जिला शिक्षा परियोजना कार्यालय कैमूर भभुआ के पूरे जनपद के कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों के कर्मचारी दहशत में जी रहे हैं कि कब किसका ट्रांसफर कहां हो जायेगा |
🔷पदाधिकारियों की संलिप्तता से उठा सवाल ,आवासीय बालिका विद्यालयों के कर्मचारी दहशत में जी रहे
कैमूर । जिला शिक्षा परियोजना कार्यालय कैमूर भभुआ के पूरे जनपद के कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों के कर्मचारी दहशत में जी रहे हैं कि कब किसका ट्रांसफर कहां हो जायेगा ,कोई नहीं जानता है। इसी बात को लेकर जिले के सभी कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में चर्चा का विषय बना हुआ है|
फिर सन् 2019 के तर्ज पर 2023 में कस्तूरबा कर्मियों का प्रतिनियुक्ति सारे नियमों को ताक पर रख कर जिला कार्यक्रम पदाधिकारी ( एस एस ए ) द्वारा इधर से उधर धड़ाधड़ किया जा रहा है।
ऐसा ही दौर बिगत वर्ष 2019 में तत्कालीन जिला कार्यक्रम पदाधिकारी यदुवंश राम द्वारा किया गया था। उन कर्मचारियों का प्रतिनियुक्ति चार साल होने के बाद भी नहीं रद्द किया गया है।उसी तर्ज पर वर्तमान जिला कार्यक्रम पदाधिकारी अक्षय कुमार पाण्डेय द्वारा भी विगत 11जुलाई को कस्तूरबा कर्मियों की प्रतिनियुक्ति कुमारी आशा सिंह को रामगढ़ से भगवानपुर कस्तूरबा विद्यालय में तथा कल्पना कुमारी का भगवानपुर से रामगढ़ विद्यालय में ट्रांसफर किया गया है। एवं गोविन्द प्रसाद रात्रि प्रहरी का प्रतिनियुक्ति चांद कस्तूरबा विद्यालय से भगवानपुर कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में नियम विरुद्ध किया गया है।
जबकि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का ट्रांसफर कहीं नहीं होता है। जबकि राज्य शिक्षा परियोजना के नियमावली में कहीं भी प्रतिनियुक्ति करने का प्रावधान का नहीं उल्लेख किया गया है। मगर आरोप है कि कैमूर जिला के जिला शिक्षा कार्यक्रम पदाधिकारी ( एस एस ए) द्वारा हेरा -फेरी का कार्य किया जा रहा है। कैमूर शिक्षा परियोजना का इतिहास रहा है कि विगत वर्ष 2020 में दुर्गावती कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की शिक्षिका टिंकू कुमारी का मामला पूरे जनपद ही नहीं राज्य शिक्षा परियोजना पटना के भी संज्ञान में है।उस समय पुरा कैमूर शिक्षा विभाग ही शर्मसार हो गया था।
जिसमें तत्कालीन जिला जेंडर कोआर्डिनेटर सतेन्द्र कुमार, एवं जिला लेखापाल विजय कुमार को दोषी पाए जाने पर तत्कालीन जिलाधिकारी महोदय के आदेश पर दोनों लोगों के खिलाफ निलम्बित कर दिया गया था। मगर फिर तीन वर्ष बाद कस्तूरबा कर्मियों को फिर एक बार इधर से उधर करने का शिलशिला शुरू है। जबकि विगत 2019 के प्रतिनियुक्त कर्मियों की प्रतिनियुक्ति रद्द कर के उनके मूल विद्यालयों पर नियुक्त करने का कार्य जिला कार्यक्रम पदाधिकारी अक्षय कुमार पाण्डेय द्वारा नहीं किया जा रहा है।
जबकि कम मानदेय 6500 रूपए प्रतिमाह वेतन मिलने वाले चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को उनके मूल एवं निवास से 50 किलोमीटर दूर स्थित विद्यालयों में प्रतिनियुक्ति किया गया है ।उस कर्मियों का पूरा वेतन किराया- भाड़ा में ही समाप्त हो जाता है,जो नियम विरुद्ध है।