चहूँ ओर हर क्षेत्र के साथ-साथ चारों तरफ आगाह कर,भन भनाते हुए इंसान के साथ साथ सभी जीव जंतु पर अटैक करने वाले मच्छरों पर कब पाबंदी लगाई जाएगी |
बढ़ती हुई मच्छरों की संख्या पर नियंत्रण करना शासन-प्रशासन की जिम्मेदारी पर हुआ बेफिक्र
By-Diwakar Rai /ब्यूरो चीफ चंदौली |
जनपद के चहूँ ओर हर क्षेत्र के साथ-साथ चारों तरफ आगाह कर,भन भनाते हुए इंसान के साथ साथ सभी जीव जंतु पर अटैक करने वाले मच्छरों पर कब पाबंदी लगाई जाएगी हर तरफ से आवाज सुनाई देने लगी है। जाड़े में थोड़ा कम पर गर्मी और बरसात में तो जीना हराम कर दिए हैं।
कस्बा/गांव, स्टेशन, कार्यालय के लोगों का कहना है कि जहां तहां पर खुली नालियां हैं उन स्थानों पर तो मच्छरों का साम्राज्य स्थापित हो गया है। अब तो इतना निडर हो गए हैं कि दिन में भी वार करने से नहीं बाज आ रहे हैं।
मच्छरदानी के अंदर भी घुस कर अटैक कर रहे हैं। ज्यादा काम धंधा करने के बाद यदि कोई इंसान दिन में आराम करना चाहे तो भूखे शेर की तरह टूट पड़ते हैं। अब तो मच्छर रोधी दवा भी मच्छरों के सामने हार मान गई है।गर्मी और बरसात में मकान के खिड़की दरबाजे खुले रहते हैं।
वास्तव मे देखा जाए तो हर इंसान को सोचने को विवश कर दिए हैं कि विकसित भारत, में छोटा सा जीव सब पर भारी पड़ रहा है। दिनों दिन मच्छरों की बड़ती संख्या और इनके आतंक से मलेरिया/ टाईफाइड, डेंगू जैसी बीमारी से ग्रस्त होकर गरीब ,असमर्थ,झोपड़ी, झुग्गी और आसमान के नीचे सोने वाले इलाज पैसे के अभाव में जान गवां रहे हैं।
शहरों में समय समय पर मच्छर रोधी दवा का नालियों और सड़कों पर फेविंग की जाती है पर गांव,बाजार कस्बों में तो कभी देखने को भी नही मिलता।
ग्रामीणों का कहना है कि समय रहते हुए हर इंसान को समान दृष्टि से देखते हुए हर जगह मच्छर रोधी दवा का, व फागिंग छिड़काव नहीं किया गया तो स्थिति और भयंकरहो सकती है।बढती हुई मच्छरों की संख्या पर नियंत्रण करना भी शासन, प्रशासन का परम दायित्व भी बनता है।परन्तु वे अपनी जिम्मेदारी से बेफिक्र नजर आ रहे हैं |