UP Loksabha Election : लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी ने गठबंधन के जरिए केंद्र में सरकार बनाई, लेकिन उसकी सीटें बढ़ने की बजाय कम हो गईं। सबसे ज्यादा नुकसान यूपी को हुआ है। अब बीजेपी की आंतरिक रिपोर्ट में हार की कुछ वजहें बताई गई हैं।
UP BJP News: यूपी में बीजेपी इतनी सीटें कैसे हार गई? आंतरिक रिपोर्ट में एक नहीं बल्कि कई वजहें बताई गई हैं
Uttar Pradesh BJP Review: लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी 'अबकी बार 400 पार' का नारा लगा रही थी, लेकिन यूपी में उसे बड़ा झटका लगा। भगवा पार्टी राज्य में दूसरे नंबर पर खिसक गई। सपा को सबसे ज्यादा 37, बीजेपी को 33 और कांग्रेस को 6 सीटें मिलीं। नतीजे आने के बाद बीजेपी ने हार की समीक्षा शुरू कर दी और अब अंदर से प्रारंभिक रिपोर्ट की जानकारी सामने आई है।
1. किस बात को लेकर अति उत्साह था? 80 लोगों की टीम पहली रिपोर्ट तैयार कर रही है। दूसरी रिपोर्ट हारे हुए प्रत्याशियों द्वारा यूपी बीजेपी हाईकमान को सौंपी जाएगी। इसे आगे केंद्रीय हाईकमान को भेजा जाएगा। सूत्रों की मानें तो पहली मंडल स्तरीय रिपोर्ट में सामने आया है कि प्रत्याशी अतिउत्साही हो गए थे, उन्हें लग रहा था कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ के नाम पर जीत हासिल कर ली है। दरअसल, 2014 में जिस तरह से मोदी लहर में प्रत्याशियों ने जीत हासिल की थी और 2019 में भी उसी तरह का मोदी मैजिक देखने को मिला, वे मान रहे थे कि इस बार भी ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। मोदी के नाम पर मिल रहे जनसमर्थन के चलते वे अपनी जीत पक्की मान रहे थे।
2. जनता नाराज थी |" जी हां, 2 बार से ज्यादा जीत चुके सांसदों से जनता नाराज थी। यूपी के गांवों में आम धारणा बन गई थी कि सांसद कभी आते ही नहीं, जीतने के बाद मिलते ही नहीं। मोदी के नाम पर अभी भी कई लोगों ने भाजपा को वोट दिया, लेकिन जहां विपक्षी प्रत्याशी मजबूत था या किसी अन्य फैक्टर से बेहतर लगा, वहां लोगों ने ईवीएम का दूसरा बटन दबा दिया। आंतरिक रिपोर्ट से पता चलता है कि कुछ सांसदों का व्यवहार भी ठीक नहीं था।
3. भाजपा से कहां गलती हुई? बताया जाता है कि राज्य सरकार ने करीब 3 दर्जन सांसदों के टिकट रद्द करने या बदलने को कहा था, लेकिन इसे नजरअंदाज कर दिया गया। जब प्रत्याशियों के नामों की घोषणा हुई तो ज्यादातर पुराने प्रत्याशियों पर ही भरोसा दिखाया गया, जबकि जमीनी स्तर पर माहौल उनके खिलाफ था। समीक्षा करने पर पता चला कि अगर टिकट बदले जाते तो नतीजे बेहतर होते।
4. इसके अलावा विपक्ष के प्रचार ने भी हवा का रुख काफी हद तक बदल दिया। भीषण गर्मी में भाजपा कार्यकर्ता अपने मतदाताओं को बाहर नहीं ला पाए। लोगों को यह भी लग रहा था कि मोदी सरकार आ रही है। नेता गली-गली और घर-घर जाने की बजाय रैलियों और रोड शो पर ही केंद्रित रहे।
5. मायावती का ठोस वोट बैंक यानी दलित समुदाय इस बार कुछ हद तक अखिलेश यादव के साथ नजर आया। भाजपा को सबसे बड़ा झटका काशी में लगा, जहां पीएम मोदी की जीत का अंतर बढ़ने की बजाय कम हो गया।
6. भाजपा को अपने करोड़ों लाभार्थियों पर भरोसा था, लेकिन कांग्रेस ने 8500 रुपये प्रतिमाह की गारंटी देकर इसमें सेंध लगा दी। कई सीटों पर अंदरूनी मतभेद भी रहे, जिसके चलते पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। (रिपोर्टर विशाल सिंह रघुवंशी के इनपुट के साथ) सूत्रों से पता चला है कि यूपी में करारी हार पर बीजेपी की प्रारंभिक रिपोर्ट तैयार है। जी हां, यूपी में हार की वजह तलाश रही बीजेपी की पहली मंडल स्तरीय रिपोर्ट तैयार है। प्रत्याशियों से अलग-अलग फीडबैक लिया जा रहा है। कुल तीन रिपोर्ट आने के बाद उनका मिलान किया जाएगा। आइए जानते हैं हार की मुख्य वजहें क्या हैं।