सकलडीहा में दो दर्जन से अधिक ग्राम सभाएं मजदूरों को काम देने में फिसड्डी

सकलडीहा में दो दर्जन से अधिक ग्राम सभाएं मजदूरों को काम देने में फिसड्डी

सकलडीहा विकास खंड एक दर्जन से अधिक ग्राम सभायें ऐसी हैं जो मनरेगा के कामों में फिसड्डी साबित हुई है। 

सकलडीहा में दो दर्जन से अधिक ग्राम सभाएं मजदूरों को काम देने में फिसड्डी
फाइल फोटो 

 चन्दौली । योगी सरकार खंड में ग्रामसभाओं में कराये गए कार्यों में 60 - 40 के अनुपात में मजदूरों को काम देने के निर्देश दे रखा है। मगर सकलडीहा विकास खंड एक दर्जन से अधिक ग्राम सभायें ऐसी हैं जो मनरेगा के कामों में फिसड्डी साबित हुई है। 


104 गांवों में तकरीबन 21 ग्राम सभाएं ऐसी है जहां ₹ 2 लाख से भी कम मनरेगा पर खर्च


बताया जाता है कि सकलडीहा विकास खंड के 104 गांवों में तकरीबन 21 ग्राम सभाएं ऐसी है जहां ₹ 2 लाख से भी कम मनरेगा पर खर्च किया गया है जबकि शासन स्तर से 60- 40 के अनुपात में कार्यों का निर्धारण किया गया। सकलडीहा विकास खंड से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार ग्राम सभा आलमपुर में 1.99 लाख , बसंतपुर 1.94, बथावर 1.90 ,महेसुआं 1.34, नारायणपुर 1. 23,पचदेवरा , सरेहुआ कला 1.33 ,सरेहुआ खुर्द 1. 74 ,सरेसर 1.54 , टड़िया 1.47 लाख रूपये का ही काम हुआ जबकि एक लाख से कम भी काम करने वाले गांवों की संख्या भी कम नहीं हैं। 


ग्राम सभा में रानेपुर 86 हजार, सहरोई 90 हजार, तेंदुई 44 हजार, रामपुर 85 हजार, दोदौली 15 हजार, घूसखास 69 हजार, नसीरपुर पट्टन 63 हजार व नागेपुर 49 हजार के मनरेगा काम हुए हैं। इसके चलते मजदूरों को नाम मात्र ही मजदूरी मिल पाई।  दिलचस्प पहलू यो यह है कि जिन गांवों में मिट्टी का मामूली काम हुए हैं वहीं बहुत से ग्राम सभाएं पक्का कार्यों को कराने में काफी दिलचस्पी दिखाई।


 पक्का काम कराने वाले गांवों में खूब सरकारी धन का बंदरबांट 


सूत्रों की मानें तो सबसे ज्यादा पक्का काम कराने वाले गांवों में खूब सरकारी धन का बंदरबांट हुआ है। चर्चा यह भी है ब्लॉक अधिकारी के साथ आला अफसर भी मनरेगा कार्यों को लेकर कोई दिलचस्पी नहीं दिखाते हैं और ऐसे ग्राम सभाओं को फटकार भी नहीं लगती है। इनके खिलाफ कोई करवाई नहीं होती है क्यूंकि , पक्का काम होने से इनको भी फायदा नजर आता है।