केंद्रीय मंत्रिमंडल ने "विश्वकर्मा योजना" को मंजूरी दी, जो गुरु-शिष्य परंपरा के तहत कौशल कार्यों को बढ़ाने वाले कामगारों का कौशल विकास करेगी और उन्हें ऋण सुविधाओं और बाजार पहुंच प्रदान करने में मदद करेगी।
नई दिल्ली| बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने "विश्वकर्मा योजना" को मंजूरी दी, जो गुरु-शिष्य परंपरा के तहत कौशल कार्यों को बढ़ाने वाले कामगारों का कौशल विकास करेगी और उन्हें ऋण सुविधाओं और बाजार पहुंच प्रदान करने में मदद करेगी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई| बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संवाददाताओं को बताया कि 13 हजार करोड़ रुपये की योजना से 30 लाख पारंपरिक कारीगरों को फायदा पहुंचेगा ।
उनका कहना था कि छोटे-छोटे कस्बों में कई वर्ग हैं जो गुरु-शिष्य परंपरा के तहत कौशल-संबंधी कार्यों में लगे हैं। इनमें लोहार, कुम्हार, राज मिस्त्री, धोबी, फूल का काम करने वाले, मछली का जाल बुनने वाले, ताला-चाबी बनाने वाले और मूर्तिकार शामिल हैं। वैष्णव ने कहा कि इन वर्गों का ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान है और मंत्रिमंडल ने इन्हें नया आयाम देने के लिए ‘विश्वकर्मा योजना’ को मंजूरी दे रही है।
उनका कहना था कि इस योजना का संकेत मंगलवार को स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से दिया गया था। केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने बताया कि इसमें इस बात पर ध्यान दिया जाएगा कि इन वर्गों को नए उपकरणों और डिजाइन के बारे में अधिक ज्ञान मिलेगा।
साथ ही, उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत उपकरणों की खरीद में मदद की जाएगी। इसके तहत दो तरह के कौशल विकास कार्यक्रम होंगे: एक 'बेसिक' और दूसरा 'एडवांस'। इस पाठ्यक्रम को पूरा करने वालों को स्टाइपंड भी मिलेगा। मंत्री ने बताया कि इस योजना के तहत पहली चरण में एक लाख रूपये का तक कर्ज दिया जाएगा, जिस पर अधिकतम पांच प्रतिशत की रियायती ब्याज देय होगी।