01 Agust Ka Panchang: आज मंगलवार का हिन्दू पंचांग, शुभ मुहूर्त और राहुकाल तिथि

01 Agust Ka Panchang: आज मंगलवार का हिन्दू पंचांग, शुभ मुहूर्त और राहुकाल तिथि

 Aaj Ka Panchang : मंगलवार, 01 अगस्त, 2023 से सावन अधिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि है। इस तिथि पर उत्तराषाढ़ा नक्षत्र और प्रीति योग का संयोग बनेगा । 

दिन के शुभ मुहूर्त की बात करें तो मंगलवार के दिन का अभिजीत मुहूर्त 12  बजकर 00  मिनट से लेकर 12 बजकर 54  मिनट तक रहेगा। जबकि अशुभ समय राहुकाल दोपहर 12 :47से  -17 :28  मिनट तक रहेगा। चंद्रमा की धनु राशि में मौजूदगी रहेंगे|


हिंदू पंचांग को वैदिक पंचांग के नाम से भी जाना जाता है। पंचांग के जरिये ही समय और काल की सटीक गणना होती है। पंचांग मुख्य रूप से पांच अंगों से मिलकर बना है। ये पांच अंग माने गए हैं जो इस प्रकार हैं - तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। 

आगे हम दैनिक पंचांग में आपको शुभ मुहूर्त, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदूमास और पक्ष आदि की विस्तृत जानकारी देने जा रहे हैं|  

 'माँ दुर्गा ज्योतिषीय संस्थान' के ज्योतिषचार्य पंडित धर्मेंद्र दीक्षित से जानें विस्तृत पंचांग :- 


तिथि पूर्णिमा 24 :00 तक
पक्ष:शुक्ल
वार :मंगलवार 
नक्षत्र :उत्तराषाढ़ा 15  :54  तक
प्रथम विष्टि  13 :56 तक
द्वितिय करण:बावा  24 :00  तक
योग प्रीति  18 :49 तक

सूर्योदय:05:46 
सूर्यास्त:19 :08 
चन्द्रोदय:16:59
चन्द्रास्त:02:16
चंद्रमा :धनु 23:34
 
विक्रमी संवत् 2080 
शक सम्वत 1944 
शक सम्वत:1945 सोभाकृत

मास श्रावण (अधिकमास) 
अमान्ता महीना :आषाढ़ा
पूर्णिमांत:आषाढ़ा
सूर्य राशि :कर्क
चन्द्र राशि:मकर 

🔷अशुभ मुहूर्त

राहुकाल 15 :47-17 :28 
गुलिक काल :15:32 − 17:11
यमगण्ड:12:12 − 13:52
दूर मुहूर्तम्:11:58 − 12:01
व्रज्याम काल:06:42 − 08:10

🔷शुभ मुहूर्त

अभिजीत:12 :46 − 12:45 
अमृत कालम्:15:30 − 16:57


🔷पंचांग के पांच अंग ये हैं 

तिथि

हिन्दू काल गणना के अनुसार 'चन्द्र रेखांक' को 'सूर्य रेखांक' से 12 अंश ऊपर जाने में जो समय बीतता है, वही तिथि कहलाती है। एक माह में तीस तिथियां होती हैं और ये तिथियां दो पक्षों में बंटी होती हैं। जहां शुक्ल पक्ष की आखिरी तिथि को पूर्णिमा और जबकि कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या कहलाती है।

तिथि के नाम- प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, अमावस्या/पूर्णिमा तिथि होती है ।
 
नक्षत्र: आकाश मंडल में मौजूद एक तारा समूह को नक्षत्र कहा जाता है। इसमें 27 नक्षत्र होते हैं और नौ ग्रहों को इन नक्षत्रों का स्वामित्व प्राप्त होता है। 27 नक्षत्रों के नाम- अश्विन नक्षत्र, भरणी नक्षत्र, कृत्तिका नक्षत्र, रोहिणी नक्षत्र, मृगशिरा नक्षत्र, आर्द्रा नक्षत्र, पुनर्वसु नक्षत्र, पुष्य नक्षत्र, आश्लेषा नक्षत्र, मघा नक्षत्र,पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र, श्रवण नक्षत्र, घनिष्ठा नक्षत्र, शतभिषा नक्षत्र, पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र, उत्तराभाद्रपद नक्षत्र, रेवती नक्षत्र, पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र, उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र, हस्त नक्षत्र, चित्रा नक्षत्र, स्वाति नक्षत्र, विशाखा नक्षत्र, अनुराधा नक्षत्र, ज्येष्ठा नक्षत्र, मूल नक्षत्र। यह नक्षत्र क्रमवार नहीं लिखे गए हैं | 

वार: वार का मतलब  दिन से है। एक सप्ताह में सात दिन होते हैं। ये सात दिन ग्रहों के नाम पर रखे गए हैं - सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार, रविवार। 

योग: नक्षत्र की भांति योग भी कुल 27 प्रकार के होते हैं। सूर्य-चंद्र की विशेष दूरियों की स्थितियों को योग कहा जाता है। दूरियों के आधार पर बनने वाले 27 योगों के नाम इस प्रकार है - विष्कुम्भ, प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, अतिगण्ड, सुकर्मा, धृति, शूल, गण्ड, वृद्धि, ध्रुव, व्याघात, हर्षण, वज्र, सिद्धि, व्यातीपात, वरीयान, परिघ, शिव, सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्ल, ब्रह्म, इन्द्र और वैधृति।

करण: एक तिथि में दो करण होते हैं। एक तिथि के पूर्वार्ध में और एक तिथि के उत्तरार्ध में। ऐसे में कुल 11 करण होते हैं, जिनके नाम इस प्रकार हैं - बव, बालव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज, विष्टि, शकुनि, चतुष्पाद, नाग और किस्तुघ्न। विष्टि करण को भद्रा कहा जाता हैऔर भद्रा में शुभ कार्य वर्जित हैं,मतलब अशुभ ।


🔷दिशा शूल (Disha Shul) : उत्तर  दिशा 

🔷आज का मंत्र (Mantra in Hindi)


मंत्र : 'ॐ हं हनुमते नमः  ' बजरंगबाण  ' का पाठ करें |  मन्त्र का 108 बार जाप करें। 
आज का शुभ रंग - लाल 
आज के पूज्य देव - बजरंबली 
आज का व्रत- मंगल व्रत  व्रत 

🔷कुछ उपाय - आज के दिन (मंगलवार) बजरंगबली की पूजा व शाम के घी का दीपक जलाएं। मंगल बीज मंत्र की जाप लाभदायक होगा|  

🔷गुप्त मनोकामना की पूर्ति के टोटके :  एक चांदी के लोटे या किसी भी चांदी के बर्तन में जल लेकर उसे पूजा स्थान में रखें और सफेद चंदन की माला से 'ऊं सों सोमाय नम:' मंत्र की 11 माला जाप करें। इस जल को पी लें। ऐसा लगातार 11 सोमवार करने से चंद्र ठीक हो जाएगा|

( इस रिपोर्ट में फेमस व चर्चित किताबों के अध्ययन व प्रकांड ज्योतिषीय विद्वानों से बातचीत पर आधारित है। यह जानकारी / गणना / सामग्री या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। लेख किसी तरह के दावा का समर्थन नहीं करता है, यह मात्र एक साधारण जानकारी है, जो आप तक पहुंचाई गई है) | 


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