पूर्वांचल की बात : पूर्वांचल ही नहीं, भोजपुरी भाषा भी उपेक्षा की शिकार

पूर्वांचल की बात : पूर्वांचल ही नहीं, भोजपुरी भाषा भी उपेक्षा की शिकार

पूर्वांचल, उत्तर प्रदेश का पूर्वी भाग, अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक, सामाजिक और भाषाई पहचान के लिए प्रसिद्ध है। यह क्षेत्र अपने समृद्ध इतिहास, परंपराओं, और सांस्कृतिक धरोहरों के साथ-साथ भोजपुरी भाषा की जन्मस्थली के रूप में भी जाना जाता है। 

पूर्वांचल की बात : पूर्वांचल ही नहीं, भोजपुरी भाषा भी उपेक्षा की शिकार

इस रिपोर्ट का उद्देश्य पूर्वांचल क्षेत्र और भोजपुरी भाषा की विविधताओं और उनके सामाजिक, सांस्कृतिक, और आर्थिक प्रभावों का विश्लेषण किया गया है।

यह है पूर्वांचल का परिचय
पूर्वांचल उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्से में स्थित है और इसमें वाराणसी, गोरखपुर, बलिया, मऊ, आजमगढ़, और गाजीपुर जैसे प्रमुख जिले शामिल हैं। यह क्षेत्र गंगा और घाघरा नदियों के मैदानों में स्थित है, जो इसे कृषि और जल संसाधनों के लिए महत्वपूर्ण बनाता है। ऐतिहासिक दृष्टिकोण से, पूर्वांचल का क्षेत्र पौराणिक और धार्मिक घटनाओं का केंद्र रहा है, जिसमें वाराणसी का प्रमुख स्थान है।

पूर्वांचल का सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन विविधता से भरा है। यहाँ के लोग अपने रीति-रिवाजों, त्योहारों, संगीत, और नृत्य के माध्यम से अपनी सांस्कृतिक पहचान बनाए रखते हैं। छठ पूजा, होली, और दीवाली जैसे त्योहार यहाँ बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं।

भोजपुरी भाषा का महत्व
भोजपुरी भाषा पूर्वांचल की प्रमुख भाषा है और इसे लगभग 50 मिलियन लोग बोलते हैं। यह भाषा बिहार, झारखंड, और नेपाल के तराई क्षेत्र में भी बोली जाती है। भोजपुरी भाषा अपनी सरलता, सहजता, और समृद्ध साहित्यिक परंपरा के लिए जानी जाती है। इस भाषा का विकास संस्कृत, पाली, और प्राकृत भाषाओं के प्रभाव से हुआ है और इसमें अवधी, मगही, और मैथिली भाषाओं के तत्व भी शामिल हैं।

भोजपुरी साहित्य का इतिहास प्राचीन है और इसमें धार्मिक ग्रंथ, लोकगीत, और नाटक शामिल हैं। भिखारी ठाकुर जैसे साहित्यकारों ने इस भाषा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनके नाटक 'बिदेसिया' और 'गंगा स्नान' ने भोजपुरी साहित्य को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया।

पूर्वांचल की आर्थिक स्थिति
पूर्वांचल की आर्थिक स्थिति में कृषि का प्रमुख स्थान है। यहाँ के लोग मुख्यतः धान, गेहूँ, गन्ना, और दलहन की खेती करते हैं। कृषि के अलावा, हस्तशिल्प, बुनाई, और छोटे-मोटे उद्योग भी यहाँ की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालाँकि, औद्योगिकीकरण और आधुनिक बुनियादी ढांचे की कमी के कारण इस क्षेत्र का आर्थिक विकास अपेक्षाकृत धीमा है। और यह पूर्वांचल लगातर पिछड़ता जा रहा है | 


पूर्वांचल की बात : पूर्वांचल ही नहीं, भोजपुरी भाषा भी उपेक्षा की शिकार



विकास की दृष्टि से, पूर्वांचल को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार के क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता है। सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा यहाँ के विकास के लिए कई योजनाएँ और परियोजनाएँ चलाई जा रही हैं, लेकिन उनके प्रभावी क्रियान्वयन की आवश्यकता है।

