कविता: आपने मुस्कुरा दिया जब से, वक्त मेहबूब बन गया तब से।

कविता: आपने मुस्कुरा दिया जब से, वक्त मेहबूब बन गया तब से।

 कविता: आपने मुस्कुरा दिया जब से। वक्त मेहबूब बन गया तब से।।


आपने मुस्कुरा दिया जब से।
वक्त मेहबूब बन गया तब से।

आज वो पा लिया अचानक ही
माँगकर थक गए जिसे रब से

जानकर भी न बनो अनजाने
पूछकर मीत ये हुआ कब से

झूठ  मत  जानिये यही सच है
प्यार बस आपको कहा लब से

प्रेम में डर नहीं रखो सरिता
बोल दो बोल दो भले सब से

 कवियत्री सरिता कटियार, लखनऊ 

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