AIPF के संस्थापक सदस्य अखिलेन्द्र प्रताप सिंह ने कोल जाति को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने के लिए केन्द्र सरकार के जनजाति कल्याण मंत्रालय को आवश्यक कार्यवाही हेतु उत्तर प्रदेश शासन को एक पत्र भेजा है।
लखनऊ | कोल जाति को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा केन्द्र सरकार के जनजाति कल्याण मंत्रालय को आवश्यक कार्यवाही हेतु संस्तुति भेजने हेतु अखिलेन्द्र प्रताप सिंह, संस्थापक सदस्य, आल इंडिया पीपुल्स फ्रन्ट द्वारा उत्तर प्रदेश शासन को एक पत्र भेजा गया है।
शासन को भेजे गए पत्र में लिखा गया है कि उत्तर प्रदेश के सोनभद्र, मिर्जापुर, चंदौली, प्रयागराज, बांदा और चित्रकूट जनपदों में कोल आदिवासी जाति की बहुत बड़ी आबादी रहती है जिसे आज तक अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल न कर उनके साथ बड़ा अन्याय किया गया है।
ज्ञात हो कि यह जाति भारत के अन्य राज्यों मध्य प्रदेश, बिहार, झारखण्ड, छत्तीसगढ़, ओडिशा और महाराष्ट्र में अनुसूचित जनजाति की सूची में है। परन्तु उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल न करने से वे अनुसूचित जनजाति व अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) कानून 2006 के तहत अपनी पुश्तैनी जमीन पर अधिकार से वंचित हो रही है और उन्हें शैक्षणिक संस्थाओं व सरकारी सेवाओं में भी यथोचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल पा रहा है।
कोल जाति के सम्बंध में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अनुसूचित जाति एवं जनजाति, शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान, उत्तर प्रदेश द्वारा वर्ष 2013-14 में कराये सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक एवं नृजातीय सर्वेक्षण में इसे अनुसूचित जनजाति की सूची में सम्मिलित करने की संस्तुति की गई है। उत्तर प्रदेश सरकार ने कोल जाति को अनुसूचित जनजाति की सूची में सम्मिलित करने हेतु केन्द्र सरकार के जनजाति कल्याण मंत्रालय को दिनांक 2 मई 2013 को पत्र भेजा है। इसके बावजूद कोल को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल नहीं किया गया है।
ऐसी स्थिति में उत्तर प्रदेश सरकार से निवेदन किया गया है कि कोल को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने के लिए विधि के अनुरूप प्रस्ताव पुनः केन्द्र सरकार के जनजाति कल्याण मंत्रालय को भेजा जाए ताकि कोल जाति के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा हो सके और वह जनजाति को प्राप्त अधिकारों का उपभोग कर सके।