15 फरवरी को सुबह 10:12 बजे से शुरू , शुक्रवार, 16 फरवरी को प्रातः 8:54 बजे समाप्त होगी। उदयातिथि के उपलक्ष्य में आज शुक्रवार को रथ सप्तमी मनाई जाएगी।
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रथ सप्तमी के दिन भगवान सूर्य की पूजा करने से घर-परिवार में धन-संपदा, सुख-समृद्धि बढ़ती है |
पूर्वांचल न्यूज प्रिंट, धर्म आस्था | सनातन धर्म में माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को रथ सप्तमी मनाई जाती है। यह दिन विशेष रूप से भगवान सूर्य की पूजा को समर्पित है। मान्यता है कि रथ सप्तमी के दिन भगवान सूर्य की पूजा करने से घर-परिवार में धन-संपदा, सुख-समृद्धि बढ़ती है। ज्योतिष शास्त्र में कुछ उपाय बताए गए हैं, जिन्हें इस दिन करने से व्यक्ति की किस्मत सूर्य की तरह चमकती है।
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रथ सप्तमी आज सुबह 8:54 बजे समाप्त ?
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 15 फरवरी को सुबह 10:12 बजे से शुरू, तिथि अगले दिन, शुक्रवार, 16 फरवरी को प्रातः 8:54 बजे समाप्त होगी। उदयातिथि के उपलक्ष्य में शुक्रवार को रथ सप्तमी मनाई जाएगी।
सूर्य नारायण को अर्घ्य दें
सप्तमी तिथि सूर्य देव को अत्यंत प्रिय है इस दिन सुबह स्नान करने के बाद उगते सूर्य को जल देने के लिए तांबे के लोटे में जल, लाल चंदन, चावल, लाल फूल और कुशा डालकर सूर्य की ओर मुख करें। प्रसन्न मन, कलश को छाती के मध्य में लाएं और सूर्य मंत्र का जाप करें। जल की धारा धीमी गति से बहती रहनी चाहिए और भगवान सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए और लाल फूल चढ़ाने चाहिए।
आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ जरूरी
वाल्मिकी रामायण के अनुसार "आदित्य हृदय स्तोत्र" ऋषि अगस्त्य ने भगवान श्री राम को युद्ध में रावण पर विजय पाने के लिए दिया था। खासतौर पर इस दिन आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना जीवन की कई समस्याओं का एकमात्र समाधान है। इसके नियमित पाठ से मानसिक परेशानियां, हृदय रोग, तनाव, शत्रु पक्ष की परेशानियां और असफलताओं पर काबू पाया जा सकता है। इस स्तोत्र में सच्चे मन से सूर्य देव की पूजा करने और उन्हें विजयी पथ पर ले जाने का अनुरोध किया गया है। आदित्य हृदय स्तोत्र एक अत्यंत शुभ विजय स्तोत्र है जो सभी प्रकार के पापों, समस्याओं और शत्रुओं से मुक्ति दिलाता है, सभी के लिए लाभकारी है, आयु, ऊर्जा और प्रतिष्ठा बढ़ाता है।
अशुभ फल भी शुभ फल में बदल जाता
शास्त्रों के अनुसार इस दिन सूर्य देव के लिए व्रत करने से सभी प्रकार के शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। शास्त्रों में लिखा है कि सूर्य व्रत करने से न सिर्फ शरीर स्वस्थ रहता है बल्कि अशुभ फल भी शुभ फल में बदल जाता है। इस दिन यदि शीघ्र कथा सुनी जाए तो व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। साथ ही मान-सम्मान, धन, प्रसिद्धि और अच्छा स्वास्थ्य भी मिलता है। व्रत के दौरान नमक का प्रयोग न करें।
क्या-क्या दान करें
इस दिन सूर्य से संबंधित वस्तुएं जैसे तांबे का कलश, पीले या लाल वस्त्र, गेहूं, भूरी चीनी, माणिक्य, लाल चंदन आदि का दान करना चाहिए। इनमें से कोई भी वस्तु अपनी श्रद्धा के अनुसार दान की जा सकती है। इससे कुंडली में सूर्य के दोष दूर होते हैं और व्यक्ति को धन-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
जाप करें सूर्य गायत्री मंत्र का
1. ॐ आदित्याय विदमहे प्रभाकराय धीमहितन्न: सूर्य प्रचोदयात्।
2. ॐ सप्ततुरंगाय विद्महे सहस्त्रकिरणाय धीमहि तन्नो रवि: प्रचोदयात्।
सूर्य गायत्री मंत्र का जाप आत्मशुद्धि, आत्मसम्मान और मानसिक शांति प्रदान करता है। व्यक्ति पर आने वाली परेशानियां टल जाती हैं।