मुकदमों के दाखिले में अनावश्यक रूप से 10 से 15 दिनों का समय लग रहा है | एनआईसी द्वारा संचालित लिस्टिंग की सभी प्रक्रियाएं बुरी तरह से ध्वस्त हो गयी हैं | वकालतनामा, जवाबी हलफनामा भी तत्काल रिकॉर्ड पर नहीं आ पा रहा है |
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने आवाहन पर आज न्यायिक कार्य से विरत रहने का निर्णय लिया है। हाईकोर्ट के वकीलों ने कोर्ट में प्रवेश करने वाले सभी गेटों पर खड़े होकर किसी भी अधिवक्ता को कोर्ट परिसर में सुबह बहस करने के लिए प्रवेश नहीं करने देंगे। आज अधिवक्ता सड़कों पर कोर्ट परिसर के बाहर खड़े रहे।
उधर, कोर्ट परिसर में न्यायाधीशगण सुबह 10 बजे अपनी-अपनी अदालतों में आकर बैठे, परंतु वकीलों के न्यायिक कार्य से विरत रहने के चलते वह भी कोर्ट से उठकर अपने चेम्बरों में चले गए। परिणाम स्वरूप कोर्ट में कोई न्यायिक कार्य नहीं हुआ।
मुकदमों के दाखिले में अनावश्यक देरी, नए मुकदमों, सप्लीमेंट्री व अनलिस्टेड मुकदमों का सूची बद्ध न होने सहित विभिन्न समस्याओं का निस्तारण न होने से हाईकोर्ट के अधिवक्ताओं ने आक्रोश जताया है।
एसोसिएशन के अध्यक्ष राधाकांत ओझा की अगुवाई में हुई बैठक में अधिवक्ताओं से जुड़ी समस्याओं पर विचार व मंथन किया गया। कहा गया कि अधिवक्ताओं की समस्याओं पर छह माह में अनेक बार मुख्य न्यायमूर्ति व अन्य न्यायमूर्तियों के साथ वार्ता की गई किंतु समस्याएं ज्यों की त्यों बनी हुई हैं।
अध्यक्ष ने कहा कि मुकदमों के दाखिले में अनावश्यक रूप से 10 से 15 दिनों का समय लग रहा है। एनआईसी द्वारा संचालित लिस्टिंग की सभी प्रक्रियाएं बुरी तरह से ध्वस्त हो गयी हैं। वकालतनामा, जवाबी हलफनामा भी तत्काल रिकॉर्ड पर नहीं आ पा रहा है। मुकदमों के मैसेज समय पर न आने की समस्या बनी हुई है। एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने न्यायमूर्तियों की संख्या कम होने पर भी एतराज जताया। कहा कि 160 के मुकाबले 100 न्यायमूर्ति ही कार्य कर रहे हैं।
पदाधिकारियों ने कहा कि जजों के शेष पदों पर तत्काल नियुक्ति की जाए। चेतावनी दी कि अगर उनकी मांग पूरी नहीं हुई तो पुरजोर विरोध किया जाएगा। महासचिव सत्यधीर सिंह जादौन ने कहा कि समस्याओं का निदान अगर नहीं होता है तो आंदोलन को और व्यापक रूप दिया जाएगा।
बैठक में मनोज कुमार मिश्र, नीरज कुमार त्रिपाठी, धर्मेंद्र सिंह यादव, सत्यम पांडेय, श्यामा चरण त्रिपाठी, यादवेश यादव, आशुतोष त्रिपाठी, उष्मा मिश्रा आदि मौजूद रहे।
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