गरीबों के स्वास्थ्य कल्याण के लिए शुरू हुई मोदी सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी योजना ‘आयुष्मान भारत’ का लाभ कोरोना काल में सफेद हाथी साबित हुआ है!
●गरीबों के स्वास्थ्य कल्याण की योजना "आयुष्मान योजना" में पुन: सर्वे कराकर सभी गरीबों का नाम शामिल हो:अजय राय
चकिया(चन्दौली)। गरीबों के स्वास्थ्य कल्याण के लिए शुरू हुई मोदी सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी योजना ‘आयुष्मान भारत’ का लाभ कोरोना काल में सफेद हाथी साबित हुआ है।
स्वास्थ्य कल्याण के आयुष्मान योजना के कार्ड धारकों प्राईवेट हास्पिटल जो योजना का लाभ देने के लिए सम्बन्ध किया गया था वह कोरोना काल में कोरोना महामारी से जूझ रहें मरीजों को कोई लाभ नहीं दिया वहीँ हाल सरकारी हास्पिटल का भी रही, फिर भी इस मोदी जी की स्वास्थ्य कल्याण की महत्वाकांक्षी योजना में सहीं पात्रता वाले लोगों की जगह सूची में बड़े कई लोगों के नाम शामिल हैं।
यही नहीं अभी तक चन्दौली जनपद के चकिया में जो आयुष्मान भारत का कार्ड बना है उसमे ज्यादातर बड़े लोगों को आयुष्मान भारत के लाभार्थियों की सूची में शामिल किया गया है और गांव - शहर के गरीबों के नाम का आयुष्मान योजना में शामिल नहीं हैं।
आईपीएफ के प्रदेश कार्य समिति सदस्य अजय राय के नेतृत्व में जांच करने की गई। दरअसल, इस योजना को लेकर जानकारी मिली है कि लाभार्थियों को लेकर जो सूची तैयार की गई है उसमें बीपीएल श्रेणी से ऊपर वाले लोग भी शामिल हैं। इस खुलासे के बाद इस योजना के उद्देश्यों पर सवाल खड़े हो गए हैं।
अधिकारिक जानकारी के अनुसार 2011 की जनगणना के मुताबिक गरीबी रेखा की सूची के आधार पर इस योजना की पात्रता सूची तैयार की गई है. लेकिन सही मायने में पात्र गरीब लोगों को वंचित करके बड़े कारोबारियों को शामिल किया गया है।
अभी भी जो जानकारी मिल रही हैं यह कि आयुष्मान योजना में नाम जोड़ने व कार्ड बनाने में हेराफेरी हो रहीं हैं। वही यह स्वास्थ्य कल्याण की योजना आयुष्मान योजना से लाभार्थियों की लाभ लेने की जांच हो तो प्राईवेट हास्पिटल मालामाल हुए हैं।
गरीबों के स्वास्थ्य कल्याण योजना "आयुष्मान योजना " में गाँव व शहरों में पुनः सर्वे कराकर गरीबों के नाम जोड़ने की की मांग आईपीएफ ने उठायी हैं।