जगन्नाथ मंदिर के गर्भगृह से बाहर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पूजा करने पर उभरा विवाद !

जगन्नाथ मंदिर के गर्भगृह से बाहर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पूजा करने पर उभरा विवाद !

देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को दिल्ली स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर में पूजा के लिए गर्भगृह नहीं जाने दिया गया |

जगन्नाथ मंदिर के गर्भगृह से बाहर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पूजा करने पर उभरा विवाद !
जगन्नाथ मंदिर के गर्भगृह से बाहर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पूजा करने पर उभरा विवाद !

हाइलाइट्स :-

👉दिल्ली स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर में पूजा के लिए गर्भगृह नहीं जाने दिया गया

👉इसी मंदिर में केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और अश्वनी वैष्णव गर्भगृह में मूर्तियों को स्पर्श करके पूजा कर चुके हैं

👉श्रीजगन्नाथ मंदिर प्रशासन की बैठक में घटना पर चिंता, पर कार्रवाई अब तक नहीं 

नई दिल्ली। देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को दिल्ली स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर में पूजा के लिए गर्भगृह नहीं जाने दिया गया। जबकि इसी मंदिर में केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और अश्वनी वैष्णव गर्भगृह में मूर्तियों को स्पर्श करके पूजा कर चुके हैं। गर्भगृह से बार बाहर खड़ी होकर पूजा कर रही राष्ट्रपति का फोटो वायरल होते ही सोशल मीडिया में हड़कंप मच गया। महाविकास अघाड़ी और भारत राष्ट्र समिति के अधिकारिक ट्वीटर हैंडल से इस पर आपत्ति जतायी गयी है। 


सोशल मीडिया में सक्रिय कुछ नामधारी लोगों ने फोटो वायरल करते हुए पुजारियों की निंदा की। इससे पहले साल 2018 में पुरी के श्रीजगन्नाथ मंदिर में राष्ट्रपति (अब पूर्व) रामनाथ कोविंद भी पत्नी श्रीमती सविता कोविंद के साथ दर्शन को गए थे तो उन्हें सेवायतों (पंडों) ने रोकने की कोशिश की थी। कोविंद ने पुरी के तत्कालीन डीएम अरविंद अग्रवाल से आपत्ति भी जतायी थी। श्रीजगन्नाथ मंदिर प्रशासन की बैठक में इस घटना पर चिंता व्यक्त की गयी पर कार्रवाई अब तक नहीं की गयी।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के 20 जून को श्रीजगन्नाथ मंदिर के गर्भगृह से बाहर भगवान की पूजा की घटना को उनके आदिवासी समाज से होने को लेकर जोड़ा जा रहा है। कोविंद प्रकरण में भी उनके अनुसूचित जाति का होने पर पंडों को आपत्ति रही होगी। यह मंदिर दिल्ली के हौजखास में है। राष्ट्रपति अपने 65वें जन्मदिन और जगन्नाथ रथयात्रा के मौके पर मंदिर गयीं थीं। पूजा करते हुए एक तस्वीर राष्ट्रपति के अधिकारिक ट्वीटर हैंडल से भी जारी की गयी थी। उन्होंने रथयात्रा शुरू होने पर बधाई भी दी थी।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के 20 जून को श्रीजगन्नाथ मंदिर के गर्भगृह से बाहर भगवान की पूजा की घटना को उनके आदिवासी समाज से होने को लेकर जोड़ा जा रहा है। कोविंद प्रकरण में भी उनके अनुसूचित जाति का होने पर पंडों को आपत्ति रही होगी। यह मंदिर दिल्ली के हौजखास में स्थित है। राष्ट्रपति अपने 65 वें जन्मदिन और जगन्नाथ रथयात्रा के मौके पर मंदिर गयीं हुई थीं। पूजा करते हुए एक तस्वीर राष्ट्रपति के अधिकारिक ट्वीटर हैंडल से भी जारी की गयी थी। उन्होंने रथयात्रा शुरू होने पर सबको बधाई भी दी थी।

