Health News: आज समाज में वैस्कुलर डिजीज आम हैं। नसें (वेंस) और धमनी (आर्टरी) वैस्कुलर सिस्टम में आती हैं। धूम्रपान, मोटापा, रक्तचाप और अनियमित जीवन शैली आज वैस्कुलर डिजीज के लिए जिम्मेदार हैं।
लखनऊ। आज समाज में वैस्कुलर डिजीज आम हैं। नसें (वेंस) और धमनी (आर्टरी) वैस्कुलर सिस्टम में आती हैं। धूम्रपान, मोटापा, रक्तचाप और अनियमित जीवन शैली आज वैस्कुलर डिजीज के लिए जिम्मेदार हैं। इसलिए, वैस्कुलर बीमारी से बचने के लिए स्वस्थ जीवनशैली का पालन करें और धूम्रपान से बचें।
धूम्रपान सबसे खतरनाक है क्योंकि यह दिल, हाथ, पैर सहित शरीर के हर अंग पर प्रभाव डालता है। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के डॉ. शैलेंद्र ने यह जानकारी भारतीय राष्ट्रीय वैस्कुलर डे पर दी। उनका कहना था कि 6 अगस्त को भारत में हर साल वैस्कुलर बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए राष्ट्रीय वैस्कुलर डे मनाया जाता है। इस बार थीम मुक्त भारत है।
डॉ. शैलेंद्र बताते हैं कि वैस्कुलर डिजीज से जुड़ी नसों की बीमारियां शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकती हैं, लेकिन पैरों में सूजन सबसे अधिक होता है। सावधान हो जाना चाहिए अगर आपके पैरों में सूजन, थकान और नसों में गुच्छे होते हैं। यह लक्षण वैरिकोज वेंस हो सकते हैं।
ऐसे व्यक्ति तंबाकू नहीं खाना चाहिए। नियमित रूप से पैदल चलने की आदत डालें और वजन को नियंत्रित रखें। जो बीमारी की गति को कम कर सकता है। उनका कहना था कि वैरिकोज वेंस की बीमारी पैरों में होती है क्योंकि पैर दिल से दूर हैं। रक्तप्रवाह में समस्याएं उत्पन्न होने पर यह समस्या बढ़ जाती है