..ऐसी परिस्थितियों को समझने की परख किसी पार्टी ने साबित करने की कोशिश की है तो भारत को जानने वाली पार्टी भाजपा ही है, जिसे आम आदमी भूरी-भूरी प्रशंसा करने लगा है |

भारत की भावी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी, photo: विकिपीडिया
Purvanchal News Print |नई दिल्ली से जय राम राय की रिपोर्ट :- कहते हैं विधि का विधान बड़ा विचित्र होता है, भाग्य में जो लिखा होता है वह सच होकर ही रहता है | भाग्य को नश्वर शरीर में जो आंख है, उससे नहीं पढ़ा जा सकता है|
अदृश्य शक्तियों के द्वारा ही भाग्य को पढ़ा जा सकता है, जिसे प्रबल दृष्टि कहेंगे। ऐसी परिस्थितियों को समझने की परख किसी पार्टी ने साबित करने की कोशिश की है तो वह भारत को जानने वाली पार्टी भाजपा ही है, जिसकी सामान्य जनता भी भूरी-भूरी प्रशंसा करने में लगी है|
भारत की भावी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी, photo: विकिपीडिया |
क्योंकि ...भारत की राष्ट्रपति बनने जा रहीं द्रौपदी मुर्मू जी के बारे में जानें वो तेरह सच |
1.वो बेटी, जो एक बड़ी उम्र तक घर के बाहर शौच जाने के लिए अभिशप्त थी.. अब वो भारत की 'राष्ट्रपति' बनने जा रही है।
2. वो लड़की, जो पढ़ना सिर्फ इसलिए चाहती थी कि परिवार के लिए रोटी कमा सके.. वो अब भारत की 'राष्ट्रपति' बनने जा रही है।
3. वो महिला, जो बिना वेतन के शिक्षक के तौर पर काम कर रही थी.. वो अब भारत की 'राष्ट्रपति' बनने जा रही है।
4. वो महिला, जिसे जब ये लगा कि पढ़ने-लिखने के बाद आदिवासी महिलाएं उससे थोड़ा दूर हो गई हैं तो वो खुद सबके घर जा कर 'खाने को दे' कह के उनके बीच बैठने लगीं.. वो अब भारत की 'राष्ट्रपति' बनने जा रही हैं।
5. वो महिला, जिसने अपने पति और दो बेटों की मौत के दर्द को झेला और आखिरी बेटे के मौत के बाद तो ऐसे डिप्रेशन में गईं कि लोग कहने लगे कि अब ये नहीं बच पाएंगी.. वो अब भारत की 'राष्ट्रपति' बनने जा रही हैं।
6. जिस गाँव में कहा जाता था राजनीति बहुत खराब चीज है और महिला को तो इससे बहुत दूर रहना चाहिए, उसी गाँव की महिला अब भारत की 'राष्ट्रपति' बनने जा रही है।
7. वो महिला, जिन्होंने अपना पहला काउंसिल का चुनाव जीतने के बाद जीत का इतना ईमानदार कारण बताया कि 'वो क्लास में अपना सब्जेक्ट ऐसा पढ़ाती थीं कि बच्चों को उस सब्जेक्ट में किसी दूसरे से ट्यूशन लेने की जरूरत ही नहीं पडती थी और उनके 70 नम्बर तक आते थे इसीलिए क्षेत्र के सारे लोग और सभी अभिवावक उन्हें बहुत लगाव करते थे'.. वो महिला अब भारत की 'राष्ट्रपति' बनने जा रही है।
8. वो महिला, जो अपनी बातों में मासूमियत को जिन्दा रखते हुए अपनी सबसे बड़ी सफलता इस बात को माना कि 'राजनीति में आने के बाद मुझे वो औरतें भी पहचानने लगी जो पहले नहीं पहचानती थी'.. वो अब भारत की 'राष्ट्रपति' बनने जा रही हैं।
9. वो महिला, जो 2009 में चुनाव हारने के बाद अपनी असफलता की जड़ को तलाशने फिर से गाँव में जा कर रहने लगी और जब वापस लौटी तो अपनी आँखों को दान करने की घोषणा की.. वो अब भारत की 'राष्ट्रपति' बनने जा रही हैं।
10. वो महिला, जो ये मानती हैं कि 'Life is not bed of roses. जीवन कठिनाइयों के बीच ही रहेगा, हमें ही आगे बढ़ना होगा। कोई push करके कभी हमें आगे नहीं बढ़ा पायेगा'.. वो अब भारत की #राष्ट्रपति बनने जा रही हैं।
11. दशकों-दशक से ठीक कपड़ों और खाने तक से दूर रहने वाले समुदाय को देश के सबसे बड़े 'भवन' तक पहुँचा कर भाजपा ने विश्व को फिर से दिखा दिया है कि यहाँ रंग, जाति, भाषा, वेष, धर्म, संप्रदाय का कोई भेद नहीं चलता।
12 .जिनके प्रयासों से उनके गाँव से जुड़े अधिकतर गाँवों में आज लड़कियों के स्कूल जाने का प्रतिशत लड़कों से ज्यादा हो गया है, ऐसी द्रौपदी मुर्मू जी भारत के राष्ट्रपति बनने जा रही हैं।
13. 'राष्ट्रपति भवन' अब वास्तविकता में 'कनक भवन' बनने जा रहा है इस नेक नियति ने भाजपा को भारत को जानने वाली पार्टी के रूप में आम जनमानस में चर्चा का विषय बना हुआ है।
अगला राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू |
आदर्श देखिए..
मीडिया ने द्रौपदी मुर्मू की सिर्फ एक खूबी को प्रसारित किया कि वह आदिवासी यानी वनवासी हैं। लेकिन उनके जुझारूपन और उनके संघर्ष को किसी ने नहीं प्रचारित किया |
- पति और दो बेटों के निधन के बाद पढ़ाई करना... वह भी अपने बच्चों की उम्र के साथ के लोगों के बीच में बैठकर परीक्षाएं पास करते-करते ग्रेजुएट होना।सरकारी नौकरी प्राप्त करना।
- दो बेटों और पति का निधन के बाद खुद और बेटियों तथा परिवार को सँभालना।उसके बाद छोटी नौकरी से शुरुआत करते हुए परीक्षा देते देते क्लास टू की पोस्ट तक जाना।
- फिर राजनीति में आना विधायक बनना।
- उड़ीसा में मंत्री बनना फिर केंद्र में मंत्री बनना, राज्यपाल बनना।
- मुझे हर वह व्यक्ति चाहे वह मेरी विचारधारा का हो या ना हो जो भी जीवन में संघर्ष करके आगे बढ़ा है वह मेरे लिए एक आदर्श है।
- वैसे भी इस भारत के वनवासियों को ईसाई नेटवर्क और मिशनरियों के धर्मांतरण मकड़जाल से बचाने के लिए कट्टर हिंदू वनवासी का सामने आना जरूरी था। विशेषकर पढ़ी लिखी, संस्कारी, जुझारू और समझ रखने वाली स्त्री-शक्ति का मुख्य पद पर आना आवश्यक था । मातृशक्ति को कोटि- कोटि वंदन।
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