आर्थिक सम्पन्नता के बाद भी आखिर क्या वजह बन जाती है कि इंसान ऐसी घटना को अंजाम दे देता है कि उसके बाद परिवार वालों को पछताने के सिवा कुछ हाथ नहीं बचता है |
फाइल फोटो प्रीतम चौहान(45) |
👉 कोतवाली पुलिस शव कब्जे में ले पोस्टमार्टम भेजा, घटना की पड़ताल में जुटी
सकलडीहा, चंदौली। आर्थिक सम्पन्नता के बाद भी आखिर क्या वजह बन जाती है कि इंसान ऐसी घटना को अंजाम दे देता है कि उसके बाद परिवार वालों को पछताने के सिवा कुछ हाथ नहीं बचता है।
ऐसी ही एक घटना सकलडीहा कोतवाली के ग्राम सभा तेंदूई पुर में घटित हुई है ।सूत्रों के अनुसार तेंदूईपुर ग्राम सभा के निवासी प्रीतम चौहान(45) ने आज किन्हीं अज्ञात कारणों की वजह से फांसी के फंदे से झूलकर अपनी जीवन की ईहलीला समाप्त कर ली और अपने बच्चों को अनाथ छोंड़ गए। चर्चा है की आज सुबह तक सब ठीक रहा। पिछले डेढ़ साल से दुर्गापुर रोड बिल्डिंग मटेरियल का दुकान चलाते थे और वे तकरीबन 09 बजे के करीब वहां पहुंचे घटना को अंजाम दे दिया। .बताते हैं कि मृतक के पिता परशुराम चौहान सिंचाई विभाग में जेई के पद पर कार्यरत थे, जो अभी कुछ दिन पूर्व ही सेवानिवृत्त हुए हैं। परशुराम चौहान को एक पुत्र और एक पुत्री है। जहां पुत्री की शादी कर देने के बाद पुत्री अपने ससुराल में रहती है। जबकि उनके बेटे प्रीतम अपने माता-पिता व दो बेटेऔर एक बेटी के साथ तेंदूई पुर ग्राम सभा में रहते हैं।
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घटना की खबर सुन घर पहुंचे शुभ चिंतक |
लोगों का कहना है कि प्रीतम चौहान को किसी प्रकार की कोई कमी नहीं थी। उनका एक मकान तेंदुईपुर में और दुर्गापुर में बिल्डिंग मटेरियल की दुकान था। कई अन्य जगहों पर भी जमीन, रुपए पैसे के साथ इज्जत ,सोहरत की कोई कमी नहीं थी । इन सबके बावजूद आखिर क्या कारण था कि प्रीतम चौहान ने अपनी ईह लीला समाप्त कर दी ? अब यह तो जांच का विषय है।
घटना घटित होने की जानकारी जैसे ही पुलिस प्रशासन को लगी, मौके पर पहुंचकर शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए जिला मोर्चरी हाउस पर भेज दिया। पुलिस प्रशासन इसी के साथ अगली कार्रवाई में जुट गई है ।
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अब तो यह पोस्टमार्टम के बाद ही पता चलेगा कि आखिर किन स्थितियों में प्रीतम चौहान की जान गई है। प्रीतम चौहान के द्वारा उठाए गए इस कदम से उनके परिवार पर दुःखों का पहाड़ टूट पड़ा है। जबकि प्रीतम चौहान को दो लड़के और एक लड़की हैं वहीं प्रीतम चौहान की इस कदम से उनके पिता परशुराम चौहान का तो कमर ही टूट गई, बच्चों का रो-रो कर बुरा हाल हो गया है।
बेटी को जज बनाने का पिता ने लिया था संकल्प
दरअसल में प्रीतम चौहान बचपन से ही सीधा सरल व मधुर स्वभाव के व्यक्ति थे। उनकी की मदद को हर कोई सदैव तैयार रहता था और वे भी सबकी मदद करते थे । पिता के फांसी लगा लेने की खबर सुनकर बीए फाइनल वर्ष की छात्रा बेटी अनिष्का की आंखे रोते रोते सुख गया थीं । रोते हुए कह रही थीं अब कैसे हम जज बन पायेंगे। आपने जज बनाने का तो वादा किया था। यह सुनकर आसपास खड़े लोग के आखों में आंसू भर जाते थे, वहां पहुंचने वाल हर व्यक्ति मर्माहत दिखा।
Report - Anil Kumar Seth
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