चंदौली में स्वच्छता अभियान योजना में हुए भ्रष्टाचार पर जनप्रतिनधि व आला अफसर चुप क्यों !

चंदौली में स्वच्छता अभियान योजना में हुए भ्रष्टाचार पर जनप्रतिनधि व आला अफसर चुप क्यों !

जनपद में सामुदायिक शौचालय केवल शोपीस बने हुए हैं | कहीं  पानी की व्यवस्था नहीं हैं तो, कई ताले लटके हैं | सैदूपुर , रसिया सहित जनपद के तमाम गांव ऐसे हैं जहां इसका कोई लाभ नहीं मिल रहा  है | गांवों के सामुदायिक शौचालयों का हाल इससे भी बुरा है !


आईपीएफ के राज्य कमेटी सदस्य व मजदूर किसान मंच के संगठन प्रभारी अजय राय ने कहा - " इस योजना में इतना भ्रष्टाचार सामने आएगा कि पिछले सभी घोटालो का रिकॉर्ड भी टूट जायेगा " 


चकिया/चन्दौली | विश्व बैंक से लोन लेकर मोदी सरकार द्वारा चलायी जा रही स्वच्छता अभियान योजना भी भ्रष्टाचार के लपेटे में है|  कई जगह योजना कागज में ही चलायी जा रही है | जनपद में इस योजना का आलम यह है कि कई गांवों में स्वच्छता अभियान योजना के तहत बन रहे या बने शौचालय में धांधली व प्रशासन के द्वारा कागज पर ही खुले में शौच से मुक्त गाँव घोषित किया गया है | 


आईपीएफ के राज्य कमेटी सदस्य व मजदूर किसान मंच के संगठन प्रभारी अजय राय ने कहा कि मोदी - योगी सरकार ऑफिशियल तौर पर सौ प्रतिशत गांवों को खुले में शौच से मुक्त घोषित कर चुकी है लेकिन यदि एक बार किसी अंतराष्ट्रीय एजेंसी से इसकी स्वतंत्र रूप से जाँच कराई जाए तो इस योजना की सारी पोल पट्टी खुल जाएगी और इस योजना में इतना भ्रष्टाचार सामने आएगा कि पिछले सभी घोटालो का रिकॉर्ड भी टूट जायेगा | 


उन्होंने कहा कि मोदी  - योगी जी सरकार की सबसे बड़ी  उपलब्धि मानीं जाने वाली योजना "स्वच्छ भारत" की पोल उत्तर प्रदेश के गांवों में खुल गयी है |  हम तो केवल चन्दौली जनपद में खुल रही पोल को उदाहरण के रूप में पेश कर रहें हैं  चन्दौली जनपद में इस योजना में खुलेआम भ्रष्टाचार कर मानक की अनदेखी की जमकर की गयी हैं |  शौचालय घोटाले की शिकायत करने पर जांच करने के नाम पर अधिकारी जमकर पैसा खाएं है | भाजपा राज में यह बड़ा घोटाला है लेकिन सपा-बसपा विपक्ष की पार्टी चुप्प हैं ! 


इस गड़बड़ी के खिलाफ एक अभियान चलाकर कारवाई होनी चाहिए ? 


सामुदायिक शौचालय का भी यहीं हाल हैं और  वह भी शोपीस बनकर रह गया हैं | किसी सामुदायिक शौचालय में समरसेबुल नही हैं, तो कहीं टंकी नहीं बैठायी गयी हैं |  पानी के अभाव में केवल भवन है | कई सामुदायिक शौचालय के ताले महीनों बंद रहता हैं ! सैदूपुर , रसिया ,रघुनाथपुर सहित सैकड़ों सामुदायिक शौचालयों  में ताले ही लटके रहते है |  



सामुदायिक शौचालय की देखभाल करने वाले समूह की महिला को कई महीनों का वेतन भी बकाया हैं | गांवों में सफाई तभी होती है, जब सामुहिक टीम लगाकर कराया जाता है अथवा जब सत्ता से जूड़े बड़े नेताओं का गांव में दौरा होता है| देखने यह हैं जिले के प्रतिनिधि और आला अफसर इस सवाल पर कब चुप्पी तोड़ते  है अथवा उसका हिस्सा बनाकर रहा जाते हैं | इस गड़बड़ी के खिलाफ एक अभियान बनकर कारवाई होनी चाहिए ? 


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