नीतीश सरकार के नये आरक्षण बिल पर राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने हस्ताक्षर कर दिया | अगली नियुक्तियों में अब आरक्षण का लाभ मिलने लगेगा |
HighLights :-
👉नया आरक्षण बिल पर राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने लगाई मुहर
👉राज्यपाल के हस्ताक्षर के साथ ही बिहार में प्रभावी हो गया नया आरक्षण
👉बिहार सरकार की अगले नियुक्तियों में अभ्यर्थियों को मिलने लगेगा फायदा
पटना | Reservation limit increaser bill आरक्षण को अमल में लाने के लिए बिहार में कवायद तेज कर दी गई है | बिहार में 75 फीसदी वाला यह बिल विधानसभा और विधानपरिषद दोनों से पारित होने के बाद राज्यपाल के पास भेज दिया गया था | आखिरकार राज्यपाल ने भी इस बिल पर दस्खत कर दी है | बिहार विधामंडल के दोनों सदनों से 10 नवंबर को सर्वसम्मति से पारित आरक्षण संबंधी विधेयक पर राज्यपाल के हस्ताक्षर के साथ ही नया कानून प्रभाव में आ गया है |
राज्यपाल के हस्ताक्षर के साथ ही सरकारी नियुक्तियों में आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को आरक्षण की बढ़ी हुई सीमा का लाभ मिलन शुरू हो जायेगा, फिलहाल यह विधेयक गजट में प्रशासन के लिए सामान्य प्रशासन विभाग के पास पहुंच गए गया है| सरकारी सेवाओं के अलावा शिक्षण संस्थानों के नामांकन में भी आरक्षण का दायरा बढ़ा या जा चूका है |
सेवाओं और नामांकन में अब आरक्षण सीमा बढ़ाने वाले विधेयकों की मंजूरी के साथ ही अनुसूचित जाति को 20, अनुसूचित जनजाति को 2, अति पिछड़ों को 25 और पिछड़ों को 18 प्रतिशत आरक्षण मिलना शुरू हो जायेगा | आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को पहले से ही 10 प्रतिशत आरक्षण मिल चुका है |
इस तरह राज्य की सेवाओं और सरकारी शिक्षण संस्थानों में अनारक्षित श्रेणी की सिर्फ 25 प्रतिशत सीटें ही बचेंगी | इन्हें भरने के लिए खुली प्रतिस्पर्धा आयोजित की जाएगी , जिसमें सभी वर्ग के अभ्यर्थी भाग लेंगे| ये विधेयक विधानसभा में नौ और विधान परिषद में 10 नवंबर को सर्वसम्मति से पारित हुआ | इसके बाद विधान परिषद ने विधेयक पारित होने की सूचना विधानसभा को दी गयी, फिर विधानसभा से सभी विधेयक एक साथ राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेज दिए गए थे| सूत्रोंकहते हैं कि कि बिहार सरकार के विधि विभाग की सलाह भी राजभवन के पास भेज दी गई थी |
दरअसल, यह सिर्फ एक तरह की औपचारिकता होती है, जिसमें विधि विभाग पत्र के माध्यम से राज्यपाल को सलाह देता है कि विधेयकों को राष्ट्रपति के पास भेजा जा सकता है औरंगे या मामले में यहां राज्यपाल ही विधेयकों पर दस्तखत करने के लिए सक्षम हैं|
सूत्रों की माने तो क्योंकि दोनों आरक्षण की सीमा का विस्तार राज्य की सेवाओं के लिए किया गया है, इसलिए राज्यपाल इस पर हस्ताक्षर करने के लिए ही सक्षम थे और शिक्षण संस्थानों में नामांकन का विषय भी राज्य की सीमाओं से ही जुड़ा हुआ है|