रामलीला मंचन की 76 वीं वर्षगांठ हर्षोल्लास पूर्वक मनाते हुए धनुष यज्ञ रामलीला के मंचन की शुभारम्भ

रामलीला मंचन की 76 वीं वर्षगांठ हर्षोल्लास पूर्वक मनाते हुए धनुष यज्ञ रामलीला के मंचन की शुभारम्भ

ग्रामसभा अमडा़ में श्री रामलीला समिति के संस्थापक स्वर्गीय श्री कृष्ण पाठक जी एवं स्वर्गीय भगवती सिंह जी को श्रद्धा सुमन अर्पित कर प्रभु श्री राम का वंदन  पूजन से आरंभ किया गया | 

रामलीला मंचन की 76 वीं वर्षगांठ हर्षोल्लास पूर्वक मनाते हुए धनुष यज्ञ रामलीला के मंचन की शुभारम्भ
धनुष यज्ञ रामलीला के विभिन्न दृश्यों का मंचन,फोटो -PNP

By -Diwakar Rai, धीना, चंदौली | बरहनी के अंतर्गत ग्रामसभा अमडा़ में श्री रामलीला समिति की ओर से रामलीला का भव्य आयोजन किया गय। श्री रामलीला समिति के संस्थापक स्वर्गीय श्री कृष्ण पाठक जी एवं स्वर्गीय भगवती सिंह जी को श्रद्धा सुमन अर्पित कर प्रभु श्री राम का वंदन  पूजन से आरंभ किया गया। 

इस वर्ष श्री रामलीला समिति अमडा़ द्वारा मंचन कि 76 वीं वर्षगांठ हर्षोल्लास पूर्वक मनाई जा रही है। श्री रामलीला समिति अमडा़ द्वारा रामलीला का प्रारंभ स्वतंत्रता वर्ष सन् 1947 ईस्वी से अनवरत किया जा रहा है। श्री रामलीला के विभिन्न दृश्यों का मंचन किया गया प्रथम दिन कलाकारों ने धनुष यज्ञ का मंचन किया। राजा जनक ने स्वयंवर में प्रण रखी कि जो इस धनुष को प्रत्यंचा चढ़ा देगा उससे मेरी पुत्री सीता का विवाह कराया जाएगा । 

रामलीला मंचन की 76 वीं वर्षगांठ हर्षोल्लास पूर्वक मनाते हुए धनुष यज्ञ रामलीला के मंचन की शुभारम्भ
श्री रामलीला समिति के संस्थापक स्वर्गीय श्री कृष्ण पाठक जी एवं स्वर्गीय भगवती सिंह जी को श्रद्धा सुमन अर्पित 

स्वयंवर सभा में रावण बाणासुर में वाक युद्ध प्रारंभ होता है रावण बाणासुर दोनों ही धनुष को नहीं तोड़ सके। इसके अलावा सभा में उपस्थित एक से बढ़कर एक राजाओं ने बारी-बारी से धनुष को तोड़ने की कोशिश की लेकिन सभी लोग असफल रहे गुरु विश्वामित्र की आज्ञा से श्री राम ने धनुष को उठाकर तोड़ दिया तत्पश्चात माता सीता ने वरमाला राम को पहनाई धनुष टूटने पर परशुराम जी क्रोधित हो उठे इस पर श्री राम के अनुज लक्ष्मण जी ने परशुराम जी से कहा कि यह धनुष स्पर्श करते ही टूट गया। 


इसमें हमारा क्या दोष है प्रभु श्री राम श्री परशुराम जी से विनय पूर्वक कहते हैं कि बालक की बातों पर कान नहीं  दें और इसे क्षमा करें इस पर परशुराम जी ने श्री राम जी को धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने को कहते  हैं । श्री राम जी द्वारा धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने पर परशुराम जी का भ्रम टूट गया और वह तपस्या करने हेतु  चले गए। 

श्री राम जी द्वारा धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने पर परशुराम जी का भ्रम टूट गया
श्री राम जी द्वारा धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने पर परशुराम जी का भ्रम टूट गया

इस अवसर पर श्री राम की भूमिका का निर्वहन कर रहे पात्र हरिओम पाठक ने धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ा कर दर्शकों को अपने अभिनय से मंत्रमुग्ध कर दिया वहीं लक्ष्मण की भूमिका ऋषभ सिंह, परशुराम की भूमिका परंतु यादव, जनक की भूमिका में भानु सिंह ,साधु राजा की भूमिका में राम अवतार सिंह ,दुष्ट राजा की भूमिका में दिग्विजय सिंह, रावण की भूमिका में दयाशंकर ,विश्वामित्र की भूमिका में मृत्युंजय सिंह ,शतानंद की भूमिका में विष्णु, बाणासुर की भूमिका में राजकुमार ,ने सहयोग प्रदान किया पात्रों द्वारा किए गए 


मंचन से दर्शक मंत्रमुग्ध हो गये। व्यास एवं निर्देशक की भूमिका में बलराम पाठक, यशवंत पाठक रहें। इस अवसर पर अनिल सिंह ,शिवानंद सिंह, शिवकांत सिंह, अंकित सिंह, पप्पू जायसवाल , रामबचन सिंह, समर बहादुर सिंह, विनोद सिंह, अरविंद सिंह, अधिक संख्या में दर्शक लोग उपस्थित रहे ।


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