यूपी में सरकार द्वारा कोरोना के करोड़ों में लगने वाले टीके के दावे को कितना सच माना जाए, यह खबर आपको हकीकत बतलाने के लिए काफी है।
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सांकेतिक फोटो |
Highlights:
● स्वास्थ्य विभाग के इस कारनामे ने सारी व्यवस्था पर ही प्रश्न चिन्ह लगा दिया है।
● यह स्वास्थ्य विभाग की गलती या कोरोना वैक्सीन के लिए आंकड़ों का खेल
● सुल्तानपुर में भी मृत किसान का जारी हुआ था वैक्सीन टीकाकरण का सर्टिफिकेट
लखनऊ। यूपी में सरकार द्वारा कोरोना के करोड़ों में लगने वाले टीके के दावे को कितना सच माना जाए, यह खबर आपको हकीकत बतलाने के लिए काफी है। यूपी सरकार के स्वास्थ्य विभाग के इस कारनामे ने सारी व्यवस्था पर ही प्रश्न चिन्ह लगा दिया है।
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हुआ यूं कि उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में स्वास्थ्य विभाग ने एक ऐसे व्यक्ति का कोरोना वैक्सीन लगवाने के टीके का प्रमाण पत्र जारी कर दिया जो बहुत पहले ही मर चुका है। यह स्वास्थ्य विभाग को एक बड़ी लापरवाही मानी जा रही है।
जिसके नाम सर्टिफिकेट किया जारी, वो 5 जून को हो गया है मृत
खबर यह है कि 5 जून को राजपति की मौत हो गई थी जिसका प्रमाण भी जारी हो गया। लेकिन स्वास्थ्य विभाग कोरोना के अधिक से अधिक वैक्सीन लगाने की होड़ में मृत राजपति की मौत के बाद भी 28 अगस्त को दूसरी डोज लगा दिया गया। यही नहीं विभाग ने उसका वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट भी जारी कर दिया। यह पूरा मामला बलरामपुर जनपद के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र उतरौला ग्राम नया नगर का बताया जा रहा है। जब मामला सबके सामने आया तो सभी आला अफसरों ने चुप्पी साध ली।
सुल्तानपुर जनपद में भी जारी हुआ था मृत किसान के वैक्सीन टीकाकरण का प्रमाण पत्र
मुर्दों को टिका लगाने की यह खबर कोई नहीं है। कुछ महीनों पहले ही यूपी के सुल्तानपुर में एक मृत किसान को वैक्सीन लगाने के स्वास्थ्य विभाग ने सर्टिफिकेट जारी कर दिया था, जिस पर काफी हो हल्ला मचा।
विपक्षी दल योगी सरकार पर कसे तंज!
अब यह मामला तूल पकड़ता जा रहा है। और विभाग इसे कर्मियों की गलती मान रहा है। वहीं दूसरी ओर विपक्षी योगी सरकार पर तंज कसने लगे हैं। उनका आरोप है कि सरकार के दबाव में लाखों- करोडों की संख्या दिखाने की होड़ में स्वास्थ्य विभाग ऐसे कारनामे करने को मजबूर हैं।