PM Mann ki Baat : भारत ने शिखर सम्‍मेलन में अफ्रीकी संघ को जी20 समूह का पूर्ण सदस्य बनाकर अपनी नेतृत्व क्षमता किया सिद्ध

पीएम नरेन्‍द्र मोदी ने आकाशवाणी से "Mann ki Baat" कार्यक्रम में बोले - भारत ने शिखर सम्‍मेलन में अफ्रीकी संघ को G20 समूह का पूर्ण सदस्य बनाकर अपनी नेतृत्व क्षमता सिद्ध किया है | 

👉पीएम नरेन्‍द्र मोदी ने आकाशवाणी से "मन की बात" कार्यक्रम में बोले


नयी दिल्ली | पीएम नरेन्‍द्र मोदी ने कहा है कि हाल ही में जी-20 शिखर सम्‍मेलन के दौरान अफ्रीकी संघ को समूह का पूर्ण सदस्य बनने पर भारत ने अपनी नेतृत्व क्षमता सिद्ध की है। आज वे आकाशवाणी से "मन की बात" कार्यक्रम बोल रहे थे |


 श्री मोदी ने कहा कि शिखर सम्‍मेलन के दौरान घोषित भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा आने वाले सैकड़ों वर्षों के लिए विश्‍व व्‍यापार का आधार बनेगा। उन्होंने कहा कि  यह गौरव की बात है कि इतिहास सदैव यह याद रखेगा कि इस आर्थिक गलियारे की पहल भारतीय धरती से हुई थी। उन्होंने इस गलियारे की तुलना सिल्‍क रूट से, जो भारत के अत्यधिक समृद्ध काल में व्यवसाय और व्‍यापार का प्रमुख माध्यम था से किया ।


प्रधानमंत्री ने कहा कि दिल्‍ली जी-20 का आयोजन स्थल भारत मंडपम अपने आप में सेलिब्रिटी की तरह हो गया है। उन्होंने लोगों की सराहना करते हुए कहा कि वे भारम मंडपम के साथ सेल्‍फी ले रहे हैं और गौरव के साथ सोशल मीडिया पर पोस्‍ट कर रहे हैं। श्री मोदी ने जी-20 के साथ भारत की युवा शक्ति के जुडाव का विशेष जिक्र किया। उन्‍होंने कहा कि जी-20 युनिवर्सिटी कनेक्‍ट प्रोग्राम दिल्‍ली में होने जा रहा है। 


इस कार्यक्रम के जरिए देशभर के विश्‍वविद्यालयों के लाखों विद्यार्थी एक-दूसरे से जुडेंगे। आई.आई.टी., आई.आई.एम., एन.आई.टी. और मेडिकल कॉलेज जैसे अनेक प्रतिष्ठित संस्‍थान भी इस कार्यक्रम से जुडेंगे। प्रधानमंत्री ने कॉलेज के विद्यार्थियों से कहा कि 26 सितम्‍बर को इस कार्यक्रम को देखें और इससे जुडें। उन्‍होंने कहा कि इस कार्यक्रम के दौरान कॉलेज के विद्यार्थियों से बातचीत करने की वे उत्‍सुकता से प्रतीक्षा कर रहे हैं।


प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में और विशेष रूप से जी-20 शिखर सम्‍मेलन के दौरान भारत की तरफ आकर्षण बहुत बढा है। उन्‍होंने कहा कि जी-20 के लिए एक लाख से अधिक प्रतिनिधि भारत आए। उन्‍होंने 27 सितम्‍बर को मनाए जाने वाले विश्‍व पर्यटन दिवस की भी बात की।


प्रधानमंत्री ने कहा कि रोजगार सृजन पर्यटन का बहुत बडा पहलू है। श्री मोदी ने कहा कि पर्यटन क्षेत्र कम-से-कम निवेश के साथ अधिक-से-अधिक लोगों को रोजगार देता है। उन्‍होंने कहा कि शिखर सम्‍मेलन के दौरान विदेशी प्रतिनिधियों को भारत की विविधता, विभिन्‍न परम्‍पराओं, खानपान और विरासत को देखने को अवसर मिला। उन प्रतिनिधियों को इस दौरान जो अनुभव हुआ, उससे पर्यटन और बढेगा।


प्रधानमंत्री ने प्रसन्‍नता व्‍यक्‍त करते हुए कहा कि भारत में विश्‍व विरासत स्‍थलों की संख्‍या लगातार बढ रही है। हाल ही में, शांति निकेतन और कर्नाटक के होएसला मंदिर समूह को विश्‍व विरासत स्‍थलों की सूची में शामिल किया गया है। 2018 में शांति निकेतन की यात्रा को याद करते हुए श्री मोदी ने कहा कि गुरुदेव रविन्‍द्रनाथ ठाकुर शांति निकेतन से जुडे रहे। 


