MSP पर कानून बनाने के मामले में वादाखिलाफी का आरोप संयुक्त किसान मोर्चा ने दिया धरना

MSP पर कानून बनाने के मामले में वादाखिलाफी का आरोप संयुक्त किसान मोर्चा ने दिया धरना

MSP पर कानून बनाने के मामले में वादाखिलाफी का आरोप लगा संयुक्त किसान मोर्चा ने धरना देते हुए आक्रोश मार्च किया|

धरना पर बैठे किसान नेता अजय राय, फोटो-pnp

चन्दौली- चकिया, पीएनपी । संयुक्त किसान मोर्चा के केंद्रीय स्तर के नेताओं के आह्वान पर आज  21 मार्च को लखीमपुर खीरी षड्यंत्र हत्याकांड के खिलाफ चन्दौली जनपद के चकिया में 'आक्रोश-मार्च' किया गया। साथ ही MSP पर कानून बनाने के मामले में वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए संयुक्त किसान मोर्चा ने धरना दिया।

 धरना में वक्ताओं ने कहा कि कृषि लागत खर्च (C2)के अनुमान में किसान और उसके परिवार के श्रम को साधारण श्रम के रूप में देखा जाता है, जबकि हम सब यह जानते हैं कि किसान और उसके परिवार का श्रम साधारण श्रम नहीं होता है, बल्कि कुशल श्रम होता है। वह उसके ज्ञान के ऊपर आधारित होता है, इसलिए यह ज़रूरी है कि MSP तय करते वक्त किसान और उसके परिवार के श्रम को कुशल श्रम का दर्जा दिया जाय। 

आक्रोश मार्च, फोटो-pnp
किसान को अपनी किसानी का ज्ञान हासिल करने में सालों के खेती-किसानी में कठिन प्रशिक्षण व परिश्रम से गुजरना पड़ता है। किसान के श्रम को MSP की गणना में कुशल श्रम का दर्जा देने की मांग की गई। 

वक्ताओं ने कहा कि सरकार द्वारा कृषि लागत में कम्पनियों के खाद,बीज,कृषि औजार,मशीनों के मूल्य को भी न्यूनतम करनी चाहिए। देश भूख सूचकांक में लागतार पीछे जा रहा है, कुपोषण के मामलें में भी ऐसा ही हाल है। ऐसे में गरीब-भूमिहीन किसानों,मजदूरों के लिए 'संतुलित आहार गारंटी कानून' की मांग को भी मजबूती से उठाने की जरूरत है। 
वक्ताओं ने मांग किया कि बुनकरों का बिजली फ्लेट रेट पहले की तरह जारी रखा जाय। सरकार को बटाईदार किसानों का पंजीकरण करते हुए उन्हें बंटाईदारी का प्रमाण पत्र देना चाहिए । इन किसानों को भी मिलने वाली सभी सुविधाओं- बाढ़ /सूखा राहत,सस्ती खाद-बीज-कीटनाशक, किसान सम्मान राशि व ग्रीन कार्ड की गारंटी हो।

संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर चकिया में आक्रोश धरना में अखिल भारतीय किसान सभा के जिला अध्यक्ष परमानन्द कुशवाहा, उत्तर प्रदेश किसान सभा के राज्य कार्य समिति सदस्य शुकदेव मिश्रा, मजदूर किसान मोर्चा राज्य कार्य समिति सदस्य अजय राय, किसान नेता लालचंद यादव, शम्भू नाथ यादव, राजेन्द्र यादव, रामनिवास पाण्डेय, शिवमुरत राम, भृगनाथ विश्वकर्मा, सिपाही चौहान, बजरंगी चौहान, धरम सिंह सहित दर्जनों किसान शामिल रहे।
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