्रों में सुबह से शाम तक आकर्षक झांकियों के सजाने का कार्य चला। शाम को शुरू हुआ भजन कीर्तन दौर जो देर रात्रि तक चलता रहा।इस बार बाहर से किसी गायक को नहीं बुलाया गया। दर्शनार्थियों को भी बैरिकेडिंग के बाहर से ही दर्शन करने की अनुमति दी गई। कोरोना महामारी के चलते भी लोगों ने पंडाल में प्रतिमा स्थापित कर पूजन-अर्चन करने से अपने को दूर ही रखा।
अधिकांश घरों में ही युवाओं व बच्चों ने आकर्षक झांकियां सजाकर एवं डीजे की धुन पर भगवान कृष्ण के गीतों पर नृत्य किया और रात 12 बजे पूरे विधि विधान से जन्मोत्सव कार्यक्रम मनाया। इसके बाद मौजूद सभी लोगों ने प्रसाद भी ग्रहण किया।