शिक्षक हर युग में पूज्यनीय रहा है | सिसौड़ा गांव निवासी शिक्षक के दो पुत्र शिक्षा की अलख जगा कर समाज में संस्कृति व समाज को जोड़ने का काम कर रहे है |
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सिसौड़ा निवासी शिक्षक शशिकांत त्रिपाठी के साथ दोनों पुत्र प्रवीण त्रिपाठी व विवेक त्रिपाठी। |
वही संयुक्त परिवार शिक्षा के क्षेत्र अलग अलग सहयोग कर रहे है। गुरु शिष्य परंपरा भारत की संस्कृति का एक अहम व पवित्र हिस्सा है।इसके कई स्वर्णिम उदाहरण इतिहास में है। शिक्षक के पुत्र शिक्षक नही होते ऐसे कलुषित एवम संकुचित समाजिक विचार धारा को गलत साबित करने में सिसौड़ा कला के दो भाई प्रवीण त्रिपाठी व विवेक त्रिपाठी अपनी भूमिका निभा रहे है।
कोरोना काल मे मृत प्रधानाचार्य शशिकांत त्रिपाठी के दोनों पुत्र शिक्षा विभाग में शिक्षा दान का अलख जगा रहे हैं।इनके पिता भी दो भाई रहे।दोनों ने इस मैदान में अपनी अपनी अलग पहचान बनाई। बड़े भाई राजेंद्र तिवारी (प्रवक्ता डबरिया इंटर कालेज) छोटे भाई स्वर्गीय शशिकांत त्रिपाठी प्रधानाचार्य के रूप में सेवा देते रहे।
इनके छोटे बाबा प्रवक्ता स्वर्गीय कालिका त्रिपाठी (माटीगांव) भी शिक्षक रहे।इनके पुत्र शिक्षक व वर्तमान में सांसद के प्रतिनिधि के रूप में रामजी तिवारी ने इस तथ्य को चरितार्थ किया कि शिक्षा सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है।समाज को शिक्षा से जोड़ने में त्रिपाठी परिवार अपना अहम योगदान कर रहे है।
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