 "मन की बात" में कहा कि कर्नाटक के होयसला मंदिरों को तेरहवीं सदी की उत्‍कृष्‍ट वास्‍तुकला के रूप में जाना जाता है। श्री मोदी ने कहा कि कि इन मंदिरों को यूनेस्‍को की पहचान मिलने से मंदिर निर्माण की भारतीय परम्‍परा को भी सम्‍मान मिला है। भारत में विश्‍व विरासत स्‍थलों की संख्‍या अब 42 हो गई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहा है कि ज्‍यादा से जयादा ऐतिहासिक और सांस्‍कृतिक स्‍थलों को विश्‍व विरासत स्‍थलों की सूची में शामिल किया जाए। उन्‍होंने लोगों से आग्रह किया कि जब भी वे किसी नई जगह जाएं तो, भारत की विविधता को देखें, विभिन्‍न राज्‍यों की संस्‍कृति को समझें और विरासत स्‍थलों को देखें।


प्रधानमंत्री ने कहा कि चन्‍द्रयान-तीन का चन्‍द्रमा पर उतरना देश के लिए एक और महत्‍वपूर्ण उपलब्धि है। उन्‍होंने कहा कि देशभर के लोग उत्‍सुकता से प्रतीक्षा कर रहे थे कि कब चन्‍द्रयान का लैंडर चांद की धरती को स्‍पर्श करेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस ऐतिहासिक घटना को 80 लाख से अधिक लोगों ने इसरो के यू-ट्यूब लाइव चैनल पर देखा जो अपने आप में रिकॉर्ड है। श्री मोदी ने कहा कि इससे चन्‍द्रयान-तीन के साथ भारतीयों के गहरे जुडाव का पता चलता है।


प्रधानमंत्री ने इस समय चलाई जा रही प्रश्‍नोत्‍तरी चन्‍द्रयान-तीन महा क्विज की भी बात की। माई-गव पोर्टल पर इस प्रतियोगिता में अब तक पन्‍द्रह लाख से अधिक लोगों ने भागीदारी की है। यह इस पोर्टल के आरम्‍भ के बाद से अब तक किसी भी प्रतियोगिता में सबसे बडी भागीदारी है। प्रधानमंत्री ने अधिक-से-अधिक लोगों से इस प्रतियोगिता में भाग लने का आग्रह किया, क्‍योंकि यह अभी छह दिन और चलेगी।


प्रधानमंत्री ने बताया कि भारतीय गाने गाकर जर्मनी की 21 वर्ष की लडकी कैसमी इंस्‍टाग्राम पर लोकप्रिय हो गई है। उन्‍होंने कहा कि कैसमी भारत कभी नहीं आयी, लेकिन वह भारतीय गीत-संगीत की प्रशंसक है। भारतीय संगीत में उसकी रूचि अत्‍यधिक प्रेरणादायी है। प्रधानमंत्री ने कैसमी की सराहना करते हुए कहा कि बचपन से ही दृष्टिहीन होने के बावजूद कोई भी उसे असाधारण उपलब्धियां हासिल करने से नहीं रोक सका। उन्‍होंने कहा कि कैसमी तबलावादक है और संस्‍कृत, हिंदी, मलयालम तमिल, कन्‍नड और असमिया जैसी कई भारतीय भाषाओं में गाती है।


प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में शिक्षा को सदैव सेवा माना जाता रहा है। उन्‍होंने उत्‍तराखण्‍ड के कुछ युवाओं के बारे में बात की जो, जन-सेवा की भावना से बच्‍चों की शिक्षा के लिए कार्य कर रहा है। नैनीताल जिले के इन युवाओं ने बच्‍चों के लिए अनोखा घोडा-पुस्‍तकालय शुरू किया है। इस पुस्‍तकालय की सबसे बडी खूबी यह है कि दूर-दराज के क्षेत्रों के बच्‍चों तक पुस्‍तकें पहुंच रही हैं और पूरी तरह निशुल्‍क हैं। अब तक, नैनीताल के 12 गांव तक यह पुस्‍कालय पहुंचा है।