कुछ लोग सोशल मीडिया पर यह आरोप लगा रहे हैं कि उनके अनुसूचित जनजाति का होने के कारण उन्हें मूर्ति स्पर्श का अवसर नहीं दिया गया। सवाल उठाया जा रहा है कि जब केंद्रीय मंत्री प्रधान और वैष्णव गर्भगृह जाकर पूजा कर सकते हैं तो राष्ट्रपति क्यों नहीं? दि दलित वॉयस नामक ट्वीटर हैंडल से अश्वनी वैष्णव और राष्ट्रपति की फोटो टिप्पणी के साथ ट्वीट की गयीं हैं। सीनियर जर्नलिस्ट दिलीप मंडल ने धर्मेंद्र प्रधान ने टिप्पणी के साथ केंद्रीय मंत्री प्रधान की फोटो ट्वीट की है।

महाविकास अघाड़ी ने अधिकारिक ट्वीटर हैंडल से भीमराव अंबेडकर को कोट करते हुए सवाल उठाया है। लिखा है कि जो दिशा पसंद है उस ओर जाइए लेकिन जाति दैत्य है जो हर जगह आपके आड़े आती रहेगी। एक न्यूज एजेंसी से वार्ता में हौजखास के जगन्नाथ मंदिर के पुजारी सनातन पाढ़ी इस घटना की निंदा की। कहा, लोगों को सोचना चाहिए कि मंदिर में पूजा करने का भी प्रोटोकॉल होता है।

मंदिर में सभी हिंदू जा सकते हैं चाहे वो किसी भी जाति के क्यों न हों। वहीं पुजारी सनातन पाढ़ी कहते हैं कि मंदिर के गर्भगृह में वही पूजा कर सकते हैं जिसको हम महाराज के रूप में वरण यानी आमंत्रित करते हैं। राष्ट्रपति व्यक्तिगत तौर पर जगन्नाथ का आशीर्वाद लेने आयीं थीं। तो वो कैसे अंदर आ जाएंगी। इसीलिए राष्ट्रपति अंदर नहीं आयीं। सोशल मीडिया पर विवाद बेतुका है। मंदिर में पूजा का नियम है उसका पालन किया गया।

आपको बता दें कि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के साथ पुरी के श्रीजगन्नाथ मंदिर में दुर्व्यवहार का मामला प्रकाश में आया था। राष्ट्रपति भवन ने भी असंतोष जाहिर किया था। पर कार्रवाई अब तक नहीं की गयी। कोविंद दलित समाज से हैं। यह घटना 18 मार्च 2018 की है। उनकी पत्नी सविता कोविंद भी साथ में थीं।

इस दौरे के लीक हुए मिनट्स के मुताबिक तत्कालीन राष्ट्रपति कोविंद जब रत्न सिंहासन (महाप्रभु जगन्नाथ विराजमान होते हैं) पर माथा टेकने गए तो वहां पर मौजूद खुंटिया मेकाप (सेवायतों की कैटेगरी) सेवकों ने उनका रास्ता नहीं छोड़ा। यही नहीं उनकी पत्नी के भी सामने भी आ गए थे। पूर्व राष्ट्रपति उन्हें देखकर असहज हुए। नाराजगी व्यक्त की।  

इतिहासकार पंडित सूर्यनारायण शर्मा के हवाले से बताया जाता है कि इंदिरा गांधी को 1984 में जगन्नाथ मंदिर में इसलिए दर्शन नहीं करने दिया गया था क्योंकि फिरोज गांधी ब्याहता थीं। इसीलिए यहां के सेवायत कहते हैं कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा रथयात्रा में आ सकते हैं पर मंदिर के भीतर नहीं जा सकते। मंदिर के अपने नियम होते हैं।

 source - news agency 

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