उत्तर प्रदेश सरकार में धान की सरकारी खरीद में भ्रष्टाचार की न्यायिक जांच कराए तथा सरकारी रेट पर धान की खरीद सुनिश्चित करे|
IPF नेता अजय राय, फाइल फोटो |
● आईपीएफ ने कहा सरकारी रेट पर धान की खरीद सुनिश्चित करे सरकार
CHANDAULI,चकिया | उत्तर प्रदेश सरकार में धान की सरकारी खरीद में भ्रष्टाचार की हो न्यायिक जांच तथा सरकारी रेट पर धान की खरीद सुनिश्चित करे |
ये बातें आज अजय राय राज्य कार्य समिति सदस्य आल इंडिया पीपुल्स फ्रन्ट ने प्रेस को जारी बयान में कही है। उन्होंने आगे कहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार का हरेक किसान के धान को सरकारी रेट पर खरीदने का दावा झूठा है क्योंकि यह खरीददारी किसान से सीधे न करके उसके नाम पर धान मिलों/बिचौलियों के माध्यम से की जा रही है जो इसे किसान से बहुत कम दाम पर खरीदते हैं।
खलिहान में पड़ा धान, फोटो-pnp |
इसकी पुष्टि किसी भी किसान से की जा सकती है। ऐसा इस लिए संभव हो पाता है क्योंकि सरकारी धान क्रय केंद्रों पर किसान को तरह तरह की आपत्तियाँ लगाकर तथा खरीद में विलंब करके इतना परेशान कर दिया जाता है कि वह इसे बिचौलियों या धान मिलों को बेचने के लिए मजबूर हो जाता है।
इसी कारण से कुछ जगह पर किसानों ने परेशान हो कर धान को जलाने की कोशिश तक की थी। यह सर्वज्ञात है कि धान की सरकारी खरीद में भ्रष्टाचार से हुई कमाई में नीचे से लेकर ऊपर तक सबकी हिस्सेदारी रहती है। पूरे देश में उत्तर प्रदेश ही ऐसा राज्य है जहां धान/गेहूं की खरीददारी में कई सौ करोड़ का भ्रष्टाचार होता है। यदि इस मामले की न्यायिक जांच करा ली जाए तो सारा सच सामने आ जाएगा।
जिस धान की सरकारी खरीद 1940 रू प्रति क्विंटल होनी चाहिए किसान उसे 1400-1500 रू में बेचता है जिससे वह न्यूनतम समर्थन मूल्य के लाभ से वंचित हो जाता है। खाद, बीज तथा दवाईयों की कीमत में भारी वृद्धि के कारण धान की प्रति क्विंटल लागत 700 रू आती है और उसका धान सरकारी रेट पर न बिकने से उसे इस पर कोई लाभ नहीं मिलता है जिस कारण खेती अलाभकारी बनी हुई है।
अतः आल इंडिया पीपुल्स फ्रन्ट मांग करता है कि धान/गेहूं की खरीद में हो रहे भ्रष्टाचार की न्यायिक जांच कराई जाए, वर्तमान में धान खरीददारी में हो रहे भ्रष्टाचार को रोका जाए और किसानों से सरकारी रेट पर खरीददारी सुनिश्चित की जाए। इसके साथ ही आईपीएफ सभी किसान संगठनों से भी अपील कर है कि वे धान की सरकारी खरीद में चल रहे भ्रष्टाचार का विरोध करें ताकि किसानों को उन की फसल का एमएसपी मूल्य मिल सके।