भोजपुरी सिनेमा और मीडिया
भोजपुरी सिनेमा ने भोजपुरी भाषा के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 1960 के दशक से शुरू होकर, भोजपुरी सिनेमा ने ग्रामीण जीवन, सामाजिक मुद्दों, और पारंपरिक मूल्यों को प्रदर्शित किया है। नायक, गंगा मइया तोहे पियारी चढ़ाइबो, ससुरा बड़ा पैसा वाला जैसी फिल्मों ने भोजपुरी सिनेमा को एक नई दिशा दी है।

भोजपुरी भाषा के प्रसार में डिजिटल मीडिया का भी महत्वपूर्ण योगदान है। यूट्यूब, फेसबुक, और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भोजपुरी गाने, फिल्में, और नाटक आसानी से उपलब्ध हैं, जिससे यह भाषा व्यापक रूप से प्रचलित हो रही है।

चुनौतियाँ और संभावनाएँ
भोजपुरी भाषा और पूर्वांचल दोनों ही अपने समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर के बावजूद कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। भोजपुरी भाषा को आधुनिक शिक्षा प्रणाली में उचित स्थान नहीं मिल पा रहा है, जिससे इसके संरक्षण और संवर्धन की आवश्यकता है। इसके अलावा, वैश्वीकरण और अन्य भाषाओं के प्रभाव से भोजपुरी बोलने वालों की संख्या में कमी आ रही है।

पूर्वांचल क्षेत्र के विकास के लिए भी कई चुनौतियाँ हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, और बुनियादी ढांचे में सुधार की आवश्यकता है। औद्योगिकीकरण और रोजगार के अवसर बढ़ाकर इस क्षेत्र की आर्थिक स्थिति में सुधार किया जा सकता है।

हालांकि, इन चुनौतियों के बावजूद, संभावनाओं की कोई कमी नहीं है। सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा चलाई जा रही योजनाएँ और परियोजनाएँ, स्थानीय समुदायों की सक्रिय भागीदारी, और सांस्कृतिक और साहित्यिक गतिविधियों के माध्यम से भोजपुरी भाषा और पूर्वांचल दोनों का संवर्धन संभव है।

निष्कर्ष
पूर्वांचल और भोजपुरी भाषा दोनों ही भारतीय संस्कृति और समाज का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। पूर्वांचल की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर, कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था, और ऐतिहासिक महत्व इसे एक विशिष्ट स्थान प्रदान करते हैं। वहीं, भोजपुरी भाषा अपनी सरलता, साहित्यिक समृद्धि, और व्यापक प्रचलन के लिए जानी जाती है।

भोजपुरी भाषा और पूर्वांचल क्षेत्र के संरक्षण और विकास के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है। शिक्षा, साहित्य, सिनेमा, और डिजिटल माध्यमों के माध्यम से भोजपुरी भाषा का प्रसार और संरक्षण संभव है। इसी प्रकार, पूर्वांचल के विकास के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, और बुनियादी ढांचे में सुधार आवश्यक है।

यह रिपोर्ट पूर्वांचल और भोजपुरी भाषा की विविधताओं और उनके सामाजिक, सांस्कृतिक, और आर्थिक प्रभावों को समझने का प्रयास है। इनकी समृद्ध धरोहर को सहेजना और संवर्धित करना हमारी जिम्मेदारी है, जिससे हमारी आगामी पीढ़ियाँ भी इनकी महत्ता को समझ सकें और इनसे लाभान्वित हो सकें। भोजपुरी भाषा भी पूर्वांचल की तरह उपेक्षा की शिकार है |

लेखक : वीरेंद्र सिंह राजभर पूर्वांचल राज्य संगठन के सदस्य हैं और अधिवक्ता उच्च न्यायालय इलाहाबाद के साथ पावर ऑफ जस्टिस राष्ट्रीय विधिक मासिक पत्रिका के सह संपादक भी हैं 

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