पवनी पंचायत व इटाढ़ी के नोनियापुर गांव के बीच एक बरगद के तने तथा जड़ से पिछले चार दिनों से पानी का रिसाव हो रहा था| जिसकी जानकारी होने पर ग्रामीण दैवीय शक्ति का चमत्कार मान पेड़ के पास पहुंचने लगे|
वैज्ञानिक ने कहा दैवीय चमत्कार नहीं बल्कि बैक्टीरियल डिसऑर्डर के कारण हुआ है, लोगों से कहा तरल द्रव्य पीने से करें परहेज
पूर्वान्चल न्यूज़ प्रिंट,चौसा (बक्सर): चौसा प्रखंड के पवनी पंचायत व इटाढ़ी के नोनियापुर गांव के बीच एक बरगद के तने तथा जड़ से पिछले चार दिनों से पानी का रिसाव हो रहा था। जिसकी जानकारी होने पर गांव के ग्रामीण दैवीय शक्ति का चमत्कार मान पेड़ के पास पहुचने लगे।
जहा पूजा-पाठ के साथ रिसाव वाले पानी को बर्तनों व बोतलों में जमा कर पीने लगे। ग्रामीणों ने बताया कि पानी का स्वाद नारियल के पानी की तरह लग रहा है।मगर, वैज्ञानिक दृष्टिकोण से शरीर के लिए हानिकारक है।
इस बात की चर्चा देखते ही देखते आसपास के इलाकों में जंगल की आग की तरह फैल गई और आस-पास गांव के लोग मौके पर पहुंचने लगे हैं। पवनी तथा इटाढ़ी प्रखंड के नोनियापुर गांव के सीमा पर स्थित उक्त स्थान पर पहुंचे पत्रकारों ने जब ग्रामीणों से बातचीत की तो लोगों ने कहा तीन-चार दिन जब वह खेतों के बीच खड़े बरगद के पेड़ के समीप पहुंचे थे।
वहां उन्हें जड़ों से पानी का स्राव होता दिखा। बाद में अगले दिन पहुंचने पर पानी का स्राव कुछ ज्यादा बढ़ गया था, बाद में अन्य ग्रामीणों को इसकी सूचना मिली और अब वहां सैकड़ों ग्रामीण महिला और पुरुष पहुंचने लगे, साथ पौधे के समीप भगवान की तस्वीर रखकर तथा फूल मालाएं अर्पित कर तन्मयता से पूजन-अर्चन कर रहे हैं।
कृषि वैज्ञानिक ने बताया एंटीबैक्टीरियल रूट डिसऑर्डर, कहा- पानी पीना हानिकारक
कृषि वैज्ञानिक डॉ देवकरण ने बताया कि पेड़ की जड़ों से पानी का निकलना एंटीबैक्टीरियल रूट डिसऑर्डर है जिसके कारण उन्होंने कहा कि अक्सर ऐसा होता है कि जब पेड़ों में संक्रमण हो जाता है और तरल द्रव्य बाहर निकलने लगता है लेकिन, यह कोई चमत्कार नहीं बल्कि पेडों में उत्पन्न विकार के कारण होता है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि जड़ों से निकलने वाले तरल द्रव्य का सेवन स्वास्थ्य के लिए अहितकर है। ऐसे में लोग इससे परहेज करें।
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