आज बृहस्पतिवार को कार्तिक शुक्ल एकादशी है, इसे देवउठनी एकादशी भी कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि क्षीर सागर में सोए भगवान विष्णु एकादशी को नींद से जागते हैं।
धर्म आस्था / पूर्वांचाल न्यूज प्रिंट | आज बृहस्पतिवार को कार्तिक शुक्ल एकादशी है, इसे देवउठनी एकादशी भी कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि क्षीर सागर में सोए भगवान विष्णु एकादशी को नींद से जागते हैं। इसी के बाद मांगलिक कामों की शुरुआत हो जाती है। 23 नवंबर एकादशी से शुभ काम शुरू हो जाएंगे। होटल व वेडिंग इंडस्ट्री से जुड़े लोगों कहना है कि 23 को तो छिटपुट ही विवाह होंगे, लेकिन बड़ी लगन 27 नवंबर से शुरू हो रही है। 10 दिन गली-मोहल्ले, पार्क, लॉन, होटल और बैंक्वेट सभी फुल दिखेंगे |
बताते हैं कि शहर में 100 के करीब थ्री स्टार से फाइव स्टार तक की कैटेगरी के होटल हैं। इनमें पांच सितारा होटलों की संख्या सिर्फ गिनी चुनी है। जबकि अयोध्या रोड पर एक लॉन ऐसा भी है, जहां 14 शादियां एक साथ की जाती हैं। वहीं कुछ होटल ऐसे हैं, जहां एक दिन में कई शादियां एक साथ हो सकती हैं। दुबग्गा जेहटा रोड, दुबग्गा-हरदोई रोड, दुबग्गा कसमंडी रोड की बात करें यहां हर पांच से छह किलोमीटर की परिधि में लान की संख्या 25-30 के बीच होंगे । इसी तरह माल-मलिहाबाद रोड पर चले जाएं तो यहां भी बड़ी संख्या में लॉन है। इसके अलावा सीतापुर रोड, सुल्तानपुर रोड, एयरपोर्ट के आसपास और कुर्सी रोड, रायबरेली रोड जैसे इलाकों में होटल व लॉन की भरमार पड़ी हुयी है।
#WATCH उत्तर प्रदेश: प्रयागराज में भक्तों ने 'एकादशी' और 'तुलसी विवाह' के अवसर पर गंगा में स्नान किया और गंगा आरती की। pic.twitter.com/2aZW15WNV9
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 23, 2023
सहालग जबरदस्त, एक दिन में 4 से 5 हजार होती हैं शादियां
होटल कारोबारी व उत्तर प्रदेश होटल एसोसिएशन के श्याम कृष्णानी बताते हैं कि दस से 12 दिन की सहालग है, इसमें शादियां जबरदस्त हैं। वहीं वेडिंग प्लानर अंकुर गर्ग व हामिद हुसैन कहते हैं कि मुस्लिम शादियां तो अक्तूबर से ही हो रहे है । एकादशी के बाद से शुरु हुई सहालग में एक दिन में 4 से 5 हजार शादियां होंगी । यानी दिसंबर में खरमास से पहले 30 हजार से अधिक शादियां होने का अनुमान जताया गया।
क्या है एकादशी पूजन मुहूर्त जानिए ?
ज्योतिषाचार्य पंडित धीरेन्द्र त्रिपाठी के मुताबिक के अनुसार एकादशी का मुहूर्त है- आज प्रातः 6.50 से 8.00 बजे तक और शाम को शाम 5.25 से 8.46 बजे तक है। विष्णु भगवान को गन्ना, सिंघाड़ा, लड्डू, फल अर्पित किया जाता है, गन्ने का मंडप बनाकर शालिग्राम व तुलसी जी को उसके नीचे रखक्र पूजा की जाती है। नवम्बर में खास मुहूर्त 27, 28,29 को हैं। दिसंबर में यह मुर्हूत 3, 4, 5, 6, 7, 8 ,9,13,14 ,15 तारीखों में हैं।
ऐसे की जाती है देवउठावनी एकादशी की पूजा
देवउठावनी एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान विष्णु जी की पूजा करके व्रत का संकल्प लेन होगा ।
श्री हरि की प्रतिमा या शालिग्राम जी के समक्ष उनके जागने का आह्वान किया जाए ।सायं काल में मंदिर जाएँ और 11 दीये देवी-देवताओं के समक्ष जलाएं ।गन्ने का मंडप बनाकर बीच में विष्णु जी की मूर्ति या शालिग्राम जी को रखकर पूजा करें ।भगवान श्री हरि को गन्ना, सिंघाड़ा, लड्डू, मिष्ठान , फल अर्पित करें।एकादशी की रात्रि में एक घी का दीपक मंदिर में अवश्य रखें।अगले दिन हरि व्रत का पारण किया जाए।