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कविता : पहिले मारे फिर गरिआवे....|
लेखक - धन्नू लाल ' प्रेमातुर ' कविता पहिले मारे फिर गरिआवे लोर पोंछ झगरा फरिआवे पहिले छितरावे फिर सरिआवे दूर …
6/08/2025 09:20:00 pmलेखक - धन्नू लाल ' प्रेमातुर ' कविता पहिले मारे फिर गरिआवे लोर पोंछ झगरा फरिआवे पहिले छितरावे फिर सरिआवे दूर …
भ्रष्टाचार अगर मिट जाये, भारत के मन-प्राणों से .....पढ़ें रचनाकार : डॉ० मनीराम वर्मा की कविता | रचनाकार : डॉ० मनीराम वर्…
कविता: आपने मुस्कुरा दिया जब से। वक्त मेहबूब बन गया तब से।। आपने मुस्कुरा दिया जब से। वक्त मेहबूब बन गया तब से। आज व…