श्रीमद भागवत कथा सुनना सुनाना दोनों ही मुक्तिदायिनी: आचार्य रामचंद्र उपाध्याय

श्रीमद भागवत कथा सुनना-सुनाना दोनों ही मुक्तिदायिनी, आत्मा को मुक्ति का मार्ग दिखाती है। 

फोटो-भागवत कथा श्रवण करते भक्त
धीना |श्रीमद भागवत कथा सुनना और सुनाना दोनों ही मुक्ति दायिनी है तथा आत्मा को मुक्ति का मार्ग दिखाती है। भागवत पुराण को मुक्ति ग्रन्थ कहा गया है |

इसलिए अपने पितरों की शांति के लिये इसे हर किसी को आयोजित कराना चाहिए |इसके अलावा रोग, शोक, पारिवारिक अशांति दूर करने, आर्थिक समृद्धि तथा खुशहाली के लिये इसका आयोजन किया जाता है |

श्री मद भागवत कथा में लिखे मंत्र और श्लोक केवल भगवान की आराधना और उनके चरित्र का वर्णन ही नहीं है |श्री मद भागवत कथा मेँ वह सारे तत्व जिनके माध्यम से जीव अपना तो कल्याण कर ही सकता है साथ मेँ अपने से जुड़े हुवे लोगों का भी कल्याण होता है जीवन मेँ ब्यक्ति को अवश्य ही भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए |

बिना आमंत्रण के भी अगर कहीं भागवत कथा हो रही है तो वहां अवश्य जाना चाहिए इससे जीव का कल्याण ही होता है |

 धानापुर में मुकुंद लाल रस्तोगी के घर पर चल रही भागवत कथा में कथा वाचक आचार्य राम चंद्र उपाध्याय ने कही |भागवत कथा को मुकुंद लाल रस्तोगी ने सपत्नी अपने कुटुंब जन भाई बंधु के साथ श्रवण की |

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