"मन की बात"में श्री मोदी ने हैदराबाद में भी इसी तरह के प्रयास की बात की। उन्‍होंने बच्‍चों के लिए सात पुस्‍कालय चला रही 11 वर्षीय आकर्षण सतीश की सराहना की। इस बच्‍ची को दो वर्ष पहले इस पुस्‍तकालय की प्रेरणा मिली जब वह अपने माता-पिता के साथ कैंसर अस्‍पताल में गई। आकर्षण के पिता वहां जरूरतमंद लोगों की सहायता करने गए थे, तो वहां मौजूद बच्‍चों ने उनसे कलरिंग बुक मांगी। यह बात आकर्षण के मन को छू गई और उसने पडोसियों, रिश्‍तेदारों और दोस्‍तों से बच्‍चों के लिए पुस्‍तकें एकत्र करने शुरू कर दी। अब, इन सात पुस्‍तकालयों में लगभग छह हजार किताबें हैं। ये पुस्‍कालय जरूरतमंद बच्‍चों के लिए अलग-अलग स्‍थानों पर खोले गए हैं।


प्रधानमंत्री ने कहा कि यह डिजिटल तकनीक का युग है और ई-पुस्‍तकें अब भी लोगों के जीवन में अच्‍छे मित्र की भूमिका निभा रही हैं। उन्‍होंने कहा कि बच्‍चों को पुस्‍तकें पढने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए।


वन्‍य जीव संरक्षण के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले कुछ वर्ष में शेर, बाघ, तेंदुओं और हाथियों की संख्‍या में उत्‍साहजनक वृद्धि हुई। धरती के अन्‍य जीव-जन्‍तुओं को बचाने के अनेक प्रयास किए जा रहे हैं। राजस्‍थान के पुष्‍कर में इसी तरह के प्रयास को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वहां सुखदेव भट्ठ और उनकी टीम मिलकर वन्‍य जीवों को बचाने में जुटे हैं। 


सुखदेव की टीम में अनेक लोग शामिल हैं, जो फोन पर सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचते हैं और अपने मिशन में जुट जाते हैं। इस टीम ने अब तक तीस हजार से अधिक विषैले सापों को बचाया है। ये लोग, बीमार पशुओं की सेवा भी करते हैं।


प्रधानमंत्री ने ऑटों चालक एम. राजेन्‍द्र प्रसाद का भी जिक्र किया, जो पिछले 25-30 वर्ष से तमिलनाडु के चेन्‍नई में कबूतरों की सेवा कर रहे हैं। राजेन्‍द्र प्रसाद के घर में दो सौ से अधिक कबूतर हैं। वह पक्षियों के भोजन, पानी और स्‍वास्‍थ्‍य जैसी सभी जरूरतें पूरी करते हैं।


श्री मोदी ने कहा कि आजादी का अमृतकाल प्रत्‍येक भारतीय के लिए कर्तव्‍य काल भी है। उन्‍होंने उत्‍तर प्रदेश में सम्‍भल के लोगों का उदाहरण दिया, जहां विलुप्‍त हो चुकी सोत नदी में जलधारा वापस लाने के लिए सत्‍तर से अधिक गांव एकजुट हो गए। सम्‍भल के लोगों ने इस मिशन को पूरा करने का प्रण लिया। 


पिछले वर्ष दिसम्‍बर में सत्‍तर से अधिक ग्राम पंचायतों ने सोत नदी के जीर्णोद्धार का अभियान शुरू किया। केवल छह महीने के अंदर ही इन लोगों ने सौ किलोमीटर से अधिक दूरी तक नदी की जलधारा वापस लाने में सफलता पाई। लोगों ने नदी के तटों पर बांस के दस हजार से अधिक पौधे लगाए हैं और तटों को पूरी तरह सुरक्षित किया है। नदी में तीस हजार से अधिक गम्‍बूसिया मछली छोडी गई है, जो मच्‍छर को पनपने नहीं देती।


"मन की बात" में प्रधानमंत्री ने पश्चिम बंगाल की शकुंतला सरदार की भी सराहना की, जो कई महिलाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी है। शकुंतला अपने परिवार के साथ जंगल महल के शातनाला गांव में रहती है। उसका परिवार मजदूरी करके जीवन-यापन करता था। शकुंतला ने नया रास्‍ता अपनाया और सफलता हासिल कर सबको हैरान कर दिया। उसने सिलाई मशीन के जरिए साल की पत्तियों पर खूबसूरत डिजाइन बनाने शुरू किए। अब वह अनेक महिलाओं को इसका प्रशिक्षण दे रही है। 

साभार -airnewshindi 


🔷🔷सबसे विश्वसनीय पूर्वांचल का हिंदी न्यूज़ वेबसाइट पूर्वांचल न्यूज़ प्रिंट | For more related stories, follow: News in Hindi -👉 Facebook 👉Twitter  👉 Instagram 👉 Teligram.👉Google News. पोर्टल की सदस्यता ग्रहण करने के लिए Membership Plan देखें |