पुत्र की दीर्घायु सुख समृद्धि खुशहाली की कामना से महिलाओं ने रविवार को गणेश संकष्ठी चतुर्थी का निराजल व्रत रखा |
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Purvanchal News Print | पुत्र की दीर्घायु सुख समृद्धि खुशहाली की कामना से महिलाओं ने रविवार को गणेश संकष्ठी चतुर्थी का निराजल व्रत रखा |रात्रि में आठ बजकर छत्तीस मिनट पर चन्द्रमा उदय के उपरांत महिलाओं ने अपनी लटों पर जल ढालकर उन्हें अर्ध्य दिया |
भाद्रपद कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को बहुला चतुर्थी (बहुला चौथ )के नाम से जाना जाता है |बहुला नाम की गाय नन्द बाबा के गौशाला में शोभा बढाती थी |इस दिन सवत्सा गाय की पूजा सायंकाल करने काविधान भी व्रतियों ने पूरा किया | व्रतियों ने गाय के दूध से निर्मित समस्त वस्तुओं का सेवन नहीं किया | ऐसी मान्यता है कि गाय के दूध पर इस दिन गाय के बछड़े का ही अधिकार होता है |
रात्रि में चंद्र उदय सेपूर्व व्रतियों ने दाहिने हाथ में जल, पुष्प, फल, गंध एवं कुश लेकर संकष्ठी श्री गणेश चतुर्थी के ब्रत का संकल्प लिया |इसके उपरांत भगवान श्री गणेश की पंचोपचार, दशोपचार एवं षोंडसोचार पूजा -अर्चना अपनी अपनी सामर्थ्य के अनुसार किया |
प्रथमेश को दुर्वा की माला ऋतूफल मेवे अर्पित कर धूप -दीप के साथ अर्चना की |उन्हें प्रसन्न करने के लिये श्री गणेश स्तुति, संकट नाशन, श्री गणेश स्तोत्र, श्री गणेश सहस्त्र नाम,श्री गणेश अथर्वशीर्ष, श्री गणेश चालीसा का पाठ किया |