आईपीएफ के राज्य समिति सदस्य व किसान मजदूर नेता अजय राय कहते हैं कि कई साल तक ख़ामोश रहने के बाद सपा और बसपा फिर से लोगों के सामने आ रहे हैं।
अजय राय, फोटो: pnp |
● जनता के मुद्दे इनके लिए केवल भाषण तक सीमित
चन्दौली। आईपीएफ के राज्य समिति सदस्य व किसान मजदूर नेता अजय राय कहते हैं कि कई साल तक ख़ामोश रहने के बाद सपा और बसपा फिर से लोगों के सामने आ रहे हैं। ये पार्टियां सम्मेलनों और सभाओं के आयोजन में व्यस्त हैं। लेकिन, सोशल इंजीनियरिंग के नाम पर जाति को ही अपना तारणहार बना लिया है।
ये पार्टियां या तो ज़मीनी स्तर पर लोगों की परेशानियों और ग़ुस्से को समझ पाने में असमर्थ हैं या जानबूझकर उनकी अनदेखी कर रही हैं या फिर एक ऐसी धारणा बना लिया हैं जनता के मुद्दे उठाने पर हमारी पूर्व सरकार के काम काज भी घेरे में आ सकती हैं। फिर भी किसानों के आंदोलन ने राजनैतिक रुप से हलचल तो मचा ही दिया हैं।
इस समय अस्वस्थ चल रहे श्री राय बहुत ही गुस्से में कहते हैं कि किसानों को अडानी-अंबानी की गुलामी बर्दाश्त नहीं है। गुलामी चाहे आर्थिक हो, राजनीतिक हो अथवा धार्मिक, अपने बल और विवेक को गिरवी रख कर की जाती है।
पूर्वांचल के किसान मजदूर कारपोरेट की गुलामी करने के लिए तैयार नहीं हैं। लोग चाहते हैं कि तीनों नए कृषि बिल खत्म हो। नहीं तो लोग भाजपा को खदेड़कर भगा देंगे।
जबकि किसान नेता अजय राय सपा बसपा को आड़े हांथ लेते हैं। कहते हैं कि तीनों कृषि काले कानून और न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी करें। भाजपा सरकार की ये दोनों पार्टियां का विरोध केवल रस्में अदायगी हैं। इनके लिए जनता के मुद्दे केवल भाषण का विषय बनता जा रहा है। इनका मकसद यानिजिनके लिए कोई नीति है, केवल कुछ सीट मिल जाए, जनता के मुद्दे, किसानों के चल रहें मुद्दे कोई मतलब नहीं। वैसे जातियों के तनखइया संगठन से गठबंधन कर सरकार बनाना सपा की नीति है।
आईपीएफ राज्य कार्य समिति सदस्य अजय राय ने कहते हैं कि आज भाजपा का उत्तर प्रदेश में सत्ता में आयी वह सपा बसपा के गलत कार्य करने से कारण ही आयी हैं। उन्होंने कहा कि जनआंदोलन की ताकतों का गठबंधन होना चाहिए और साथ ही जनता को भी नये विकल्प के साथ खड़ा होना चाहिए।