इसका जीता जागता नमूना सकलडीहा बाजार में देखने को मिल सकता है | कई ऐसी बुजुर्ग महिलाएं हैं, जिनके पुत्र तो हैं परंतु वह बेचारी महिलाएं अपनी जीवन और पेट पालने के लिए दर-दर की ठोकरें खा रही हैं |
सांकेतिक फोटो |
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ऐसा ही नजारा सकलडीहा बाजार में इस समय देखने को मिल सकता है, जहां उन बुजुर्ग महिलाओं को न तो वृद्धा पेंशन मिलता है और नाही विधवा पेंशन मिलता है और ना ही राशन मिलता है। जहां भी बेचारी असहाय महिलाएं ग्राम प्रधान से लेकर अन्य अधिकारियों तक चक्कर लगा रही है वहीं महिलाओं को सिर्फ निराशा ही हाथ लग रही है।
यह हाल है सकलडीहा बाजार के मदरसा के पास किताबुन निशा की जिनके सोहर का इंतकाल कई वर्षों पहले हो चुका है, वही दो महिलाएं हैं जो अपने परिवार से अलग रहती हैं। ये यह बेचारी बुजुर्ग महिला अकेली एक टूटी फूटी मडई में अपना जीवन यापन करती है ।
वही जब वह राशन के लिए कोटेदार के यहां जाती है तो उसे राशन नहीं मिलता है। बैंक पर जाती है तो वृद्धा पेंशन नहीं मिलती हैं। जब इसकी पड़ताल की गयी तो पता चलता है कि उसका ना राशन कार्ड निरस्त कर दिया गया है वही बैंक पर पता करने पर जानकारी प्राप्त होती है की वृद्धा पेंशन से इनका नाम हो काट गया है।
बुजुर्ग महिला के सामने सबसे बड़ी परेशानी तो यह है कि इस अवस्था में वह किसके यहां जाए ? किस से मदद मांगे। जिससे उनका राशन कार्ड बन जाए और वृद्धा पेंशन मिलने लगे। अब सवाल यह है की बनेगा पालनहार ?
रिपोर्ट- अनिल कुमार सेठ
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