आपराधिक मानहानि मामले में, कांग्रेस नेता राहुल गांधी की 'मोदी सरनेम' टिप्पणी पर सजा पर रोक लगा दी गई। शीर्ष न्यायालय ने राहुल को मानहानि मामले में दो वर्ष की सजा पर रोक लगा दी है।
नई दिल्ली | आपराधिक मानहानि मामले में, कांग्रेस नेता राहुल गांधी की 'मोदी सरनेम' टिप्पणी पर सजा पर रोक लगा दी गई। शीर्ष न्यायालय ने राहुल को मानहानि मामले में दो वर्ष की सजा पर रोक लगा दी है।
2019 में उच्चतम न्यायालय ने राहुल गांधी को मोदी उपनाम को लेकर आपराधिक मानहानि मामले में दोषसिद्धि पर रोक लगा दी थी।
न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कहा कि कोई संदेह नहीं था कि टिप्पणी गलत थी और किसी से सार्वजनिक स्थान पर बोलते समय सावधानी बरतने की उम्मीद की जाती है।
पीठ ने कहा, “निचली अदालत के न्यायाधीश द्वारा अधिकतम सजा देने का कोई कारण नहीं बताया गया है, ऐसे में अंतिम फैसला आने तक दोषसिद्धि के आदेश पर रोक लगाने की जरूरत है।”शीर्ष अदालत ने गुजरात उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली राहुल की याचिका पर सुनवाई की। कांग्रेस नेता की मानहानि मामले में उनकी सजा पर रोक लगाने के लिए उच्च न्यायालय ने उनकी याचिका खारिज कर दी।
गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने 13 अप्रैल 2019 को कर्नाटक के कोलार में चुनावी सभा में राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया। राहुल ने बैठक में प्रश्न उठाया कि “सभी चोरों का एक ही उपनाम मोदी कैसे हो सकता है?
कांग्रेस नेता राहुल गांधी को शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय ने बताया कि गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी का मूल उपनाम मोदी नहीं है क्योंकि वे मोढ़ वणिक समाज से आते हैं। पूर्णेश मोदी ने 13 अप्रैल 2019 को कर्नाटक के कोलार में हुई चुनावी सभा में राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि "मोदी" उपनाम टिप्पणी मामले में कोर्ट अधिकतम सजा का कारण जानना चाहता है। राहुल गांधी को एक वर्ष और ग्यारह महीने की सजा मिली होती तो वे लोकसभा के लिए अयोग्य नहीं ठहराए जाते।
राहुल गांधी ने बैठक में कहा, ‘‘सभी चोरों का एक ही उपनाम मोदी कैसे है? कांग्रेस नेता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ से कहा कि भाजपा के कार्यकर्ताओं द्वारा उनके खिलाफ कई मामले दर्ज कराए जाने के बावजूद उनका मुवक्किल कोई कुख्यात अपराधी नहीं है।
राहुल ने गुजरात उच्च न्यायालय का निर्णय शीर्ष अदालत में चुनौती दी है। कांग्रेस नेता की दोषसिद्धि पर रोक लगाने के लिए उच्च न्यायालय ने मानहानि मामले में "मोदी उपनाम" से संबंधित याचिका को खारिज कर दिया था।
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