ऐसा परिवार जहां अब एक दो नहीं, बल्कि चार -चार जज हैं। पिता एक माह पूर्व ही प्रधान न्यायाधीश फैमिली कोर्ट के पद से एटा से रिटायर हुए हैं। तो वहीं छोटी बेटी और बेटे का एक साथ पीसीएस जे में चयन हुआ है।
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सगे भाई-बहन का पीसीएस-जे में हुआ चयन |
👉बड़े भाई न्यायाधीश और अभी पिता हुए हैं रिटायर
आगरा /Purvanchal News Print | जनपद से एक बड़ी खबर सामने आई है.यहां ऐसा परिवार जहां अब एक दो नहीं, बल्कि चार -चार जज हैं। पिता एक माह पूर्व ही प्रधान न्यायाधीश फैमिली कोर्ट के पद से एटा से रिटायर हुए हैं। तो वहीं छोटी बेटी और बेटे का एक साथ पीसीएस जे में चयन हुआ है। जबकि बेड़े बेटे पहले से ही जज हैं।
आगरा की एत्मादपुर तहसील के एक छोटे से गांव नगला अर्जुन में रक्षाबंधन पर सगे भाई-बहन ने अपने परिवार को ऐसा तोहफा दिया कि पूरे गांव के लोग खुशी मना रहे हैं। एक ,माह पहले ही पिता जज से रिटायरहुए हैं। बड़े भाई जज हैं और उसके बाद दोनों भाई-बहन ने परिवार की इस परंपरा को आगे बढ़ाते हुए पीसीएस-जे में बाजी मारी है। भाई-बहन के चयन के बाद अब उनके घर में चार-चार जज हो गए हैं।
बताया जाता है कि एत्मादपुर तहसील के नगला अर्जुन के रहने वाले राजबहादुर सिंह मौर्य एक माह पहले ही जिला जज संवर्ग (प्रधान न्यायाधीश फैमिली कोर्ट) के पद से एटा से रिटायर हुए हैं। उनके दो बेटे और एक बेटी है। बड़े बेटे अरिजीत सिंह का चयन 2018 में प्रथम प्रयास में हुआ था। इस समय वो भदोही जिले में सिविल जज के पद पर नियुक्त हैं। इसके बाद आज जब पीसीएस जे का परिणाम आया तो उसमें बेटी शैलजा और छोटा बेटा सुधांशु का भी PCS J न्यायिक सेवा में चयन हो गया। ये सबके लिए बहुत गर्व की बात है।
वे कहते हैं कि बेटी शैलजा ने पीसीएस-जे में 51वां स्थान प्राप्त किया है। शैलजा को बैडमिंटन खेलने का बहुत शौक था। वे जिला लेवल की खिलाड़ी रही है। कक्षा नौ में आने के बाद उसने तय कर लिया था कि पिता की तरह न्यायिक सेवा में जाना है। राममनोहर लोहिया नेशनल लॉ कॉलेज लखनऊ से बीए एलएलबी किया। वो अपने बैच की गोल्ड मेडलिस्ट रहीं थीं। एलएलबी करने के बाद पूरा फोकस केवल पढ़ाई पर रहा। इस बीच बड़े भाई का चयन पीसीएस-जे में हो गया तो उनसे और प्ररेणा मिलगई ।
वहीं शैलजा के छोटे भाई सुधांशु की भी पहले प्रयास में 276वीं रैंक आई है। बहन शैलजा और भाई सुधांशु ने बताया कि बड़े भाई अरिजीत के चयन के बाद उनकी किताबें और नोट्स रखे हुए थे। दोनों भाई बहनों ने उनकी किताबों से तैयारी की। कहीं किसी भी तरह की कोचिंग नहीं ली। घर पर रह कर ही पढ़ाई करते थे। शैलजा ने बताया कि पहले वो एक टॉपिक तैयार करती थीं तो दूसरे दिन उसका भाई। इस तरह वो साथ पढ़ते थे। किसी तरह की परेशानी होने पर बड़े भाई की मदद लेते थे। वहीं पिता भी उनको बराबर गाइड करते रहते थे।