अमड़ा में बना विशाल चिकित्सालय जो अब संयुक्त चिकित्सालय अमड़ा के नाम से जाना जा रहा है | इस अस्पताल कीजर्जर बिल्डिंग जिसकी छतें फर्श फट गयी हैं, जिसमें जहरीले जंतुओं ने अपना डेरा जमा लिया है |
👉टूटी फ़टी फर्श,फटी छतें और दरवाजों के बाजुओं में बिच्छु, जहरीले सापों का डेरा, भयभीत रहते हैं इलाज के लिए आने वाले मरीज
👉बीजेपी के विकास के दावे पर दाग बने अस्पताल की अधिकारियों ने भी नहीं ली सुधि, नियुक्त चिकित्सक-कर्मी जान जोखिम में डालकर करते हैं ड्यूटी
👉तत्कालीन डीएम संजीव सिंह ने अखबारों में छपी खबरों का संज्ञान ले स्थलीय निरीक्षण के बाद भेंजी थी शासन को रिपोर्ट,मगर कुछ नहीं हुआ
By-Diwakar Rai /Purvanchal News Print
धीना,चंदौली | जनपद के बरहनी ब्लॉक अंतर्गत स्थित ग्राम सभा अमड़ा में बना विशाल चिकित्सालय जो अब संयुक्त चिकित्सालय अमड़ा के नाम से जाना जा रहा है | इस अस्पताल कीजर्जर बिल्डिंग जिसकी छतें फर्श फट गयी हैं, जिसमें जहरीले जंतुओं ने अपना डेरा जमा लिया है |अस्पतालकी बिल्डिंग भी प्रशासन ने डैमेज घोषित कर दिया है |परन्तु वर्तमान में उसी बिल्डिंग में क्षेत्र के मरीजअपना इलाज वहां नियुक्त चिकित्सकों द्वारा जान जोखिम में डालकर किया जा रहा है |
साल वर्ष 1972 में वाराणसी जनपद के पूर्वी छोर बिहार, उत्तर प्रदेश की सीमा चंदौली तहसील परगना नरवन में 27मई को दिवंगत मुख्यमंत्री स्व।।पंडित कमलापति त्रिपाठी ने श्री शिव प्रसाद गुप्त चिकित्सालय कबीर चौरा वाराणसी के नक्शे पर इस चौबीस शैया के जन चिकित्सालय अमड़ा का शिलान्यास कर क्षेत्र के जनता को अच्छी चिकित्सा मिले, उन्हें वाराणसी न जाना पड़े |
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दो तरफ शानदार बिल्डिंग बनकर क्षेत्र के लोगों को अच्छी स्वास्थ्य सुविधा योग्य डाक्टरों की देखरेख में भर्ती वार्डों मुहैया करायी जाने लगी |क्षेत्र के लोगों ने भरपूर लाभ उठाया, उस समय केंद्र में राज्य में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सरकार थी |समय बदला केंद्र में राज्य में सरकारें बदली और यह चिकित्सालय घोर सरकार की उपेक्षा का शिकार हो गया और इस अमड़ा अस्पताल का विकास नहीं हो सका|
केवल नाम जन चिकित्सालय से बदलकर राजकीय चिकित्सालय अब वर्तमान में संयुक्त चिकित्सालय अमड़ा के नाम से कर दिया गया है | निवर्तमान जिलाधिकारी संजीव सिंह ने समाचार पत्र में प्रकाशित खबरों का संज्ञान इस अस्पताल की दुर्दशा को लेकर स्थलीय निरीक्षण कर इसकी रिपोर्ट शासन को भेंजी और यह अस्पताल की बिल्डिंग डैमेज घोषित कर दी गयी |
परन्तु ,वर्तमान समय में इसी जर्ज़र भवन में नियुक्त दो डाक्टरों सहित कुल पांच लोग अपनी ड्यूटी का निर्वहन जान जोखिम में डालकर कर रहे हैं |कहा जाता है कि मुर्गे, मुर्गी इन जहरीले जंतुओ को चुग कर अपना खुराक बना लेते हैं | कुछ दिनों पूर्व वहां कर्मचारी द्वारा पालकर रखा गया था जिससे इन जहरीले जंतुओं का भय नहीं था ,अब वर्तमान में उन्हें हटा दिया गया है और जहरीले जंतुओं ने अपना बसेरा बना लिया है |
आलम यह है कि चारों तरफ जंगली घास से अस्पताल कैम्पस पटा हुआ है |अस्पताल कैम्पस में एक नया कोविड वार्ड की स्थापना की गयी, जिसमें बाहर प्लास्टर है भीतर प्लास्टर नहीं हुआ है, उसकी फर्स नहीं बनी है न ही उसमेंबने खिड़की दरवाजों में पल्ले लगे हैं न ही उसमें लाइट फैन की ही व्यवस्था है |बिल्डिंग निर्माण तक इस कोविड वार्ड के भवन को कम्प्लीट कर दिया जाता तो कुछ हद तक चिकित्सिय ब्यवस्था का निर्वहन ढंग से हो जाता |
कैम्पस में जंगली घास फुस पर केमिकल का छिड़काव कर दिया जाता तो उसमें जहरीले जंतुओ में सांप कोबरा का बसेरा खत्म हो जाता |रात्रि के समय में वहां निवास करने वाले कर्मचारी कैसे अपनी ड्यूटी का निर्वाहन कर रहे हैं उनकी सुरक्षा की तरफ किसी संबंधित विभाग के अधिकारी का ध्यान नहीं है |पेय जल हेतु लगा हैण्ड पम्प काफ़ी दिनों से खराब पड़ा था, पत्राचार के बाद भी किसी अधिकारी ने ध्यान नहीं दिया थक हारकर वहां कार्यरत कर्मचारी ने अपने निजी खर्च से नया हैण्ड पम्प लगवाया |
अब प्रश्न उठता है कि आखिर इसकी जबाबदेही किसकी है?इस संबंध में मुख्य चिकित्साधिकारी डा. वाई के राय से धीना प्रतिनिधि दिवाकर राय ने मोबाइल से उनके नंबर पर सम्पर्क कर वस्तु स्थिति से अवगत कराया तो उन्होंने इसे गंभीरता से लेते हुए तत्काल देखवाकर समुचित व्यवस्था कराने की बात कही |
ग्रामीणों ने जिलाधिकारी चंदौली का ध्यान इस संयुक्त चिकित्सालय अमड़ा की तरफ आकृष्ट कराकर मौके का निरीक्षण कर तत्काल वैकल्पिक व्यवस्था कराये जाने की मांग करतेहुए वहाँ कार्यरत चिकित्सकों,कर्मचारियों इलाज हेतु आ रहे मरीजों के जान की सुरक्षा की मांग की है |ताकि चिकित्सकीय सुविधा क्षेत्र के मरीजों को मिल सके |