विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने रविवार को बदलते बनारस को काफी नजदीक से देखा। दो दिवसीय दौरे के आज अन्तिम दिन विदेश मंत्री ने नमोघाट को देखा ।

विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर सम्बोधित करते हुए , फोटो -PNP

विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर सम्बोधित करते हुए , फोटो -PNP
👉काशी विद्वत्परिषद् की ओर से आयोजित संगोष्ठी में भी हुए शामिल , घाटों के सौंदर्य और विकास कार्यो का जायजा भी लिया
वाराणसी। विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने रविवार को बदलते बनारस को काफी नजदीक से देखा। दो दिवसीय दौरे के आज अन्तिम दिन विदेश मंत्री ने नमोघाट को देखा । ततपश्चात गंगा में नौकायन कर अन्य घाटों के सौंदर्य और विकास कार्यो का जायजा भी लिया।
क्रूज पर सवार विदेश मंत्री ने काशी विश्वनाथ धाम की भव्यता और विस्तार को नजदीक से निहारा। इस दौरान वे महारानी अहिल्याबाई के विशाल मूर्ति पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया। भ्रमण के बाद विदेश मंत्री काशी तमिल संगमम् के अन्तर्गत काशी विद्वत्परिषद् की ओर से आयोजित संगोष्ठी में भी पहुंचे।
विश्वनाथ धाम कारिडोर के आडिटोरियम त्रयंम्बक हाल में बतौर मुख्य अतिथि शामिल विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने अपने सम्बोधन में कहा कि काशी और तमिल के मंदिरों की देन है कि आज भी हिन्दू समाज अपने संस्कारों के साथ जुड़ा हुआ है। हमारे मंदिरों ने समाज को जोड़ने का काम किये है। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसलिए इस तरह की योजना बनाई है। हम सभी एक होकर राष्ट्रीय भावना को बढ़ावा दें। विदेश मंत्री ने आगे कहा कि मंदिर हमारी परम्पराओं की पहचान है। विदेश मंत्री ने गोष्ठी में काशी विद्वत्परिषद् की परम्परा की सराहन की ।
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नमो घाट पर विदेश मंत्री |
विशिष्ट वक्ता विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी ने कहा कि आज का जो विषय रखा गया है वह समाज एवं राष्ट्र के निर्माण में मन्दिरों का योगदान यह विषय ही अपने आप उत्तर दे रहा है।
इस मौके पर प्रो. रामनारायण ने कहा कि समाज के संस्कारों तथा हिन्दू धर्म सभ्यता संस्कृति को सुरक्षित रखकर अपने पूर्वजों और ऋषियों ने इन्हें प्रयोग शाला के रूप में उपयोग किया। समाज के प्रत्येक क्षेत्र के लोगों को इन मंदिरों से जोड़ा है । जब कभी कोई संकट राष्ट्र के सामने आया तो इन्हीं मंदिरों के प्रतिनिधियों ने उसको दूर किया है । तमिलनाडु के विशिष्ट वक्ता एम नाचियप्पन ने कहा कि तमिलनाडु के मंदिरों में आज भी हिन्दू धर्म सुरक्षित है। इसके लिए तमिल की जनता प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद देती है। भारत में मंदिरों ने समाज को जोड़ने का काम किया है।
विद्वत परिषद के अध्यक्ष पद्मभूषण प्रो वशिष्ठ त्रिपाठी ने कहा कि काशी तमिल संगमम् ने एक नया विश्वास समाज में खड़ा किया है। हमारे मंदिरों का योगदान राष्ट्र तथा समाज को एक साथ जोड़ कर सभी वर्गों के कल्याण हेतु अनुदान योजनाऐं देते हैं। मणिक्कवसग तंबीरन ने मंदिरों के निर्माण शैली तथा काशी के साथ तमिलनाडु के मंदिरों का योगदान और तमिलनाडु समाज की भूमिका पर चर्चा की। पी चेल्लापांडियन ने भी मंदिरों के अवदान तथा समाज को जोड़ने की परम्परा के विषय में चर्चा की।
कार्यक्रम का संचालन प्रो. कृष्णकांत शर्मा, धन्यवाद ज्ञापन मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील वर्मा ने दिया। गोष्ठी में काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के सदस्य पं रमण घनपाठी, पंं. दीपक मालवीय, काशी विद्वत परिषद के अंतर राष्ट्रीय संयोजक रमण त्रिपाठी, डा. शुकदेव त्रिपाठी आदि की उपस्थिति रही। गोष्ठी में अतिथियों का स्वागत पुष्प वर्षा, शहनाई और डमरू वादन से किया गया ।
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